रतलाम.~~ नगर निगम के गठन के बाद विभागों का वितरण हुआ और मेयर इन काउंसिल (एमआईसी) भी बन गई। पेंच उस समय आया जब सदस्यों को मनचाहा कक्ष और फर्नीचर नहीं मिले तो उन्होंने निगम में बैठने से मना कर दिया। अब जबकि लगभग सभी तैयार है तो एमआईसी सदस्य निगम में बैठने को तैयार नहीं है। ऐसे में जनता निगम के चक्कर काटकर अपने अपने एमआईसी सदस्य को ढूंढकर खाली हाथ लौट रही है। निगम सूत्र बताते हैं कि यह सब तालमेल के अभाव की वजह से हो रहा है।
कुछ सदस्य नियमित
ऐसा नहीं कि पूरी एमआईसी के सदस्य ही नहीं आ रहे हैं। कुछ सदस्य नियमित रूप से निगम में अपने कक्ष में बैठकर विभाग की जानकारी ले रहे हैं और मिलने आने वाली आम जनता के काम भी निगम के जिम्मेदारों से करवा रहे हैं। परिवहन समिति प्रभारी सपना त्रिपाठी, सामान्य प्रशासन के धर्मेंद्र व्यास, प्रकाश विभाग के अक्षय संघवी की बात करे तो ये लोग काफी समय दे रहे हैं लेकिन ज्यादातर सदस्य निगम आकर अपने काम निपटाकर रवाना हो रहे हैं।
भले ही यह भाजपा की परिषद है और भाजपा के काफी संख्या में पार्षद है, लेकिन फिलहाल जो स्थिति बन रही है उसके अनुसार निगम में महापौर, निगम सभापति और पार्षदों के बीच तालमेल ही नहीं बन पा रहा है। कुछ भाजपा पार्षद महापौर के साथ तो कुछ निगम सभापति के साथ हैं। जो दोनों तरफ रहने चाहते हैं वे किसी से बुराई नहीं लेकर बचते हुए अपना काम करा रहे हैं।