RATLAM

75 किलोमीटर के फोरलेन में एक दर्जन ब्लैक स्पॉट:लेबल-नयागांव फोरलेन पर सिमलावदा से मेवासा तक हादसों में 150 लोगों की गई जान, 3 सालों में 1000 हादसे

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पंचेड़ फंटे पर स्पीड कंट्रोलर, लाइट व्यवस्था और संकेतक नहीं लगे होने की वजह से ही दर्जनों लोग अपनी जान गंवा चुके

रतलाम ! वर्ष 2007-8 में बनकर तैयार हुआ लेबर- नयागांव फोरलेन क्षेत्र के जिलों के लिए बड़ी सौगात जरूर लेकर आया। लेकिन इसके बनने के साथ ही शुरू हुआ हादसों का दौर आज तक जारी है। रतलाम जिले की सीमा से गुजर रहे इस फोरलेन के 75 किलोमीटर हिस्से में हादसों के कई ब्लैक स्पॉट है। खासकर सिमलावदा से लेकर मेवासा तक ऐसे एक दर्जन ब्लैक स्पॉट है। जहां बीते 3 वर्षों में 150 से अधिक लोगों ने जान गवाई है। रतलाम के सातरूंडा चौराहे पर हुए भीषण हादसे में 7 लोगों की मौत के बाद दैनिक भास्कर की टीम ने हादसों को दावत दे रहे इन ब्लैक स्पॉट की पड़ताल की जहां पिछले 3 वर्षों में 1000 से अधिक सड़क हादसे हो चुके हैं। हादसे के इन ब्लैक स्पॉट को पहले भी कई बार चिन्हित किया गया लेकिन हर बार हादसे के बाद इनमें सुधार करने के आश्वासन की खानापूर्ति कर दी जाती है।

फोरलेन पर बने चौराहों और क्रॉसिंग पर 70% हादसे

दैनिक भास्कर की टीम ने जब लेबड-नयागांव फोरलेन के इस 75 किलोमीटर लंबे हिस्से पर सफरकर स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों से बात की तो हादसे के करीब एक दर्जन ब्लैक स्पॉट की जानकारी इन लोगों ने दी है। फोरलेन पर आए दिन हो रहे हादसों में 70% जानलेवा हादसे इन्ही एक दर्जन ब्लैक स्पॉट पर हुए हैं। इसमें फोरलेन पर सातरुंडा चौराहा, रत्तागढ़खेड़ा फंटा, रेनमऊ फंटा , प्रकाश नगर पुलिया, सालाखेड़ी तिराहा, रतलाम बाईपास रेलवे ब्रिज, सेजावता फंटा, इप्का फैक्ट्री चौराहा, बाजेड़ा फंटा, पंचेड़ फंटा, कांडरवासा फंटा, मेवासा पुलिया आदि ब्लैक स्पॉट है । यह सभी ब्लैक स्पॉट चौराहे हैं या रोड क्रॉसिंग है। वहीं, कुछ खराब डिजाइन में बनी हुई पुलिया है।

                                                                                     पंचेड़ फंटे पर स्पीड कंट्रोलर, लाइट व्यवस्था और संकेतक नहीं लगे होने की वजह से ही दर्जनों लोग अपनी जान गंवा चुके

खराब डिजाइन, क्रॉसिंग पर स्पीड ब्रेकर और संकेतक नहीं लगे होना मुख्य वज़ह

स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों से मिली जानकारी के अनुसार हादसों की की मुख्य वजह तेज रफ्तार से दौड़ते वाहनों के साथ ही फोरलेन का खराब डिजाइन, क्रॉसिंग और चौराहे पर स्पीड कंट्रोलर और संकेतक नहीं लगे होना है। रतलाम के सातरूंडा चौराहे पर अवैध अतिक्रमण और स्पीड ब्रेकर नहीं होना ही हादसे की सबसे बड़ी वजह बना। इसी तरह नामली थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले पंचेड़ फंटे पर भी स्पीड कंट्रोलर, लाइट व्यवस्था और संकेतक नहीं लगे होने की वजह से ही दर्जनों लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। इसी तरह नामली थाना क्षेत्र के ही धौंसवास के समीप बाजेड़ा फंटे पर जानलेवा ब्लैक स्पॉट पिछले 2-3 सालों में बन गया है। यहां करीब 20 गांव को जोड़ने वाली एमडीआर सड़क फोरलेन पर आकर मिलती है। फोरलेन पर सही एंट्री और एग्जिट की व्यवस्था नहीं होने से यहां प्रतिदिन 500 से अधिक वाहन गलत साइड पर करीब 1 किलोमीटर तक चलकर जाते हैं। जिसकी वजह से इस स्थान पर भी 1 दर्जन से अधिक मौतें पिछले 2-3 सालों में हुई है।

फोरलेन पर हादसों वाली पुलिया

फोरलेन की शुरुआत के साथ ही बिलपांक थाना क्षेत्र के अंतर्गत प्रकाश नगर पुलिया खराब डिजाइन की वजह से हादसों का केंद्र बन गई । स्थानीय लोगों की मानें तो शुरुआत से लेकर अब तक 50 से अधिक लोग इसी पुलिया पर हुए हादसों में अपनी जान गंवा चुके हैं । एरियल व्यू से देखने पर फोरलेन की दोनों लेन यहां पर एसआर आकार बनाते हैं। जहां तेज रफ्तार में आ रहे वाहन हादसे का शिकार हो जाते हैं। इसी तरह रतलाम बाईपास पर भी घटला रेलवे ओवरब्रिज की पुलिया घुमावदार डिजाइन की वजह से हादसों का केंद्र बन गई है। वहीं, नामली थाना क्षेत्र के मेवासा स्थित फोरलेन पर बनी पुलिया पर भी ढलान और घुमावदार डिजाइन की वजह से हादसे होते हैं। यहां भी अब तक 1 दर्जन लोग हाथों में अपनी जान गंवा चुके हैं।

                                                                                                                                           प्रकाश नगर पुलिया खराब डिजाइन की वजह से हादसों का केंद्र बन गई

हादसों के जिम्मेदार

फोरलेन पर हो रहे लगातार हादसों को कभी ओवरस्पीड और चालकों की लापरवाही बता कर इसके असली जिम्मेदार हमेशा जिम्मेदारी लेने से बचते रहे है। हर बार हादसे के बाद प्रशासन, पुलिस, जनप्रतिनिधि और एमपीआरडीसी ब्लैक स्पॉट चिन्हित करने और त्रुटियां सुधारने का दावा करते हैं। लेकिन असल में जिम्मेदार ना तो फोरलेन के ब्लैक स्पॉट की कमियां ठीक करने में और ना ही हादसे को रोकने के लिए कोई खास प्रयास करते हैं। जिसके नतीजे सातरुंडा जैसे भीषण हादसे सामने आते हैं। हमारी पड़ताल के दौरान इन हादसों के लिए खराब डिजाइन के साथ निर्माण करने वाली कंपनी, एमपीआरडीसी, स्थानीय पुलिस और प्रशासन के साथ वह जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार है जो मौत बांटने वाले इस फोरलेन का मुद्दा विधानसभा तक लेकर गए लेकिन उसके नतीजे में आम लोग अब भी इस फोरलेन पर अपनी जान गंवा रहे हैं।

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