गांव में स्ट्रीट लाइट के पोल लंबे समय से खड़े है, परन्तु इन पर बल्व आदि लगाए ही नहीं है, ऐसे में घरों को छोड़कर पूरा गांव रात में अंधेरे में डूबा रहता है। एक हैंडपंप पर पूरा गांव आश्रित है जो गर्मी में रूक जाता है। लोग आसपास के कुए से पेयजल लाते है। ग्रामीणों ने बताया कि बामनखेड़ा में 50 वर्षों से भी अधिक समय से लोग रहते है, लेकिन गांव राजस्व रिकार्ड में कालाखेड़ी मजरा के नाम से ही दर्ज चला आ रहा है। जबकि इसको मूल गांव बामनखेड़ा में परिवर्तित कराने के लिए काफी प्रयास किए है और आगे भी जारी है।
क्या कहते ग्रामीण
यहां केवल शासकीय प्राथमिक विद्यालय है। गांव के परेसिंह परिहार, लोकेन्द्रसिंह परिहार, तेजपालसिंह परिहार, भगवानलाल राठौड, प्रहलादसिंह परिहार, बद्रीलाल सूर्यवंशी, रामचंद्र सूर्यवंशी,कालूराम सूर्यवंशी, शंकरलाल सूर्यवंशी, बद्रीलाल, श्यामलाल, फतेसिंह, सुमेरसिंह का कहना है कि ग्राम पंचायत मौरिया क्षेत्र के इस गांव में नाली और प्रकाश, पेयजल की समस्या है। सीसी रोड बनाया तो नालियों नहीं बनाई गई। इस कारण गांव के घरों का निकला पानी फैलता है और गंदगी बनी रहती है।
कच्चे रास्तों से गुजरते आज भी लोग
गांव के लोगों ने सबसे बड़ी समस्या यह बताई कि ग्राम मौरिया से करीब तीन एवं कालाखेड़ी से दो किलोमीटर दूर बामनखेडा का रास्ता पुराना कच्चा, पथरीला ही है, जो वर्षाकाल में कीचडय़ुक्त हो जाता है, जिससे आना-जाना मुश्किल होता है। इसकी भी कोई सूध नहीं ले रहा है, जबकि इन उबड़-खाबड़ रास्ते पर होकर गांव के पचास से अधिक बच्चे प्रतिदिन साइकिल या पैदल तीन किलोमीटर दूर माध्यमिक, हाइस्कूल मौरिया पढऩे जाते-आते हैं और गांव के लोगों की परेशानी भी यही है।
इनका कहना
सुदूर सड़क योजना अभी बंद है जैसे ही चालू होगी तो बामनखेड़ा को इस योजना का लाभ प्राथमिकता से दिया जाएगा, पेयजल समस्या का समाधान निर्मल नीर योजना मे कुए का निर्माण कराकर किया जाएगा। नाली, प्रकाश व्यवस्था के लिए सरपंच सचिव को बोलता हूं।
आर के वाकतारिया, सीईओ जनपद आलोट ।