झाबुआ

गायत्री परिवार शाखा थांदला द्वारा तीन दिवसीय कन्या कौशल शिविर का आयोजन।नगर में निकली ऐतिहासिक जन चेतना यात्रा।शिविर में सेकड़ो बहिनों ने अपनी उपस्थिति दर्ज की।गायत्री महामंत्र के उच्चारण मात्र से मोक्ष की प्राप्ति।

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थांदला (वत्सल आचार्य)अखिल विश्व गायत्री परिवार शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में गायत्री परिवार शाखा थांदला द्वारा तीन दिवसीय कन्या कौशल शिविर दिनांक 26 से 28 तक स्थानीय कन्या परिसर में आयोजित किया जा रहा है।
शिविर में चयनित ग्रामो से 12 वर्ष से 18 वर्ष की बालिका तथा प्रत्येक ग्राम से 10 बालिका के समूह सहित कुल 425 बालिका को शिविर में भाग लेंगी।
शिविर प्रमुख अंतरसिंह रावत एवम सीपी त्रिपाठी ने संयुक्त जानकारी में बताया कि शिविर आयोजित करने का उद्देश्य यह है किबालिकाओं में व्यक्तित्व का निर्माण हो,सफल जीवन की दिशा,किशोरवस्थाऔर आधुनिक जीवन शैली,जीवन लक्ष्य,आत्म सुरक्षा,जीवन मे आध्यात्म व गुरु की अनिवार्यता आदि पर प्रतिदिन वक्ता द्वारा संबोधन।
शिविर में प्रथम दिवस चेतना रैली,संकल्प गोष्ठि, गुरु परिचय,अनुशासित चर्चा अनुभूति।
द्वितीय दिवस मंत्र जाप, कन्या जागरण,प्रशिक्षण, मंत्र लेखन,साधना कर्मकांड प्रशिक्षण।
तृतीय दिवस उपरोक्त कार्यकामनुसार निरंतर साधना एवम अतिथि की बिदाई
शिविर में शांति कुंज टोली प्रमुख ब्रजेश पटेल,पूर्णिमा दीदी, वैशाली राठौर,पूजा राठौर,सपना भास्करे,भगवती बिरला ने शिविर में बालिकाओं को बताया किआने वाले समय में शिक्षा की परिभाषा डिग्री से नहीं आंकी जाएगी, जिसमें सीखने की इच्छा हो वहीं शिक्षित माना जाएगा। आप अपनी रुचि के अनुसार कार्य करें और करियर बनाएं।
आप ने कहा कि अच्छे आचरण को जीवन में उतारें, अपने कौशल का प्रदर्शन कर, समाज में व्याप्त कुरूतियों से लड़कर समाज निर्माण, परिवार निर्माण व राष्ट्र निर्माण में सहयोगी बनें। नारी जागरण में अपना पुरुषार्थ लगाएं।
शिविर में प्रशिक्षक के रुप में दीदी ने कहा कि यह शिविर नारी उत्कर्ष का एक प्राणवान प्रयोग है। इसमें आदर्श नारियों की सनातन परंपरा को अक्षुण्य बनाए रखने के लिए अतीत में घटे विभिन्न कौशल को विकसित करने वाली विभूतियों का उदाहरण प्रस्तुत कर बालिकाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा
फूहड़ व अश्लील गीतों से दूर रहते हुए समाज में इसके चलन को रोकने के लिए प्रेरित किया। संचालन कर रहे चंद्र प्रकाश त्रिपाठी ने विचार क्रांति अभियान, युग निर्माण योजना के सूत्रधार गायत्री परिवार के जनक पं.श्रीराम शर्मा आचार्य व माता भगवती देवी शर्मा के जीवन वृत्त पर प्रकाश डाला। मनुष्य में देवत्व के उदय व धरती पर स्वर्ग के अवतरण की सारभौमिक व्याख्या की। आत्म निरीक्षण, आत्म परिष्कार, आत्म विकास व आत्म विस्तार को जीवन में उतारने के लिए प्रेरित किया। शिविर प्रमुख अंतरसिंह रावत ने कहा कि संसार में कौशल की कमी नहीं है, बस उसे सही ढंग से समझकर जीवन में उतारने की है।
शिविर के कार्यक़म प्रभारी कमलेश वास्केल,सुनील शर्मा, कमलनयन पटेल,मनोज पालीवाल, जयेंद्र शर्मा,गेंदालाल पाटीदार, डॉ लखन बैरागी,ललित कीर, अक्षयमेडा, शैतान मुनिया,राजाराम पाटीदार, मांगीलाल वसोड सहित सेकड़ो कार्यकर्ता मौजूद थे।
शिविर में महिला प्रभारी के रूप मेंश्रीमती कुसुम रावत, संगीता त्रिपाठी,अनिता वास्केल, सीमा बैरागी,मयूरी पटेल, चंद्रकला पालीवाल,प्रतिभा शर्मा, चंद्रकला फरकिया,मेकली मेडा आदि मातशक्ति ने तन, मन, धन से शिविर में अपनी सेवा दे कर अपने कर्तव्य का पालन किया।

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