जावरा~~जावरा की डॉ. कैलाशनाथ काटजू कृषि उपज मंडी में करीब 36 प्लाट ऐसे हैं, जो 2006 में व्यापारियों को दिए गए थे। व्यापारियों को आवंटन के बाद प्रक्रिया विवाद में आ गई ना तो डिमांड राशि जमा करवाई और ना ही अन्य प्रक्रिया अपनाई। ऐसे में भूखंड आवंटन 16 साल बाद भी अधर में लटका हैं। जबकि इन भूखंड पर दुकानें और गोदाम बने हुए हैं। प्रक्रिया अपनाकर विधिवत आवंटन करवाने के लिए व्यापारियों ने मांग की।
मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड प्रबंध संचालक जीवी रश्मि पहली बार जावरा आई, तो व्यापारियों ने का अपनी समस्याओं की लिस्ट उन्हें थमा दी। व्यापारियों ने दिए ज्ञापन में बताया कि नवीन मंडी प्रांगण अरनियापीथा में 2015 में आवंटन भूखंड की संपूर्ण राशि मंडी कार्यालय में जमा की गई है, लेकिन 7 वर्ष बीत जाने के बाद भी लेआउट की लेटलतीफी, बिजली लाइन की शिफ्टिंग एवं भराव के अभाव में कई व्यापारी अपने भूखंडों का निर्माण नहीं कर पाए।
वर्तमान में मंडी टैक्स एडवांस दिया जा रहा और किसान को नगद भुगतान दिया जाता हैं। अतः मंडी असेसमेंट की कोई आवश्यकता नहीं है कृपया कागजी कार्रवाई खत्म करें और मंडी टैक्स विलंब पर 24% ब्याज आरोपित है, जो पूरे देश में कहीं नहीं है इसे 12% किया जाए। इसके साथ ही मंडी शुल्क 1% किया जाए साथ ही 1971 से लागू निराश्रित शुल्क 20 पैसे समाप्त किया जाए।
व्यापारियों ने बताया कि लहसुन मंडी प्रांगण में नियमित सफाई नहीं होती हैं। सफाई का ठेका स्थानीय स्तर पर दिया जाए ताकि ठेकेदार व्यवस्थित सफाई कर सके। पेयजल और सुलभ काम्प्लैक्स की उचित व्यवस्था की जाए। नवीन लहसुन मंडी जो अरनियापीथा मंडी प्रांगण में निर्माण किया जाना है।
उसका मानचित्र व्यापारी संघ को अवगत कराया जाए एवं स्थल का निरीक्षण करवा कर व्यापारियों के की आवश्यकता की पूर्ति की जाए। ज्ञापन सौंपने के दौरान मंडी व्यापारी संघ के अध्यक्ष अजीत चतर, सचिव मुकेश मेहता, संगठन मंत्री सुभाष टुकड़िया, प्रदीप दसेड़ा, शरद दुग्गड एवं सांसद प्रतिनिधि वीरेंद्र सिसोदिया उपस्थित रहे।