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शीत लहर से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए सुझाव

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शीत लहर से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने जारी किए सुझाव

रतलाम  शीत लहर दिसम्बर एवं जनवरी में घटित होती है जिसके चलते सर्द हवाओं के कारण स्वास्थ्य पर विपरित प्रभाव पड़ने के कारण मृत्यु होना भी संभावित है। शीत लहर का नकारात्मक प्रभाव वृद्ध जनों एवं 05 वर्ष के छोटे बच्चों पर अधिक होता है। इसके अतिरिक्त दिव्यांगजनों बेघर व्यक्तियों दीर्घकालिक बीमारियों से पीडित रोगियों, खुले क्षेत्र में व्यवसाय करने वाले छोटे व्यवसायियों के लिए भी शीत लहर के दौरान विशेष सतर्कता बरतना आवश्यक है।

शीत लहर एवं सर्द माहों के दौरान घरों में उपयोग किए जाने वाले हीटर/फायर पॉट आदि का बंद कमरों में उपयोग करने के कारण कॉर्बन मोनासाइड पॉयजन का भी खतरा होना संभावित है। इन सभी को दृष्टिगत रखते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा शीत लहर और पाले की रोकथाम और प्रबंधन के लिए निर्देश जारी किए गए हैं। शीत लहर से बचाव के लिए अस्पतालों में व्यवस्थाओं की नियमित समीक्षा सर्द माहों में जिला एवं विकासखण्ड स्तर पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा खण्ड चिकित्सा अधिकारियों द्वारा सुनिश्चित किया जाए। शीतघात के कारण जन मानस में उत्पन्न लक्षणों की त्वरित पहचान एवं फर्स्ट एड की उचित व्यवस्था समस्त अस्पतालों में रहे।

शीत लहर पाले से पहले बचाव के लिए गर्म वस्त्र एवं कई परतों में कपड़ों का उपयोग किया जाना चाहिए। आकस्मिक स्थितियों के उपाए के लिए घर में रसद एवं अन्य सामग्रियों की व्यवस्था सुनिश्चित करना चाहिए। शीत लहर के दौरान नाक बहना, नाक बंद होना, फ्लू, नाक से खून आने जैसे लक्षण सामान्यतः पाए जाते है जिसके लिए तत्काल निकटस्थ चिकित्सक से सलाह प्राप्त की जाए।

शीत लहर से बचाव के लिए यात्रा कम करना चाहिए एवं घर के अंदर रहना चाहिए। ऊनी कपड़ों के कई परतों द्वारा सिर गर्दन एवं पैरों की ऊंगलियों को ढकना चाहिए। विटामिन सी युक्त फल एवं सब्जियों का पर्याप्त सेवन करना चाहिए ताकि रोग प्रतिरोधक समता एवं शारीरिक का तापमान संतुलित रहे। शारीरिक तापमान को बनाए रखने के लिए गरम तरल पदार्थों का नियमित सेवन करना चाहिए। आपस में रहने वाले वृद्धजन एवं बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए। बंद कमरों में कोयला अगीठी या अलाब का उपयोग से बचना चाहिए क्योंकि इनसे उत्सर्जित खतरनाक कार्बन मोनोऑक्साईड गैस से मृत्यु होना संभावित है।

फॉस्टबाईट के लक्षण जैसे ऊगलियों, कान, नाक अथवा पैर की ऊगलियों की सफेदी या फीकापन शीत लहर के दौरान देखे जा सकते हैं। फॉस्टबाईट के दौरान कंप-कपी आना, बोलने में कठिनाई होना, अधिक नींद आना, मासपेशियों में अकडन, सांस लेने में कठिनाई, कमजोरी जैसे लक्षण के साथ-साथ बेहोशी भी हो सकती अल्पताप एक मेडिकल आकस्मिकता है जिसके लिए तुरन्त चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए।

अल्पता से ग्रस्त व्यक्ति को तुरंत गर्म कपड़े पहनाए एवं उष्ण स्थान पर रखे। शारीरिक तापमान को बनाए रखने के लिए कंबल, कपडे, टॉवेल शीट आदि की कई परतों से शरीर को ढके। गरम पेय पदार्थ देकर शारीरिक तापमान को बढ़ाए। लक्षणों के बढ़ने पर तत्काल चिकित्सीय सलाह लें। वहीं अल्पताप के लक्षण होने पर लंबे समय तक ठंड में रहने से बचे। मदिरापान से बचे क्योंकि इससे शारीरिक तापमान घटता है एवं हथेलियों की रक्त धमनियों में संकुचन होने से अल्पताप की अधिक संभावना होती है।फॉस्टबाईट के लक्षण वाले अंगों को न मलें, इससे अधिक क्षति हो सकती है। शारीरिक तापमान के घटने का प्रथम लक्षण कपकपी होती है। इसको अनदेखी न करते हुए तत्काल घर के अंदर रहे।।

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