RATLAM

तेज रफ्तार से हाईवे पर 156 हादसे, 63 ने गंवाई जान~~चालानी कार्रवाई के बाद भी नहीं लग रहा अंकुश, महू-नीमच हाईवे पर वाहनों की बढ़ रही रफ्तार, हाईवे पर लोग 120 की स्पीड से चलाते हैं वाहन, इसके कारण भी बढ़ रही हैं दुर्घटनाएं

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चालानी कार्रवाई के बाद भी नहीं लग रहा अंकुश, महू-नीमच हाईवे पर वाहनों की बढ़ रही रफ्तार, हाईवे पर लोग 120 की स्पीड से चलाते हैं वाहन, इसके कारण भी बढ़ रही हैं दुर्घटनाएं

 रतलाम । महू-नीमच हाईवे (फोरलेन) बनने के बाद वाहनों की रफ्तार बढ़ने के साथ ही सफर का समय भी कम हुआ है। सपाट सड़कों पर तेज रफ्तार हादसों का कारण भी बन रही है। हाईवे पर 100 किमी प्रतिघंटा व आबादी वाले क्षेत्रों में 30 से 80 किमी प्रतिघंटा की गति निर्धारित है। इसके विपरीत वाहन चालक 120 की स्पीड से वाहन चलाते हैं। तेज गति से मोड़, स्पीड ब्रेकर या आबादी क्षेत्र में कई बार वाहन चालक नियंत्रण खो देते हैं और हादसा हो जाता है।

रतलाम जिले में लेबड़-नयागांव फोरलेन का करीब 80 किलोमीटर का हिस्सा आता है। जिले में पिछले दस माह में (1 जनवरी से 31 अक्टूबर 2022) 1127 सड़क हादसे हो चुके हैं। इनमें 184 लोगों की मौत हो गई व 1103 व्यक्ति घायल हुए। इन हादसों में फोरलेन पर ग्राम सिमलावदा से जिले के दूसरे छोर माननखेड़ा टोल नाके तक के हिस्से में हुए 545 हादसे शामिल है, जिनमें 98 लोगों की मौत हुई व 512 व्यक्ति घायल हुए है। 156 हादसे तेज रफ्तार से होना पाए गए है। इन हादसों में 63 लोगों ने जान गंवाई है तो 134 लोग घायल हो गए।

873 चालान बनाए, नौ लाख जुर्माना वसूला
गत 10 माह में पुलिस ने इंटरसेप्टर वाहन की मदद से तेजगति से वाहन चलाते 873 चालकों को पकड़ा। इनके चालान बनाकर नौ लाख 21 हजार रुपये जुर्माना (शमन शुल्क) वसूला। इसके बाद भी कई चालक वाहन तेज गति से चलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। निर्धारित गति से अधिक पर वाहन चलाने वालों को इंटरसेप्टर मशीन से चिन्हित कर चालानी कार्रवाई की जाती है।

मात्र 0.3 सेकंड में दर्ज हो जाती है स्पीड

जीपीएस, साउंड मीटर, स्पीड रडार व टिंट मीटर जैसी आधुनिक तकनीक से लैस ट्रैफिक इंटरसेप्टर वाहन न केवल हाईस्पीड वाहनों पर नजर रख रहा है, बल्कि उनका वीडियो बनाने के साथ पुख्ता सबूत के साथ पकड़ भी रहा है। जिले में अक्टूबर 2021 से इंटरसेप्टर वाहन तैनात है। यह वाहनों की स्पीड एक किलोमीटर दूर से ही कैमरे में कैद कर लेता है। स्पीड रडार में लगे लेजर तकनीक कैमरे की रिजोल्यूशन क्षमता 800 मीटर है, जिससे वाहन की रफ्तार को भी ट्रेक किया जा सकता है। स्पीड लिमिट तोड़ने पर मात्र 0.3 सेकंड में रफ्तार मापी जाती है। इसके बाद दल वाहन पकड़कर चालानी कार्रवाई करता है। वाहन में टिंट मीटर (कांच की दृष्यता मापने का उपकरण) लगा है।

गति पर अकुंश के लिए प्रयास

हाईवे पर 11 ब्लैक स्पाट चि-ति किए गए हैं। इन स्थानों पर गति नियंत्रण के लिए बेरिकेड्स, गति सीमा व डेंजर जोन के बोर्ड व अन्य संकेतक लगाए गए हैं। स्कूल-कालेजों व सार्वजनिक स्थलों पर भी हाईवे के सर्विस रोड से अतिक्रमण हटाया गया है। चौराहों पर जिगजोन व बेरिकेड्स लगाए गए हैं। केटआइ व ब्लिंकस की संख्या भी बढ़ाई गई है।

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तेजगति से वाहन चलाने वाले चालकों को इंटरसेप्टर वाहन की मदद से पकड़ा जाकर उनके खिलाफ चालानी कार्रवाई की जा रही है। हर दिन चार से पांच चालक तेजगति से वाहन चलाते पाए जाते हैं। कार्रवाई के साथ ही उन्हें समझाइश भी दी जाती है। -अनिलकुमार राय, डीएसपी ट्रैफिक (साभार)

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