श्रद्धा की हत्या ने जनमानस को झकझोर दिया है। इससे हमारे व्यवहार, चरित्र, रहनसहन, संस्कृति पर विचार करना आवश्यक हो गया है; विशेषकर युवाआंे के जीवन के प्रति उनके दृष्टिकोण और आचरण पर। अधिकतर होता यह है कि कोई दुर्घटना होती है, उस पर कार्यवाही होती है, परिणाम आता है,और सब भूल जाते है। आवश्यक यह है कि प्रत्येक अवांछनीय घटना से कुछ सिखना चाहिए, व्यक्ति और समाज दोनो को। नए सामाजिक परिवेश के कारण एक विशेष प्रकार की आधुनिकता आ गई है जिसमे किसी नियम सयंम का पालन करना रूढ़िवादी माना जाने लगा है। वास्तव में युवा भ्रमित हो रहे है, विशेषकर युवतिंया। एक युवती होने के नाते मैं इस बात को अधिकार पूर्वक कह सकती हूं।
वर्तमान मे एक बॉयफ्रेंड रखना लडकियों मे फैशन हो गया है। इसमे एक तरह की प्रतिस्पर्धा लड़कियों मे होने लगी है। यह प्रवृत्ति माध्यमिक स्तर से ही प्रारम्भ हो गई है। यह बिना विचारे ही किया जाता है। माध्यमिक स्तर पर उचित अनुचित सोचने विचारने की बुद्धि भी नही होती। बड़े होने पर यह प्रवृत्ति बढ़ जाती है। जिसके कई दुष्परिणाम होते है। लिव इन सम्बन्ध इसी फैशन का परिणाम है। इस फैशन के कारण ही कई जीवन बर्बाद होते देखे हैं। श्रद्धा का प्रकरण सामने ही हैं। इससे लड़कियों को शिक्षा लेनी चाहिए। इसलिए मित्रता और लीव इन रिलेशनषीप (बिना शादी के साथ रहना) के बारे मे युवतियों से संवाद करना चाहती हूं। इसे मैं अपना अधिकार और कर्तव्य समझती हूं।
लिव इन सम्बन्ध अवैध ही नही, अनैतिक भी है। लड़कियों को इससे बचना चाहिए। इसी में उनकी भलाई है। मेरी बात को रूढ़िवादी ना समझा जाए। इस पर विवेक से विचार किया जाए। वैसे भी लिव इन रिलेशन को वैधानिक मान्यता नहीं है, नैतिक तो हो ही नहीं सकती। सामाजिक नियम और व्यवस्थांए व्यक्तियों के हित के लिए ही बनाए गए है। इससे समाज और परिवार में व्यवस्था बनी रहती है। वैसे भी समाज अब बहुत बदल गया है। अब बहुत कड़े सामाजिक नियम नहीं है। अतः उनका अनुचित लाभ नही उठाना चाहिए।
लड़कियों को हर किसी पर विश्वास नहीं करना चाहिए। शारीरिक दुरी बनाए रखना आवश्यक है। कोई भ्रमित करने का प्रयास करे तो सचेत रहना चाहिए। लड़का कितना भी करीबी रिश्तेदार हो, इस नियम का पालन करना आवश्यक है। आजकल लड़कियों में लड़को की तरह व्यवहार करने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। इसे आधुकिता का प्रतिक माना जाने लगा है। नजदीकियंा कब अनुचित सम्बन्धो में बदल जाती है पता ही नहीं चलता। इसके दुष्परिणाम लड़कियों को ही भुगतने पड़ते है।
लड़कियों को यह याद रखना चाहिए की वे मन से लड़का बन सकती है; किन्तु शरीर से नही। आधुनिक युग में खुल कर जीवन जी सकती है, जीना भी चाहिए; लेकिन यह कभी नहीं भुलना चाहिए की वह एक लड़की है। यह समझ माताओं द्वारा अपनी पुत्रियों को दी जानी चाहिए। वर्तमान में परिवार और समाज लड़कियों को विकास और प्रगति के सभी अवसर प्रदान करते है। इसका दुरूपयोग नहीं करना चाहिए हमारे देश मे तो राष्ट्रपति भी महिला है और प्रधानमंत्री भी रही है।
आजकल पढ़ने के लिए, नौकरी के लिए लड़के लड़कियों को घर से दूर किसी शहर में अकेले रहना पड़ता है। ऐसे में उनके भ्रमित होने के बहुत अवसर होते है। बड़े शहरो में ऐसे कई गैंग काम कर रहे जो युवाओं को फसां कर उनका दुरूपयोग करते हैं। एक बार बर्बाद हुए तो नारकीय जीवन ही बिताना पड़ता है। अतः युवाओं को मेरी सलाह है कि वे सचेत रहे। सजगता से अपने जीवन को बर्बाद होने से बचा सकते है।
माता पिता का भी कर्तव्य पु़त्र पुत्रियों के प्रति सजग रहने का है। अनिंयत्रित पुत्र भी दुष्परिणाम देता है। आजकल लड़कियों को कोचिंग आदि के लिए अकेले बाहर जाना पड़ता है। मैंने कई लड़के लड़कियों को विद्यालय और कोंचिग छोड़ कर घुमते देखा है। इसलिए माता पिता को कभी कभी उनके बारे में पता करते रहना चाहिए। सजगता से अनुचित को रोका जा सकता है।
सम्पर्क-7803826475 (लेखक के बारे में – मैं एक उच्च शिक्षित युवती हूं और सामाजिक समस्याओं के प्रति जागरूक हूं। वर्तमान में प्रतियोगिता परिक्षाओ के लिए अध्ययनरत् हूं।)