झाबुआ

जयस कार्यकर्ताओं पर झाबुआ पेट्रोल पंप पर खुलेआम महिला और कर्मचारियों से मारपीट का आरोप!

Published

on

पीड़ित महिला द्वारा सीसीटीवी फुटेज एवं प्रत्यक्ष गवाहों के बयान के आधार पर जयस कार्यकर्ताओं पर कार्यवाही करने की अपील।

कब लगेगा अंकुश

  • 2021 झाबुआ के राणापुर में एक विरोध प्रदर्शन में जयस कार्यकर्ताओं द्वारा कहा गया,”SP (पुलिस अधीक्षक) की आदिवासियों से फ ट ती है क्या?,इन गां डू लोगों(सामान्य वर्ग,ओबीसी, एससी) ने दुकानें बंद कर रखी हैं!अन्य वर्गों के लिए कुत्ते शब्द का उपयोग एवं इस प्रकार की कई सारी अभद्र बातें राणापुर बंद के दौरान बस स्टैंड पर 200 पुलिसकर्मियों की उपस्थिति में जयस कार्यकर्ताओं द्वारा कही गई।
  • 15 नवंबर 2022, को रतलाम ग्रामीण में सांसद गुमान सिंह डामोर के काफिले का ‘हिंसक घेराव एवं पत्थरबाज़ी’ जयस संगठन द्वारा किया गया।काफिले में बड़ी मात्रा में पुलिस बल के साथ जिला कलेक्टर एवं पुलिस अधीक्षक, सांसद डामोर के साथ मौजूद थे!
  • सितंबर 2020,मध्यप्रदेश की संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर द्वारा लगातार हो रही घटनाओं के चलते जयस को ‘देशद्रोही’ संगठन की संज्ञा दी गई!
  • 19 नवंबर 2022,झाबुआ भारतीय जनता पार्टी के नवनिर्वाचित जिला अध्यक्ष भानु भुरिया(आदिवासी समाज) द्वारा जिला अध्यक्ष बनने के बाद पत्रकारों से किए गए अपने पहले संवाद में कहा गया कि, ‘जयस संगठन केवल सोशल मीडिया तक सीमित है, ज़मीन पर जयस शून्य है,लेकिन ऐसे “देश विरोधी” संगठनों की सच्चाई समाज के सामने लाना जरूरी है!’

राणापुर घटना समाचार लिंक: https://fb.watch/gVIkDp86lX/

19 नवंबर झाबुआ की घटना, FIR एवं पीड़ित की जुबानी

झाबुआ नगर के विजय स्तंभ चौराहा स्थित छाबड़ा पेट्रोल पंप पर अपनी गाड़ी में ‘पहले’ पेट्रोल भरवाने की बात को लेकर झगड़े एवं मारपीट की घटना सामने आई।
पीड़ित पेट्रोल पंप मालिक द्वारा FIR में कहा गया कि आरोपी राजू डामोर (जयस जिला अध्यक्ष विजय डामोर का भाई),द्वारा अपनी गाड़ी में पहले पेट्रोल भरवाने की बात पर पंप कर्मचारियों से गाली गलौज एवं झगड़ा शुरू किया गया। कर्मचारी द्वारा गाली नहीं देने का कहने पर राज द्वारा अपने अन्य साथियों को बुला लिया गया एवं पंप कर्मचारी के साथ मारपीट की गई।बीच बचाओ के लिए आने पर पेट्रोल पंप की मालिक महिला श्रीमती सिसोदिया को भी चोट आना बताया गया। आरोपी इस बार छोड़ देने एवं अगली बार जान से मार देने की धमकी देकर पंप से चले गए।
उल्लेखनीय है कि हर पेट्रोल पंप पर सीसीटीवी कैमरे लगे रहते हैं, इस बात की जानकारी होते हुए भी, बिना पुलिस प्रशासन के डर के अपराधियों द्वारा इस घटना को अंजाम दिया गया।यह घटना अपराधियों में पुलिस के डर एवं आम लोगों की सुरक्षा पर गंभीर सवालिया निशान लगाती है।
हालांकि मीडिया से बात करने पर जयस जिला अध्यक्ष विजय डामोर द्वारा अपने भाई राज डामोर को जयस का कार्यकर्ता नहीं होना बताया गया,जबकि पीड़ित कर्मचारी, स्थानीय लोगों एवं प्रत्यक्षदर्शी,आरोपियों के जयस कार्यकर्ता होने का दावा कर रहे हैं।थाना कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई है।

कथित रूप से कुछ महीनों पूर्व झाबुआ के एक अन्य पेट्रोल पंप पर पुलिसकर्मियों की पिटाई जैसे संगीन मामलों में सूत्रों के मुताबिक जयस से जुड़े इन्हीं लोगों के शामिल होने की बात सामने आई है।
लगातार बढ़ती जा रही ऐसी घटनाओं से सामान्य वर्ग के लोगों में जयस के नाम की दहशत व्याप्त है।

झाबुआ जिले में इससे पूर्व आदिवासी समाज सुधारक संघ के संरक्षक प्रेम डामोर(आदिवासी समाज) द्वारा जयस के लोगों पर ग्रामीण क्षेत्रों में घूम कर सामान्य वर्ग के प्रति आदिवासियों को भड़काने,आदिवासियों को राम-राम ना बोलकर जय जोहार बोलना सिखाने,हिंदू देवी देवताओं का अपमान करने, लेकिन,आदिवासियों के कथित अवैध ईसाई धर्मांतरण पर खामोशी साधने जैसे गंभीर जातिवादी एवं सांप्रदायिक षड्यंत्रों में लिप्त होने की बात पत्रकारों को बताई गई थी।

