झाबुआ

वन विभाग द्वारा गड्ढों(पौधारोपण)के लिए जेसीबी का उपयोग किया जा रहा और मुनारा निर्माण के लिए निर्धारित मात्रा से कम सीमेंट उपयोग जा रही ….विभागीय मनमानी का आलम

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झाबुआ – झाबुआ वन विभाग में मनमानी का आलम बढ़ता जा रहा है जहां विभागीय अधिकारी और कर्मचारियों की सांठगांठ से शासन के नियमों के विपरीत कार्य किया जा रहा है और नियम अनुसार निर्माण कार्य में लगने वाली सामग्री में भी कमी पेशी कर उपयोग या प्रदाय की जा रही है जिससे उसकी गुणवत्ता को लेकर प्रश्न चिन्ह बना हुआ हैं ।

जानकारी अनुसार वन विभाग द्वारा पौधारोपण करने के लिए गड्ढे और कंटूर निर्माण के लिए भी गड्ढे खोदना होते हैं जिसके लिए नियम अनुसार मनरेगा के तहत कार्य या गड्ढा खुदाई कार्य मजदूरों से किया जाना चाहिए । लेकिन विभाग द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसरों को सुलभ न बनाते हुए जेसीबी का उपयोग कर पौधारोपण के गड्ढों के लिए किया जा रहा हैं ।. जिले के रामा ब्लॉक की चुड़ैली ग्राम अंतर्गत पौधारोपण के गड्ढे और कंटूर निर्माण के लिए जेसीबी का उपयोग सतत किया जा रहा है वही झाबुआ ब्लॉक के पिटोल बावड़ी ग्राम में भी वन विभाग द्वारा उक्त कार्यों के लिए मजदूरों का उपयोग ना करते हुए जेसीबी का उपयोग किया जा रहा है । जिससे शासन की योजना अंतर्गत ग्रामीणों को मनरेगा के तहत रोजगार उपलब्ध नही करवा पा रहे हैं लेकिन विभाग द्वारा इस और ध्यान नहीं दिया जा रहा है वहीं दूसरी ओर सूत्रों के अनुसार वन विभाग द्वारा जिले में वन सीमा बनाए जाने के लिए मुनारा का निर्माण किया जाता है जिसके तहत ईट, रेत और सीमेंट का उपयोग किया जाता है वही एक मुनारा र्निर्माण के लिए शासकीय नियम अनुसार करीब पांच सीमेंट के बैग उपयोग किया जाता हैं लेकिन विभाग द्वारा इस निर्माण कार्य के लिए मात्र 3 बैग सीमेंट ही उपयोग की जा रही या प्रदाय की जा रही हैं जिससे निर्माण की गुणवत्ता को लेकर भी प्रश्न चिन्ह बना हुआ है वही संभवत मुनारा निर्माण कार्य में अनुसार पांच बैग के हिसाब से बिल लिए जा रहे हैं । जबकि उपयोग में या निर्माण के लिए तीन बैग ही दिए जा रहे हैं । इस प्रकार एक मुनारा निर्माण कार्य में दो बैग कम दिए जा रहे हैं तो जितने निर्माण कार्य उसका दुगने बैग कम देकर , संबंधित फर्म से बिल लेकर, कहीं आर्थिक लाभ पहुंचाने का प्रयास तो नहीं किया जा रहा है यह जांच का विषय है……। सूत्रों से यह भी पता चला है कि संभवत है इसकी जानकारी वन मंडलाधिकारी झाबुआ को भी नहीं है । तो फिर कम सीमेंट का खेल किस के संरक्षण में खेला जा रहा है यह जांच का विषय है ।

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