अब तिरुपति नगर निवासी एक नागरिक ने पर्याप्त दस्तावेज के साथ कलेक्टर को शिकायत की है। इसमे इस बात का उल्लेख किया गया है कि श्री सज्जन मिल श्रमिक एवं कर्मचारी गृह निर्माण समिति का गठन श्रमिकों व कर्मचारियों को सदस्य बनाकर करना था। समिति का उद्देश्य 1000 वर्गफीट की भूमि 25 हजार रुपए में आवंटन करना था। समिति ने 24 बीघा भूमि निविदा के माध्यम से क्रय की। भूमि के मूल्य का समायोजन श्रमिकों एवं कर्मचारियों के देयहित लाभ से किया जाना था। समिति के पूर्व अध्यक्षों ने सर्वे नंबर 273 तालाब की 18 बीघा भूमि व सर्वे नंबर 129 की ग्रीन बेल्ट की 6 बीघा भूमि पर बगैर किसी विभाग की मंजूरी लिए भूखंड पर प्लाट जारी किए व इसका पंजीयन नियम के खिलाफ करवाया। नियम अनुसार समिति को सिर्फ सज्जन मिल के श्रमिकों व कर्मचारियों को भूमि का पंजीयन कराना था, लेकिन बाहरी लोग को भूमि का पंजीयन कर दिया गया।
डायवर्शन नहीं करायाबड़ी बात ये है कि ग्रीन बेल्ट की भूमि का डायवर्शन कराए बगैर ही रहवासी भूमि के रुप में विक्रय धड़ल्ले से अब तक जारी है। ऐसे में अगर जांच हुई तो कई बड़े खुलासे होंगे।
समझे पूरा मामलावर्ष 1986-87 में मिल के बंद होने के बाद एक आदेश जारी हुआ था। इसमे इस बात का उल्लेख था कि मजदूरों को उनका भुगतान मिल की प्रापर्टी की बिक्री कर किया जाए। तत्कालीन समय में मिल एमडी ने लीज की भूमि की बिक्री कर दी। जो भूमि की बिक्री हुई उसमे सर्वे नंबर 129 व 273 शामिल है। इसमे सर्वे नंबर 129 की हनुमान ताल के करीब ग्रीन बेल्ट की भूमि भी शामिल है।
सर्वे नंबर 273 व 129 शहर के मामले में शिकायत मिली है। इसकी जांच अपर कलेक्टर को दी गई है। एक पखवाड़े में जांच रिपोर्ट मांगी गई है। जांच रिपोर्ट के बाद ये सामने आएगा कि ग्रीन बेल्ट की भूमि की बिक्री हुई है या नहीं।
– नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी, कलेक्टर