अलीराजपुर – वनवासी लीला भक्तिमती शबरी की प्रस्तुति हुई, प्रस्तुति को दर्शकों ने मुक्तकंठ से सराहा , कार्यक्रम का शुभारंभ जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती अनीता चौहान एवं एसडीएम श्रीमती लक्ष्मी गामड़ ने दीप प्रज्जवलित करके किया ।
अलीराजपुर – माननीय मुख्यमंत्री जी की घोषणा के परिपालन में मध्यप्रदेश शासन, संस्कृति विभाग द्वारा तैयार रामकथा साहित्य में वर्णित वनवासी चरितों पर आधारित वनवासी लीला भक्तिमती शबरी की प्रस्तुति कलाकारों द्वारा दी गई। कार्यक्रम का शुभारंभ जिला पंचायत अलीराजपुर अध्यक्ष श्रीमती अनीता चौहान ने दी प्रज्जवलित करके किया। इस अवसर पर संयुक्त कलेक्टर सुश्री जानकी यादव, एसडीएम अलीराजपुर श्रीमती लक्ष्मी गामड, पूर्व नपा अध्यक्ष श्री रितेश डावर, श्री रिकेंश तंवर उपस्थित थे। कलाकारों द्वारा राजबाड़ा परिसर (अलीराजपुर) में सुश्री कीर्ति प्रमाणिक, उज्जैन द्वारा वनवासी लीला नाट्य भक्तिमति शबरी की प्रस्तुति दी जायेगी। उक्त प्रस्तुति का आलेख श्री योगेश त्रिपाठी एवं संगीत संयोजन श्री मिलिन्द त्रिवेदी द्वारा किया गया है। कार्यक्रम में बडी संख्या में नगरवासियों ने उक्त कार्यक्रम को देखा और सराहा। लीला की कथाएं ।
वनवासी लीला नाट्य भक्तिमति शबरी कथा में बताया कि पिछले जन्म में माता शबरी एक रानी थीं, जो भक्ति करना चाहती थीं लेकिन माता शबरी को राजा भक्ति करने से मना कर देते हैं। तब शबरी मां गंगा से अगले जन्म भक्ति करने की बात कहकर गंगा में डूब कर अपने प्राण त्याग देती हैं। अगले दृश्य में शबरी का दूसरा जन्म होता है और गंगा किनारे गिरि वन में बसे भील समुदाय को शबरी गंगा से मिलती हैं। भील समुदाय़ शबरी का लालन-पालन करते हैं और शबरी युवावस्था में आती हैं तो उनका विवाह करने का प्रयोजन किया जाता है लेकिन अपने विवाह में जानवरों की बलि देने का विरोध करते हुए, वे घर छोड़ कर घूमते हुए मतंग ऋषि के आश्रम में पहुंचती हैं, जहां ऋषि मतंग माता शबरी को दीक्षा देते हैं। आश्रम में कई कपि भी रहते हैं जो माता शबरी का अपमान करते हैं। अत्यधिक वृद्धावस्था होने के कारण मतंग ऋषि माता शबरी से कहते हैं कि इस जन्म में मुझे तो भगवान राम के दर्शन नहीं हुए, लेकिन तुम जरूर इंतजार करना भगवान जरूर दर्शन देंगे। लीला के अगले दृश्य में गिद्धराज मिलाप, कबंद्धा सुर संवाद, भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग मंचित किए गए। भगवान राम एवं माता शबरी मिलाप प्रसंग में भगवान राम माता शबरी को नवधा भक्ति कथा सुनाते हैं और शबरी उन्हें माता सीता तक पहुंचनेवाले मार्ग के बारे में बताती हैं। लीला नाट्य के अगले दृश्य में शबरी समाधि ले लेती हैं ।