RATLAM

हत्यारों को उम्र कैद : आक्रोशित हारी तीन बंधुओं ने ले ली जान, अब आजीवन रहेंगे जेल के मेहमान

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इसी साल 23 फरवरी को हुई थी घटना

ठीक 9 महीने बाद 23 नवंबर को मिला परिवार को न्याय

रतलाम। मामूली बात में को लेकर आक्रोशित हुए हारी बंधुओं ने आव देखा न ताव और व्यक्ति को उबलते हुए पानी में फेंक दिया। उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। हत्या का प्रकरण जिला न्यायालय में प्रस्तुत हुआ जहां पर बुधवार को प्रधान न्यायाधीश ने तीन आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए अर्थदंड से दंडित किया।

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश राजेशकुमार गुप्ता ने ब्याटोंक निवासी 32 वर्षीय कैलाश निनामा की हत्या के आरोपी 32 वर्षीय पंकज हारी पिता कालू हारी, 29 वर्षीय दिनेश हारी पिता वारजी हारी व 19 वर्षीय कैलाश हारी पिता नारायण हारी तीनों सेमलिया ग्राम थाना बाजना के निवासी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई और एक एक हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया।

 

                                                                                                                          अस्पताल में उपचाररत कैलाश निनामा (फाइल फोटो 24 फरवरी 22)

छत नहीं भरने की बात को लेकर हुआ था विवाद

लोक अभियोजक विमल छिपानी ने हरमुद्दा को घटना की जानकारी देते हुए बताया कि फरवरी 2022 की बात है जब ब्याटोंक निवासी 32 वर्षीय कैलाश निनामा अपने परिचित योगेश हरी के यहां पर कार्यक्रम में आया था। रात को कैलाश निनामा भोजन करके योगेश हारी के घर के आंगन में खड़ा था। तभी आरोपी पंकज हारी, दिनेश हारी व कैलाश हारी कैलाश के पास पहुंचे। बातों ही बातों में हारी बंधु आक्रोशित हुए और अपशब्द कहने लगे। आरोपी दिनेश ने कैलाश निनामा से कहा कि वह उसके भाई महिपाल के मकान की छत क्यों नहीं भर रहा है। कैलाश निनामा ने कहा था कि आप लोग सामान व रुपया दोगे तो वह छत भर देगा। इस पर विवाद करते हुए पंकज ने कैलाश के साथ मारपीट की।

गाली गलौज करने से मना किया तो तीनों ने उठाकर फेंक दिया गर्म पानी के तपेले में

जब कैलाश ने जब कैलाश नहीं तीनों लोगों को ऐसा करने से मना किया तो उन्होंने मिलकर उसे उठाकर पास में रखे गर्म पानी से भर तपेले में डाल दिया था। इस घटना में कैलाश बुरी तरीके से झुलस गया।

तीन दिन बाद इंदौर में हुई थी मौत

तत्काल कैलाश को बाजना के सरकारी अस्पताल ले गए, जहां से जिला अस्पताल ले जाकर भर्ती कराया था। कैलाश की सेहत में सुधार होता हुआ नजर नहीं आया तो उसे एम वाह हॉस्पिटल इंदौर रेफर कर दिया गया, जहां पर उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। पैतृत गांव ब्याटोंक मैं अंतिम संस्कार किया गया।

बाद में बढ़ाई थी हत्या की धाराएं

उसकी मौत की खबर से लोगों में रोष फैल गया था। बड़ी संख्या में लोगों ने उसके घर पहुंचकर आरोपियों को गिरफ्तार करने की मांग की थी। ज्ञातव्य है कि फरियादी सुरेंद्र चरपोटा की रिपोर्ट पर इस मामले में पुलिस ने पहले जानलेवा हमले का मामला दर्ज किया था। कैलाश की मौत के बाद प्रकरण में हत्या की धारा बढ़ाई गई थी। प्रकरण में शासन की तरफ से लोक अभियोजक विमल छिपानी ने पैरवी की।(हरमुद्दा से साभार)

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