तहसील कार्यालय आलोट में पदस्थ सहायक वर्ग-3 कर्मचारी रमेश वर्रा निवासी इंदिरा कालोनी जावरा का नौ अप्रैल 2006 को ताल नगर में निधन हो गया था। उनकी पत्नी और बेटे का आरोप- जीपीएफ व अन्य स्वत्वों का भी भुगतान नहीं हुआ।
आलोट/रतलाम। पेंशन प्रकरण का निराकरण करने व मृतक सरकारी कर्मचारी के बेटे को अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर रतलाम जिले के आलोट नगर में एक महिला अपने बेटे के साथ तहसील कार्यालय में अनिश्चित धरना देकर बैठ गई। एसडीएम ने उन्हें धरना समाप्त करने की समझाइश दी लेकिन मंगलवार शाम तक उनका धरना जारी रहा। उनका कहना है कि जब तक उनकी मांग का निराकरण नहीं होगा, धरना जारी रहेगा।
जानकारी के अनुसार, तहसील कार्यालय आलोट में पदस्थ सहायक वर्ग-3 कर्मचारी रमेश वर्रा निवासी इंदिरा कालोनी जावरा का 16 वर्ष पहले नौ अप्रैल 2006 को ताल नगर में निधन हो गया था। उनके पुत्र को आज तक अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी गई। 25 नवंबर 2022 को रमेश वर्रा की पत्नी शांताबाई, पुत्र प्रेमकुमार व कीर्ति ने आलोट एसडीएम को पत्र दिया था। इसमें पेंशन प्रकरण का निराकरण नहीं होने व पुत्र प्रेमकुमार को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने पर 29 नवंबर से अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन करने की चेतावनी दी थी।
एसडीएम पहुंचे समझाने
शांताबाई व उनका पुत्र प्रेमकुमार मंगलवार को पोस्टर-बैनर लेकर आलोट के तहसील कार्यालय पहुंचे और धरने पर बैठ गए। पोस्टरों में लिखा है कि महात्मा गांधी की राह पर, एक परिवार बैठा है अपने अधिकार के लिए। 16 साल का इंतजार नहीं मिला अनुकंपा का अधिकार। एसडीएम मनीष वास्कले ने मौके पर पहुंचकर मां-बेटे से चर्चा की। एसडीएम ने बताया कि नियमानुसार शांताबाई का कोई पेंशन प्रकरण लंबित नहीं है। जानकारी के अनुसार रमेश नौकरी से बर्खास्त हुआ था व उनका प्रकरण न्यायालय में भी चला था। मानवीय दृष्टिकोण से इनके प्रकरण की जानकारी निकाली जा रही है और इन्हें धरना नहीं देने की समझाइश भी दी गई है।
जीपीएफ व अन्य स्वत्वों का भुगतान भी नहीं – शांताबाई व प्रेमकुमार ने एसडीएम को दिए पत्र में बताया कि परिवार के मुखिया के नहीं रहने से वे बेसहारा हो गए हैं। उनके सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। आज तक उन्हें न तो पेंशन दी जा रही है और न ही रमेश वर्रा की जीपीएफ व अन्य स्वत्वों का भुगतान किया गया है। उत्तराधिकारी को अनुकंपा भी नियुक्ति नहीं दी गई है। सभी कार्रवाई वे पूरी कर चुके हैं। सारे प्रयास करने के बाद भी उनकी मांगों का निराकरण नहीं किया गया है। इस कारण विवश होकर धरना प्रदर्शन करना पड़ा रहा है।