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एक बार फिर विश्व रिकॉर्ड बनाने की तैयारी कर रहे है पति – पत्नी~~ अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने के बाद रशिया जाकर रिकार्ड बनाने की तैया

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अफ्रीका की सबसे ऊंची चोटी पर चढ़ने के बाद रशिया जाकर रिकार्ड बनाने की तैयारी

आशीष पाठकरतलाम. गत वर्ष सितंबर माह में रतलाम के अनुराग और सोनाली चौरसिया ने अफ्रीका की सबसे ऊंची चौटी तंजानिया के ऊहरु 5895 मीटर पर पहुंचकर कपल के रुप में पहुंचने वाले पहले भारतीय होने का विश्व रिकार्ड बनाया था। अब ये दंपति एक बार फिर यूरोप की माउंट अलब्रुस चौटी पर जाकर एक नया रिकार्ड बनाने की तैयारी में लग गया है। पत्रिका ने पूर्व के अनुभव व नई तैयारियों को लेकर बात की।

पत्रिका – पहले तो ये ही जानना है कि पहाड़ पर चढ़ना, वो भी पत्नी को लेकर, ये ख्याल ही कैसे आया।
अनुराग – असल में कोरोना के पहले पढ़ा था कि राज्य के सीहोर के करीब एक छोटे गांव की बेटी मेघा परमार माउंट एवरेस्ट पर जाकर रिकार्ड बनाया है, तो ऐसे ही विचार आया कि जब छोटे गांव की बेटी कर सकती है तो हम भी कर सकते है। बस इसी एक विचार से यात्रा शुरू हो गई।
पत्रिका – पहाड़ पर चढ़ाई के लिए शरीर का साथ देना सबसे जरूरी है, कैसे तैयारी की।
अनुराग – पहले से योग व प्राणायाम करते है। इसके लिए कोर्स होता है। सप्ताह में तीन दिन जिम जाना है तो तीन दिन योग व प्राणायाम करना है। शुरू में 4 किमी व बाद में बढ़ाकर 6 से 10 किमी तक चलाया – दौडाऩा जाता है। जो फिटनेस के लिए जरूरी लक्ष्य था, उससे डबल कर दिखाया था।
पत्रिका – 7 से 12 सितंबर तक यात्रा की, कैसे बताएंगे इसको।
अनुराग – पहले दिन 2720 मीटर चढ़ाई की। घना जंगल था, सूर्य नजर ही नहीं आ रहा था। चिकनी जमीन थी, पथरीले कंकड़ थे, सतपुड़ा के जंगल की तरह। कश्मीर की सर्दी से भी कम तापमान था। दूसरे दिन 12 किमी चलकर 3720 मीटर चढ़ाई करना थी। इसी तरह हर दिन चुनौती बढ़ रही थी। माइनस 19 डिग्री तापमान में चलना, गाल है या नहीं पता नहीं चल रहा था। उपर चढ़ाई और पीछे देखों तो हजारों फीट नीचे खाई। मौसम ऐसा की कभी बर्फबारी तो कभी तेज अचानक धूप तो भी मरुस्थल मिलता। जब चढ़ाई शुरू की तो विश्व के 40 लोग थे, रास्ते में 22 ने मौसम के चलते ऊपर चढ़ने से इंकार कर दिया व लौट गए।
पत्रिका – सबसे बड़ी चुनौती पूरी यात्रा में क्या रही।
अनुराग – वहां का तापमान सबसे बड़ी चुनौती रहे। माइनस 10 से 20 डिग्री तक तापमान में चढ़ाई की। इतनी सर्दी की कभी आदत नहीं रही। लेकिन पत्नी सोनाली ने साथ दिया। बोली, यहां तक आ गए है तो चढ़ाई तो करनी ही है, वापस तो तिरंगा लहराकर ही जाएंगे। जब ऊहरु माउंट पर 10 मीटर दूर थे तो अंधेरा था, मन में था कि अंधेरे में तिरंगा कैसे लहराएंगे, भगवान से प्रार्थना कर रहे थे कि सूर्य उदय हो जाए, जब धीरे – धीरे चलते हुए ऊपर पहुंचे ही थे की सूर्य उदय हो गया, बस इसके बाद सबसे पहले राष्ट्रगान गाया व इसके बाद तिरंगा लहराया। हम पहले कपल है तो इतनी ऊंचाई पर 7 मिनट तक रहे। वहां किसी के भी रुकने का रिकार्ड 5 मिनट से अधिक का नहीं है।
पत्रिका – इसमें व्यय कितना हुआ, आगे तैयारी कैसे होगी।
अनुराग – पूर्व में अभ्यास लेकर जाने तक करीब 6 लाख का व्यय हुआ व अब करीब 7 लाख का व्यय होना है। पूर्व में तो बैंक से कर्ज ले लिया, सहयोग की तलाश जारी है।
पत्रिका – सफलता का पूरा श्रेय किसको देते है।
अनुराग – भारतीय योग व प्राणायाम के साथ – साथ माता – पिता को। उनके संस्कार ही है तो शाकाहार रहते हुए ये यात्रा पूरी की। वहां वेज भोजन की समस्या थी, लेकिन रतलाम का नमकीन साथ था, कुछ ड्रायफ्रूट थे, तो हो गया।

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