RATLAM

इसलिए होता…दु:ख का अंकुरण : जैनाचार्य हर्षतिलक सूरीश्वर

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रतलाम। जिन भक्ति महोत्सव के दौरान जैनाचार्य हर्षतिलक सूरीश्वर ने धर्मसभा में पाप, पुण्य और दु:ख कारण बताते हुए कहा कि जिस प्रकार सूर्य के उदय से ठंड गायब हो जाती है, यह सूर्य का प्रभाव है। उसी प्रकार प्रभु के दर्शन वंदन पूजन के प्रभाव से पुण्य का बंध बंधे बिना रहता नहीं। आपने आगे बताया कि पाप का बीज बोया है तो दु:ख का अंकुरण होगा ही।

केवलज्ञान एवं निर्वाण कल्याणकग्राम पलसोड़ा में चल रहे जिनेंद्र भक्ति महोत्सव में सातवें दिन प्रभु का केवलज्ञान एवं निर्वाण कल्याणक धूमधाम से मनाया गया। इसके पूर्व आचार्यश्री हर्षतिलक सूरीश्वर महाराज के हाथों प्रभु की अंजन विधि संपन्न हुई। अभिषेक करने के महत्व को समझने के बाद पूजन के वस्त्र पहनकर सैकड़ों की संख्या में श्रावक श्राविकाओं में प्रभु राजराजेश्वर पारसनाथ का अभिषेक करने की होड़ लग गई।
मंदिर में बांधा तोरणआष्टा में 553 वर्ष पुरानी प्रतिमा खुदाई में प्राप्त हुई उसको लाभार्थी रखबचंद लुनिया परिवार की ओर से गुरुदेव की निश्रा में गाजे-बाजे के साथ मंदिर में लाया गया, मंदिर में विधि-विधान से तोरण बांधा। 9 दिसंबर को शुभ मुहूर्त में प्रतिष्ठा विधान संपन्न होगा। इसके बाद सकल श्रीसंघ के साथ पूरे पलसोड़ा गांव की फले चुंदड़ी तथा श्री वृहद् अष्टोत्तरी शांतिस्नात्र पूजन किया जाएगा। संचालन हिम्मत गेलड़ा एवं विमल जैन द्वारा किया गया।
आज होंगे यह कार्यक्रम, कल होगा विहारआराधना भवन ट्रस्ट अध्यक्ष अशोक लुनिया ने बताया कि 10 दिसंबर को प्रतिष्ठा समारोह के अंतिम दिन प्रात: 6.45 पर मंदिर का द्वार उद्घाटन होगा। 10 बजे से सत्तरभेदी पूजन शुरू होगी। इसके बाद गुरुदेव विहार कर आराधना भवन रतलाम आएंगे। 11 दिसंबर प्रात: 9 बजे प्रवचन होंगे। प्रवचन पश्चात 10.30 बजे थावरिया बाजार स्थित बाबा सा. के मंदिर की ध्वजा समारोह होगा। दोपहर 3.30 बजे आराधना भवन पोरवालों के वास से उजैन के लिए विहार करेंगे।

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