रतलाम, । गुरुवार का दिन रतलाम सिखवाल समाज के लिए इतिहासिक रहा । ब्राह्मणवास स्थित भगवान श्री चारभुजा नाथ की बारात नगर से बाहर ग्राम बिलपांक( दूरी लगभग 26 किलोमीटर) पहली बार प्रातः 10:00 बजे पहुंची। जहां ब्राह्मणों की सरेरी (भीलवाड़ा) निवासी श्री दिनेश पोखर जी पुरोहित परिवार सिखवाल भोजनालय द्वारा फूलों से स्वागत कर भगवान की आरती उतारी गई। इसके पश्चात साक्षी गोपाल मंदिर पर बारात का ठहराव रखा गया। दोपहर 11:45 बजे तोरण के लिए भगवान श्री चारभुजा नाथ की बारात डीजे, बैंड ,ढोल की थाप पर निकली। तत्पश्चात पुरोहित परिवार द्वारा अपने निवास पर भगवान का तोरण समेला कर आरती की गई। उसके पश्चात माता तुलसी और शालिग्राम (श्री चारभुजानाथ) का विवाह संपन्न हुआ।
रतलाम से बिलपांक तक पालकी में विराजे श्री चारभुजानाथ
ब्राह्मणवास स्थित श्री चारभुजा नाथ मंदिर से प्रातः 9:00 बजे भगवान पालकी में विराजे । जहां से चल समारोह डीजे की धुन पर रतलाम से बिलपांक पहुंचे ।
रतलाम से पहली बार गए बाहर
श्री सिखवाल समाज के वरिष्ठ श्री कन्हैयालाल तिवारी और श्री लेहरुलाल व्यास ने बताया कि जहां तक उनकी जानकारी है उन्होंने आज दिन तक भगवान श्री चारभुजा नाथ की बारात नगर से बाहर जाते हुए नहीं देखी है। पहली बार पुरोहित परिवार द्वारा आयोजित विवाह में भगवान श्री चारभुजानाथ दूल्हा बनकर ग्राम बिलपांक पहुंचे हैं । ( हरमुद्दा से साभार)