रतलाम,। जरूरत पड़ने पर मधुर संबंध के चलते रुपए उधार ले लिए, लेकिन तय समय पर नहीं दिए। जो चेक दिया वह भी उस बैंक का जिसका खाता बंद था, फिर क्या था, दोस्ती में कड़वाहट आई और मामला पहुंचा न्यायालय में। न्यायालय ने 9 साल बाद फैसला दिया। आरोपी को 1 साल की सजा के साथ ही ली हुई राशि से करीब 1लाख 78 हजार 200 रुपए अधिक देने का फैसला सुनाया।
मिली जानकारी के अनुसार आशुतोष पिता सूर्यकांत व्यास निवासी रॉयल ग्लोरी इंदौर हाल मुकाम रतलाम ने फरियादी रतलाम निवासी गजेंद्र सिंह भाटी पिता दातार सिंह भाटी से दोनों के बीच में आपसी मधुर संबंध थे। इस कारण आशुतोष ने 2 लाख 20000 रुपए जरूरत के चलते लिए थे, मगर जब श्री भाटी को रुपए लौटाने की बात आई तो उसने चेक दिया लेकिन जो चेक दिया, उस बैंक में उसका खाता बंद था। श्री व्यास की इस हरकत से भाटी परेशान हुआ।
तो न्यायालय में प्रस्तुत किया प्रकरण
इसके बाद श्री भाटी ने अपने अभिभाषक के माध्यम से आशुतोष के खिलाफ रुपए प्राप्त करने के लिए करने के लिए प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया।
9% वार्षिक ब्याज के साथ लौटाना होगा मूलधन
प्रकरण में 9 साल तक सुनवाई चली। तत्पश्चात न्यायधीश प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट सुश्रीमनदीप कौर सहमी ने आरोपी आशुतोष को 1 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई। 9% वार्षिक ब्याज की दर से कुल राशि और अर्थदंड की सजा सुनाई। नतीजन 3 लाख 98 हजार 200 रुपए फरियादी को देने के लिए निर्देशित किया। पैरवी अधिवक्ता नीरज सक्सेना, दीपेश शर्मा और अर्पित साल्वी द्वारा की गई।(हरमुद्दा से साभार)