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पिता की हत्या के दो आरोपित पुत्रों को आजीवन कारावास

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कुएं में मिला था पिता का शव, पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत पानी में डूबने से होना पता चली, जांच के बाद पुलिस को पता चला कि दोनों पत्रों ने ही पिता को कुएं में फेंका था।

 रतलाम । पिता की हत्या करने के अभियुक्त पुत्रों 41 वर्षीय भरतलाल भाभर पुत्र सोमाजी भाभर व 32 वर्षीय गणेश भाभर को न्यायालय ने भादंवि की धारा 302/34 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोनों पर तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना भी किया गया। फैसला द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश अरुणकुमार खरादी ने सुनाया।

प्रकरण यह है कि 19 अक्टूबर 2016 को ग्राम भाटी बड़ोदिया में किसान जानकीलाल के कुएं में सोमाजी का शव मिला था। शव सड़ने से शरीर पर चोट के निशान दिखाई नहीं दिए थे। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत पानी में डूबने से होना बताया गया था। पुलिस ने मर्ग कायम कर जांच तत्कालीन एएसआइ मुकेश यादव को सौंपी। जांच में यादव ने सोमाजी के पुत्रों भरतलाल व गणेश के बयान लिए तो उनके बयानों में विरोधाभास आया था। इससे पुलिस को शंका हुई, जांच के दौरान जानकारी मिली कि भरतलाल, गणेश व उनके काका ने सोमाजी को मारकर कुएं में फेंका है। इस पर पुलिस ने तीनों को हिरालत में लेकर पूछताछ की उन्होंने बताया कि 16 अक्टूबर 2016 की रात सोमाजी ने अपनी पत्नी गुलाबबाई के साथ मारपीट कर छोटे पुत्र गणेश को चाकू मार दिया था। गुलाबाई के हाथ व गणेश की पीठ पर चोट आई थी। इसे लेकर भरत व गणेश नाराज हो गए थे। उन्होंने अपने काका 46 वर्षीय मोहन भाभर के साथ मिलकर पिता सोमाजी के साथ लाठी व लात-घुंसों से मारपीट की थी। इससे सोमाजी घायल हो गया था। वह घर से कुछ दूर मुक्तिधाम रोड पर हैंडपंप के पास गिरकर बेहोश हो गया था। पुत्रों व उनके काका ने उसे मरा समझकर सबूत मिटाने के लिए गांव के जानकीलाल के कुएं में फेंक दिया था, ताकि पुलिस यह माने की सोमाजी की मौत पानी में डूबने से हुई है।

बड़े पुत्र ने ही पुलिस को दी थी सूचना
घटना के तीन दिन बाद 19 अक्टूबर 2016 को बड़े पुत्र भरतलाल ने बिलपांक पुलिस को सूचना दी थी कि उनके पिता की कुएं में डूबने से मौत हो गई है। शव जानकीलाल के कुएं में मिला है। पुत्रों ने पुलिस को गुमराह करने के लिए पिता के लापता होने की सूचना भी पुलिस को नहीं दी थी। जांच के बाद पुलिस ने भरतलाल, गणेश व उनके काका मोहन के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज कर तीनों को गिरफ्तार कर लिया था। सुनवाई के बाद न्यायालय ने भरतलाल व गणेश को सजा सुनाई। दोनों को भादंवि की धारा 201 में तीन-तीन वर्ष के सश्रम कारावास की सजा व दो-दो हजार रुपये का जुर्माना से भी दंडित किया। जुर्माना जमा नहीं कराने पर उन्हें छह-छह माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा। वहीं आरोप प्रमाणित नहीं होने पर मोहन को दोषमुक्त किया गया। प्रकरण में शासन की तरफ से पैरवी अपर लोक अभियोजक तरुण शर्मा ने की।(साभार)

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