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रतलाम जिले में हादसों में एंबुलेंस की देरी, ट्रामा सेंटर के इंतजाम नाकाफी

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रतलाम जिले के हाईवों पर टोल वसूली तो बढ़ती जा रही है, लेकिन सुविधाओं का स्तर घट रहा है। हादसा होने पर राहत के लिए एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ता है, और कई बार घायल समय पर उपचार नहीं मिलने से दम तोड़ देते हैं।

रतलाम । जिले के हाईवों पर टोल वसूली तो बढ़ती जा रही है, लेकिन सुविधाओं का स्तर घट रहा है। हादसा होने पर राहत के लिए एंबुलेंस का इंतजार करना पड़ता है, और कई बार घायल समय पर उपचार नहीं मिलने से दम तोड़ देते हैं। एंबुलेंस की देरी से लोगों के आक्रोशित होकर चक्काजाम व विरोध प्रदर्शन भी होता है, जिससे पुलिस व प्रशासन को भी कानून व्यवस्था को लेकर खासी मशक्कत करना पड़ती है।

जिले के लेबड़ से नयागांव फोरलेन पर माननखेड़ा, चिकलाना टोल नाके पर एंबुलेंस, क्रेन सहित अन्य सुविधाएं व संसाधन उपलब्ध हैं। टोल कंपनी के अनुसार राहत के लिए काल आते ही एंबुलेंस रवाना हो जाती है, और एक मिनट में एक किमी की दूरी तय कर मौके पर पहुंचती है। इधर ग्रामीण क्षेत्र के मार्गों व अंतरराज्यीय मार्गों पर एंबुलेंस की सुविधा 108 सेवा के भरोसे है। रतलाम-सैलाना मार्ग, रतलाम-झाबुआ मार्ग व रतलाम-बाजना मार्ग पर हादसे के दौरान लंबा इंतजार करना पड़ता है। इसके चलते ग्रामीण निजी वाहनों से घायलों को लेकर आते हैं।

जावरा और नामली के बीच एकमात्र एंबुलेंस 108 फोरलेन पर खड़ी रहती है। फोरलेन चालक का कहना है कि रतलाम से जावरा के बीच सेंटर नामली में एंबुलेंस खड़ी रहती है। कई बार एक हादसे के घायलों को अस्पताल पहुंचाने के दौरान दूसरा हादसा होने पर समय पर नहीं पहुंच पाते हैं।

जिला अस्पताल का ट्रामा सेंटर आधा-अधूरा

जिला अस्पताल में दुर्घटनाओं में घायलों के लिए विशेष तौर पर ट्रामा सेंटर बनाया गया है। यहां आपरेशन टेबल से लेकर स्ट्रेचर तक सभी तरह के संसाधनों की कमी है। शौचालय में गंदगी से मरीज परेशान रहते हैं। फोरलेन, टूलेन बनने के बाद हादसों की संख्या बढ़ने से ट्रामा सेंटर में मरीज भी बढ़ रहे हैं।

9 दिन में सात हादसे, 16 घायलों को अस्पताल ले गए

जावरा-नयागांव फोरलेन पर सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए पर्याप्त इंतजाम नहीं हैं। चौराहे पर पर्याप्त संकेतक नहीं होने की वजह से सर्वाधिक हादसे होते हैं। ढोढर में पुलिस चौकी के सामने व हंगामा चौक, महाराणा प्रताप चौक (कालूखेड़ा फंटा) पर कंपनी द्वारा गति अवरोधक तो बनवा दिए गए, लेकिन पर्याप्त संकेतक नहीं होने से चालक अपने वाहनों को समय पर नियंत्रित नहीं कर पाते हैं। माननखेड़ा टोल पर एंबुलेंस व स्टाफ 24 घंटे तैनात रहता है। एंबुलेंस के पैरामेडिकल गोपाल मकवाना, एंबुलेंस पायलट भंवरलाल कुमावत, हाइड्रा संचालक सुनील पाटीदार, हेल्पर जितेंद्रसिंह पंवार ने बताया कि दुर्घटना की सूचना मिलते ही एंबुलेंस और हाइड्रा तत्काल रवाना हो जाती है। नवंबर माह के 18 दिनों में सात दुर्घटनाएं इस मार्ग पर हो चुकी हैं। इसमें 16 घायलों को हमारे द्वारा प्राथमिकता के साथ चिकित्सालय भिजवाया गया।

स्थानीय बरखेड़ी फंटा पर क्षेत्र के ग्राम बरखेड़ी, पिंगराला, जड़वासा, सेमलखेड़ी से आने वाले ग्रामवासियों को डिवाइडर में बने कट से जान जोखिम में डालकर ढोढर आने को मजबूर होना पड़ता है।

लगातार हो रहे प्रदर्शन, इंतजाम अधूरे

4 सितंबर 2022 : नामली के पंचेड़ फंन्टे पर ट्रक और बाइक के बीच जोरदार भिड़ंत के बाद घायल सड़क पर तड़पते रहे। करीब 1 घंटे तक एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची। एक घायल की मौके पर ही मौत हो गई थी। शेष को निजी वाहनों से जिला अस्पताल पहुंचाया गया, लेकिन तब तक उनकी भी मौत हो चुकी थी। इससे आक्रोशित लोगों ने करीब एक तक फोरलेन पर चक्का जाम किया था।

14 अगस्त 2022 : सैलाना से नामली आते वक्त रात 9ः30 बजे एक परिवार के चार व्यक्ति घायल हो गए थे। तब भी समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंची उस कारण लोगों में भी आक्रोश पनप गया था।

30 अक्टूबर 2022 : नामली के भदवासा फंटे पर लहसुन व्यापारी को फोरलेन क्रास करते वक्त जावरा की ओर से आ रही एक कार ने टक्कर मार दी थी। गंभीर घायल हुए व्यापारी को उपचार के लिए रतलाम ले जाना था। करीब एक घंटे तक एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची तो आक्रोशित ग्रामीणों ने नामली-जावरा के बीच फोरलेन पर चक्काजाम किया था। नामली पुलिस ने 10 नामजद सहित 50 से अधिक ग्रामीणों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था।

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