थांदला (वत्सल आचार्य) भारतीय परम्परा में घर के बुजुर्ग , दादा दादी एवम नाना नानी का सम्मान एवम परिवार में उनके विषेश महत्त्व को प्रदर्शित करता हुआ आयोजन परंपरा स्थानीय अणु पब्लिक स्कूल थांदला में आयोजित किया गया। आयोजन में बच्चों ने अपने दादा दादी नाना नानी का पैर धोकर पूजन कर भारतीय संस्कृति मैं परिवार के बड़े बुजुर्गों के सम्मान की परम्परा का अनुसरण किया। यही नहीं आयोजन में बच्चों के साथ उनके माता पिता ने मनमोहक नृत्य की प्रस्तुति दी । अणु पब्लिक स्कूल द्वारा इन दोनो आयोजनो को देख कर उपस्थित अतिथि, पालक एवम परिवार वरिष्ठ जन भी भावुक हो गए। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। जिसके पश्चात स्कूल के डायरेक्टर प्रदीप गादिया, श्रेणिक गादिया, हर्ष गादिया, प्राचार्य प्रमोद नायर , संध्या नायर एवम शिक्षक शिक्षिकाओं द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। जिसके पश्चात बच्चों द्वारा विशेष व्यवस्थाओं के साथ अपने-अपने दादा-दादी एवं नाना नानी का पूजन एवं पाद प्रक्षालन किया। माता पिता ने अपने नन्हे-मुन्ने बच्चों के साथ मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किए, जिनमें नन्हे कन्हैया से प्रेम , बिटिया से दुलार एवं क्षेत्रीय संस्कृति से ओत प्रोत कार्यक्रम की प्रस्तुति बच्चों एवं पालकों द्वारा की दी गई। जिनमे से उत्कृष्ट प्रस्तुतियो में प्रथम आर्या सोनी प्रथम, द्वितीय जेनिशा मेहता, एवम तृतीय मिष्का , अलाव्या श्री श्रीमाल को अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया । साथ ही वर्ष भर में विद्यालय में आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को भी अतिथियों द्वारा पुरस्कृत किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए अतिथि डा. सीमा शाहजी ने कहा की अद्भुत एवम मन को भावुक करने वाले इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने का अवसर मिला यह मेरे लिए सौभाग्य है, सांस्कृतिक कार्यक्रम में भारतीय संस्कृति का दर्शन देखने को मिला। वरिष्ठ शिक्षक जगमोहन सिंह राठौर ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारतीय संस्कृति के निर्माण के पीछे हमारे देश का सदियों का इतिहास एवं इसकी वैभवशाली विरासत है, जो इसे दुनिया में सबसे पुरानी संस्कृतियों में से एक बनाती है। भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता का इतिहास 5000 साल से भी अधिक पुराना है,जिसको अभी तक हमारे देश के लोगों ने संभालकर एवं सहेज कर रखा हुआ है। वरिष्ठ शिक्षक एवम अतिथि श्रीमती ममता भट्ट ने परम्परा शब्द को परिभाषित करते हुए कहा की परम्परा सामाजिक विरासत का वह अभौतिक अंग है जो हमारे व्यवहार के स्वीकृत तरीकों का द्योतक है, और जिसकी निरन्तरता पीढ़ी-दर-पीढ़ी हस्तान्तरण की प्रक्रिया द्वारा बनी रहती है। परंपरा को सामान्यत: अतीत की विरासत के अर्थ में समझा जाता है। कुछ विद्वान ‘सामाजिक विरासत’ को ही परम्परा कहते हैं। परन्तु वास्तव में परम्परा के काम करने का ढंग जैविक वंशानुक्रमण या प्राणिशास्त्रीय विरासत के तरीके से मिलता-जुलता है, और वह भी जैविक वंशानुसंक्रमण की तरह कार्य को ढालती व व्यवहार को निर्धारित करती है।अणु पब्लिक स्कूल ने परम्परा को जीवंत रखने हेतु जो पहल की है वो सराहनीय हैं। कार्यक्रम का संचालन नीलम भट्ट, गर्विता उपाध्याय, नवनीता मुनिया, बारूद भुरिया एवम आभार हर्ष गादिया ने माना। नगर के अणु पब्लिक स्कूल में ऐसे आयोजन होना निश्चित रूप से नगर को गोरवान्वित करना एवम नन्हे बच्चो में भारतीय संस्कृति एवम परम्परा का पाठ सिखाना स्वागत योग्य है क्योंकि आज हम पश्चिम सभ्यता का अनुसरण कर हमारी संस्कृति, परंपरा को त्याग रहे है ऐसे में निजी विद्यालय में बच्चो को ऐसी शिक्षा देना काबिले तारीफ है क्योकि अन्य देशों की संस्कृति तो समय की धारा के साथ, साथ नष्ट होती रहती है किंतु भारत की संस्कृति व परंपरा आदिकाल से से ही अपने परंपरागत अस्त्तित्व के साथ अजर-अमर बनी हुई है।