थांदला (वत्सल आचार्य) जीवन का अंतिम शाश्वत सत्य है मृत्यु जिसे कोई भी बदल नही सकता परिवर्तित भी नही कर सकता। जीव जितना आयुष्य लेकर आया है उतना ही भोग कर विदा हो जाता है फिर मृत्यु का निमित्त दुर्घटना बीमारी आदि बने या न भी बने यह मायने नही रखता। थांदला नगर के ज्योति दूत स्व. शैतानमल नाहर की बड़ी सुपुत्री पायल नाहर अपने पति सुमित प्रकाशचंद्र चोपड़ा व दो बेटी मिष्टी (7वर्ष) व क्विना (4वर्ष) के साथ कुशलगढ़ में खुशहाल जीवन व्यतीत कर रही थी कि अचानक ही हृदयगति रुक जाने से उसका महज 38 वर्ष की अल्पायु में निधन हो गया। उसके निधन के समाचार ने जैन जेनेत्तर जगत में हलचल मचा दी। इस अविश्वसनीय घटना से हर कोई सदमे में आवाक सा रह गया। उक्त समाचार पंजाब में विहाररत मालवा निमाड़ गौरव, तपकेसरी, उग्र विहारी, महाअभिग्रहधारी वर्तमान के गुरु वेणी, सर्व धर्म दिवाकर, शेर-ए-पंजाब डॉ राजेशमुनिजी म.सा. को पता चली तो उन्होनें पत्राचार के माध्यम से शोक संतप्त चौपड़ा व नाहर परिवार को धर्म संदेश देते हुए कहा कि जीवन में सुख – दुख, संकट सदा आते जाते रहते है, इससे एक मात्र धर्म की शरण से ही शांत रहा जा सकता है व बचा जा सकता है। पूज्यश्री ने कविता के माध्यम से दोनों परिवार में छाए संकट के बादल को व्यक्त कर उससे उभरने की प्रेरणा दी। पूज्य श्री ने कहा कि पायल का जीव इस भव में अल्पायु लेकर आया था परंतु उसने धर्म आराधना करते हुए शुभ अध्यावसायों में अपना जीवन बिताया व अंत समय में भी गुरु दर्शन व साधर्मी भक्ति के भाव उसके मन में रहे जिससे उसका जीव शुभ गति में ही गया होगा व जल्द ही ऐसी आत्मा अपना मोक्ष लक्ष्य भी प्राप्त करेगा। आप भी जिनेन्द्र गुरुदेव की भक्ति कर अपने जीवन को आर्तध्यान से हटाकर धर्मध्यान में लगाए। पूज्य श्री के आशीर्वचन से दोनों ही परिवार को इस दुःख की घड़ी से उभरने का साहस व सम्बल मिला है इसके लिए दोनों ही परिवार ने गुरुदेव के प्रति उपकार माना है। उल्लेखनीय है कि अणु बालिका मण्डल की पूर्वाध्यक्ष, महावीर जैन पाठशाला संचालिका स्वाध्यायी श्रीमती पायल सुमित चौपड़ा थांदला निवासी वरिष्ठ पत्रकार व स्वाध्यायी पवन नाहर की छोटी बहन थी जिसका असामयिक निधन 15 नवम्बर को कुशलगढ़ में हो गया था।