जयस का संक्षिप्त इतिहास

पांचवी एवं छठी अनुसूची,वनाधिकार कानून एवं पैसा कानून को आधार बनाकर आदिवासियों के हित एवं अधिकारों की लड़ाई लड़ने की बात को कह कर जयस संगठन द्वारा आदिवासी समाज में एंट्री की गई।अपनी उत्पत्ति के बाद जयस संगठन के चलते ही टंट्या मामा, बिरसा मुंडा,भीमा नायक एवं राणा पूंजा भील जैसे महानायकों के नाम आदिवासियों के गौरव के रूप में समाज के सामने उभर कर आए। इससे पूर्व इन जनजाति महानायकों के नाम वर्तमान के पटल पर कोई संगठन नहीं ला पाया था। गुजरात, राजस्थान एवं मध्य प्रदेश के विभिन्न आदिवासी बाहुल्य जिलों में, शासन प्रशासन द्वारा, आदिवासी कर्मचारी-अधिकारियों एवं आदिवासी समाज के उत्पीड़न एवं प्रताड़ना के विरुद्ध जयस ने आवाज उठाई।तत्परता एवं मुखरता से आदिवासियों के पक्षधर के रूप में जयस द्वारा उग्र शैली अपनाते हुए अपने कार्य का विस्तार किया गया। समय के साथ जयस संगठन पर ईसाई मिशनरियों के हाथों की कठपुतली होने के आरोप लगे।आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों में कथित रूप से लोभ प्रलोभन देकर करवाए जा रहे धर्मांतरण पर जयस ने हमेशा चुप्पी साधे रखी।

इसको आधार बनाते हुए हिंदू संगठनों द्वारा जयस संगठन को देश के खिलाफ एवं नक्सलवाद से प्रेरित एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा बताया गया।

समय के साथ विशुद्ध रूप से सामाजिक संगठन के रूप में शुरू हुए जयस संगठन द्वारा कांग्रेस का दामन थाम कर विधानसभा चुनाव लड़ा गया एवं हीरालाल अलावा मनावर से विधायक बने।

वर्तमान में जयस संगठन के कम से कम दो अलग-अलग गुट स्पष्ट रूप से सोशल मीडिया पर सक्रिय रहते हैं। एक गुट अपने आपको समाजसेवी सिद्ध करने पर तो दूसरा गुट समाज के उद्धार के लिए राजनीतिक वर्चस्व के महत्व पर जोर देता दिखाई देता है।

भानु भूरिया से सामान्य वर्ग,ओबीसी और एससी वर्ग की उम्मीदें

विविध चुनावों में विरोधी दलों को साधने के अलावा सामाजिक एवं नैतिक तौर पर जिलाध्यक्ष भानु भूरिया की ओर आज समाज का प्रबुद्ध वर्ग सुशासन की आस लगा कर बैठा है।
जयस से कथित रूप से मैत्रीपूर्ण संबंध होने,जयस से संबंध रखने वाले अधिकारियों के कथित रूप से ट्रांसफर में मदद करने,कथित रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कांग्रेसी एवं जयस से जुड़े लोगों के साथ फोटो एवं बधाई संदेश आदि के आधार पर भानु भूरिया को जयस अनुरागी कहा जाता है। पत्रकार भानु भुरिया से जयस के संबंध में ही प्रश्न पूछते हैं। राणापुर पंचायत चुनाव में निर्विरोध अध्यक्ष मनोनीत करवा लेने के पीछे जयस समेत अन्य विरोधी विचारकों में अच्छी पैठ रखना, भानु भूरिया की उपलब्धि का सबसे बड़ा कारण बताया जाता है।
वहीं नगरीय क्षेत्रों में सर्व समाज सर्व संगठन में भी भानु भूरिया की उज्ज्वल एवं साफ-सुथरी छवि है।कोई आरोप अथवा आक्षेप नहीं है। नगर के समाजसेवियों एवं गणमान्य नागरिकों के बीच भानु भुरिया का नाम सम्मान से लिया जाता है,कोई अप्रिय अतीत नहीं है।

आदिवासी बाहुल्य जिले झाबुआ में 85% आबादी जनजाति समाज की है। इस आधार पर सामान्य, ओबीसी एवं एससी वर्ग अल्पसंख्यक हैं। जनसंख्या के आधार पर झाबुआ जिले में इस अल्पसंख्यक वर्ग पर संगठन विशेष द्वारा लगातार अत्याचार बढ़ते दिखाई देते हैं।अधिकांश मामलों में डर के मारे पीड़ित पुलिस रिपोर्ट तक दर्ज नहीं करवाते।व्यापारी सबसे अधिक प्रताड़ित हैं।
ऐसी स्थिति में संख्या के आधार पर अल्पसंख्यक वर्ग की सुरक्षा,अधिकारों की रक्षा एवं स्वाभिमान से जीवन यापन की जिम्मेदारी नवनिर्वाचित जिला अध्यक्ष भानु भूरिया के कंधों पर भी है।थानों में जिलाध्यक्ष का वर्चस्व होता है,जिसका अनुचित उपयोग जिले के शांति सौहार्द को भंग करने के लिए काफी है।

ब्यूरो रिपोर्ट

हिमांशु त्रिवेदी,अध्यक्ष पत्रकार महासंघ,सह-संपादक प्रदेशिक जन समाचार,झाबुआ

Trending