रतलाम। मध्यप्रदेश के रतलाम जिले की तहसील ताल में बरसो पुरानी मांग रेल लाओ…कि अब तक अधूरी है। यहां 0 से लेकर शीर्ष तक के जनप्रतिनिधियों का नेतृत्व है, इसके बावजूद इस क्षेत्र के लोगों को रेल इंतजार करना पड़ रहा है। 2016 में सर्वे के लिए 6.60 लाख रुपए पास हुए और 4 लाख रुपए का खर्चा भी हो गया, लेकिन आज स्थिति जस की तस बनी हुई है।
44 किमी रेल लाइन बिछानी है
आलोट से जावरा 44 किमी रेल लाइन बिछाने के लिए छह साल पहले किए गए प्रयास कागजों में दब कर रह गए। अगर आलोट, ताल, जावरा के मध्य रेल लाइन आती है तो लाखों लोगों को सुविधा मिलेगी। ऐसा नहीं कि इसके लिए प्रयास नहीं किए गए, प्रयास हुए लेकिन आज तक मूर्त नहीं ले सके है।
यहां है 0 से शीर्ष का नेतृत्व
आज भी ताल वासी सर्वे होने पर भी ट्रेन का इंतजार कर रहे है। इसमें थावरचंद गेहलोत, सत्यनारायण जटिया, सांसद अनिल फिरोजिया, विधायक डॉ. राजेंद्र पाण्डेय, पूर्व विधायक जितेंद्र गेहलोत आदि का दबदबा होने के बावजूद रेल लाइन पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। इस मामले को लेकर प्रहलाद पटेल ने लोकसभा प्रश्नकाल के दौरान इस संबंध में जवाब भी मांग था। क्षेत्र से सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गेहलोत का कहना है कि क्षेत्र में विकास को लेकर जितने प्रयास हो सकते है कर रहे हैं, और आगे भी करते रहेंगे। इसमें रेल मंत्रालय की सहमति नहीं मिल रही है।
ये होंगे फायदें
– रेल लाइन बिछने से दिल्ली-मुुंबई जाने के लिए 50 किमी की दूरी कम हो जाएगी, जिससे सरकार और रेल विभाग को काफी फायदा होगा।
– रेल लाइन बिछती है तो आलोट से ताल, जावरा, रतलाम और मंदसौर तक जाने में क्षेत्रवासियों को समय में सुमगता होकर रोजगार से जुड़ेगा।
– ताल से अगर नागदा, उज्जैन पहुंचना हो तो बस से ही यात्रियों को सफर करना पड़ता है, जिससे समय के साथ ही रुपए भी अधिक वहन करना पड़ते है।
जनप्रतिनिधियों से आस
ताल से जावरा रेल लाइन जुड़ती है तो ताल में रोजगार बढ़ेगा और हमारे जनप्रतिनिधियों से उम्मीद है कि वह इस बजट में आलोट से जावरा रेल लाइन के सर्वे को आगे बढ़ाएंगे।
नवीन मेहता, अध्यक्ष रेल लाओ संघर्ष समिति, ताल