श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन के मार्मिक प्रसंग वाचन के साथ इसका सजीव चित्रण भी किया गया। इस दौरान समूचे पांडाल के श्रद्धालुओं की आंखों से आंसू बह निकले। शुकदेव ने राजा परीक्षित को कथा श्रवण कराई और तक्षक नाग ने आकर उनका उद्धार कर दिया । कथा विश्रांति पर चार कन्या व तुलसी सहित कुल पांच का सामूहिक विवाह का आयोजन हुआ। कथावाचक का कथा आयोजक मंडल आदि ने सम्मान किया। आरती के बाद भंडारा का आयोजन दो हजार से अधिक लोगों ने भोजन प्रसादी का लाभ लिया।