RATLAM

रतलाम में संकेतक के पोल खाली, अंधे व घुमावदार मोड़ बन रहे हादसों का कारण

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रतलाम जिले के हाईवे पर संकेतकों की कमी वाहन चालकों की जान के लिए खतरा बन गई है। घुमावदार, अंधे मोड़ पर संकेतक नहीं होने से वाहन चालक जानकारी नहीं होने से वाहन नियंत्रित नहीं कर पाते और हादसे हो जाते हैं।

रतलाम । रतलाम जिले के हाईवे पर संकेतकों की कमी वाहन चालकों की जान के लिए खतरा बन गई है। घुमावदार, अंधे मोड़ पर संकेतक नहीं होने से वाहन चालक जानकारी नहीं होने से वाहन नियंत्रित नहीं कर पाते और हादसे हो जाते हैं।

फोरलेन हो या टू लेन डिवाइडरों में कट लगाकर रांग साइड चलना भी आम सा हो गया है। जावरा-लेबड़ फोरलेन पर डिवाइडर में जगह-जगह ग्रामीणों ने कट लगा दिए हैं। ऐसा इसलिए किया गया कि आने-जाने में ज्यादा घूमकर नहीं आना पड़े। यही जल्दबाजी फोरलेन पर नियम से चल रहे वाहन चालकों के लिए भी भारी पड़ रही है। कट में से बाइक निकालने के दौरान दूसरी लेन पर आ रहे वाहनों के दुर्घटनाग्रस्त होने की आशंका बनी रहती है। इसी तरह कई जगह वाहन चालक लेन बदलने के लिए गलत दिशा में वाहन चलाते हैं, जिससे हादसे हो रहे हैं।

इन मार्गों पर मिली कमियां

– जावरा-लेबड़ फोरलेन

– जावरा-आलोट-आगर मार्ग

– रतलाम-सैलाना-बांसवाड़ा मार्ग

– रतलाम-बाजना-कुशलगढ़ मार्ग

– रतलाम-झाबुआ मार्ग

घाट व मोड़ को लेकर बाजना मार्ग पर ज्यादा खतरा

रतलाम से जिले के आदिवासी अंचल बाजना होकर राजस्थान सीमा तक बने सीसी टूलेन रोड ने अंचल का सड़क संपर्क मजबूत किया है, लेकिन इस मार्ग पर अंधे व घुमावदार मोड़ हादसों का कारण बन रहे हैं। इस सड़क की प्लानिंंग करने के दौरान मुख्य मार्गो से अंधे मोड़ का सरलीकरण नहीं किया गया। इससे हादसों में कई लोगों को जान गंवाना पड़ी और अभी भी हादसे हो रहे हैं। रतलाम से बाजना तक 56 किमी के मार्ग में 15 किमी का हिस्सा घुमावदार घाट व अंधे मोड़ वाला है। हालांकि तकनीकी खामी पकड़ में आने के बाद अब घाटों का सरलीकरण किया जा रहा है, लेकिन अंधे मोड़ को लेकर अभी भी काम होना बाकी है। अभी भी घाट वाला हिस्सा सीसी नहीं बना है। मार्ग पर ग्राम घाटा खेरदा, उमरिया फांटा, पीपलीपाड़ा, खेरदा,मझोडिया, छोटिया बावड़ी, झालरा,सुनालिया, रतन गढ़ पीठ, माही पुलिया के अंधे मोड़ों पर दुर्घटना होना आम बात है।

गंभीर बात यह है कि संकेतक भी पर्याप्त नहीं लगाए गए हैं। इससे वाहन चालक को मार्ग की सही स्थिति पता नहीं चल पाती और हादसे होते हैं। इसी मार्ग के ग्राम दौलपुरा, देवली,सज्जन पुरा,मार्ग की भी यही स्थिति है। राजापुरा माताजी से शिवगढ़ के बीच भी खेरियापाड़ा फांटा, डूंगरापाडा,छावनी झोडिया, शिवगढ़ बाजना मार्ग घुमावदार व अंधे मोड़ वाला है। सड़क मामलों के विशेषज्ञ का मानना है कि सड़क बनते समय ही घाट की चौड़ाई बढ़ाने के साथ ही संकेतक, रैलिंग और घाट पर डिवाइडर बनाकर हादसों को रोका जा सकता है। घाट की ढलान ऐसी होना चाहिए कि वाहन चढ़ाते व उतरते समय वाहन अनियंत्रित न हो। शार्प ढलान के कारण वाहनों के अनियंत्रित होने का खतरा रहता है।

पेट्रोल पंपों पर सिर्फ पानी, शौचालय गंदे

हाईवे पर स्थित पेट्रोल पंपों पर नियमानुसार पानी, हवा, साफ शौचालय होना चाहिए, लेकिन इक्का-दुक्का पंपों पर ही यह सुविधा दिखाई देती है, इसमें भी वाहनों में हवा भरने के इंतजाम तो न के बराबर हैं। टोल टैक्स बैरियर पर एंबुलेंस, फर्स्ट एड की व्यवस्था है, लेकिन जावरा-लेबड़ फोरलेन पर ही। शेष टू-लेन मार्गों पर यह सुविधा भी दिखावा मात्र की है। रतलाम-झाबुआ मार्ग पर तो सड़क बनाने से पहले ही यूजर चार्ज के नाम पर टोल वसूली शुरू हो गई है।

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