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चमत्कार ही नहीं, बाबा जी की मानव सेवा से भी प्रभावित थे उनके भक्त*******96वां जन्मोत्सव कार्यक्रम:सत्य साईं बाबा की जयंती पर विशेष

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चमत्कार ही नहीं, बाबा जी की मानव सेवा से भी प्रभावित थे उनके भक्त

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96वां जन्मोत्सव कार्यक्रम:सत्य साईं बाबा की जयंती पर विशेष

रतलाम से वान्या सोनी

सत्य साईं बाबा आध्यात्मिक गुरुओं में से एक हैं। आज 23 नवंबर को उनका 96 वां जन्मदिवस है। बाबा का जन्म 23 नवंबर 1926 को आंध्रप्रदेश के पुट्‍टपर्थी गांव में हुआ था। वहां पर उन्होंने अपने जीवन के 85 वर्ष तक शांतिपूर्ण जीवन बिताएं और 24 अप्रैल 2011 को अपनी देह त्याग दी थी। बाबा हमेशा अपने भक्तों को कहते थे कि हमें जरूरतमंद व्यक्तियों वं रोगियों की सेवा बिना किसी लालच के करनी चाहिए।

बड़े बड़े लोगों तक पर प्रभाव

भक्तों का मानना है कि बाबा जी शिरडी के साईं बाबा के अवतार थे। साईं बाबा जी ने अपनी देह त्यागने से पहले ही कह दिया था कि वे अगली बार धरती पर कब जन्म लेंगे। उन्होंने समाज को जीने की नई राह दिखाई, सत्य पर चलना सिखाया। वहीं क्रिकटेर से लेकर राजनीति और फिल्मी दुनिया तक बाबा जी को मानते हैं। बता दें, पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव, अटल बिहारी वाजपेयी, मनमोहन सिंह आदि भी बाबा को गुरुतुल्य मानते थे।

14 साल की उम्र में बदला स्वरूप

सत्या साईं बाबा का पूरा नाम सत्यनारायण राजू था। कहा जाता है कि 13 साल तकतो बाबा जी एक सामान्य बालक की ही तरह रहे। मगर एक बार उन्हें जहरीले बिच्छू के काटने पर काफी देर तक बेहोशी छाई रही। फिर होश में आने के बाद वे बदल से ही गए। बाबा को जब होश आई तो वे धाराप्रवाह से संस्कृत बोलने लगे। कहा जाता है कि बाबा जी इस भाषा के बारे में पहले से कुछ भी नहीं जानते थे।

बाबा और उनके चमत्कार

कहा जाता है कि इसके बाद 1 साल के अंदर ही उन्होंने  खुद को शिरडी वाले साईं बाबा का अवतार घोषित कर दिया था। शिरडी के साईं बाबा जी भी बहुत चमत्कार दिखाने वाले थे। मगर सत्य साईं बाबा जी भक्तों को बेहद चमत्कार दिखाते थे। बता दें, बाबा जी के कई चमत्कारों को सिर्फ जादुई ट्रिक तक साबित करने का प्रयास भी किया था।

दुनिया भर में फैले भक्त

सत्य साईं बाबा के भक्त दुनियाभर में फैले हुए थे। भारत के साथ विदेशों में लाखों भक्त हैं। बाबा जी के आध्यात्मिक स्थल प्रशांति निलयम में रोजाना दिन-रात विदेशी भक्त भी दर्शन करने आते जाते रहते हैं। इसी कस्बे में एक विशेष हवाई अड्डा बना हुऐ है। यहां पर दुनिया के अनेक हिस्सों से बाबा के भक्तों के चार्टर्ड विमान आते हैं। इसी कारण आंध्र प्रदेश का छोटा-सा गांव पुट्टपर्थी अंतरराष्ट्रीय स्तर भी मशहूर रहा है।

सेवा की मिसाल

बाबा जी अपनी सेवा भाव से भी जाने जाते थे। कहा जाता है कि 20 वीं सदी में जब आंध्र प्रदेश में बुरा अकाल पड़ा गया था। उस दौरान सत्यसाईं बाबा ने ही 750 गांवों के लिए पानी की व्यवस्था की थी। बाबा जी ने आध्यात्मिक उपदेशों के साथ सामाजिक क्षेत्र में भी अनेक सेवाएं प्रदान की थी। बाबा जी ने मानव सेवा को ही सबे बड़ा धर्म कहा था। इसकी शुरुआत पुट्टपर्थी में एक छोटे से अस्पताल के निर्माण के साथ शुरु की गई। जहां पर अब 220 बिस्तर हैं और जिसने सुपर स्पेशलिटी सत्य साई इंस्टीट्यूट ऑफ हायर मेडिकल साइंसेस का रूप ले लिया है।

दान की विशाल मात्रा

सत्य साईं बाबा जितनी ख्याति शायद ही दुनियाभर में अब तक किसी संत की हुई हो। कहा जाता है कि उनके आश्रम को हर साल करोड़ों-अरबों का दान मिलता रहता था। वहीं उनके आश्रम में जितनी दान की राशि है उसको लेकर आजकल कोई सही जानकारी नहीं मिल पाई है। मगर फिर भी साईं के जीवित रहते हर साल अरबों का दान आता था। इसी राशि से बाबा जी  ने कई अस्पताल, स्कूल, आश्रम और पीने के पानी आदि का निर्माण करवाया था। ऐसे में बाबा जी की ख्याति और बढ़ गई थी।

सत्य साईं बाबा जी ने 24 अप्रैल 1911 को देह त्याग दी। इससे पहले वे महीनेभर के लिए अस्पताल में रहे थे। इसके साथ ही बाबा जी ने फिर से दूसरे शरीर के साथ पृथ्वी पर वापस जन्म लेने की भविष्यवाणी तक कर दी थी। बता दें, बाबा जी की संपत्ति की देखरेख और कार्य सत्यसाईं सेंट्रल ट्रस्ट ही करता है। उन पर लगे आरोपों को हमेशा ही छोटा करते रहे और वो कभी सत्य साबित नहीं हो पाएं।

 

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