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शहर में एक ऐसा भी श्मशान:भक्तन की बावड़ी स्थित मुक्तिधाम में एक्सरसाइज के लिए जिम व पूजा-अर्चना करने देवी-देवताओं के मंदिर

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शहर में एक ऐसा भी श्मशान:भक्तन की बावड़ी स्थित मुक्तिधाम में एक्सरसाइज के लिए जिम व पूजा-अर्चना करने देवी-देवताओं के मंदिर

रतलाम~~आम धारणा है कि मुक्तिधाम में महिलाएं नहीं जाती हैं, लेकिन शहर का एक ऐसा मुक्तिधाम है जहां जय महाकाली, मां दुर्गा, भगवान भोलेनाथ, हनुमान जी, साईं बाबा सहित अन्य मूर्तियां विराजित हैं। जिनकी पूजा के लिए पुरुषों के अलावा बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंचती हैं। यहां जिम में एक्सरसाइज करने के लिए सुबह-शाम बड़ी संख्या में लोग जाते हैं। 4 बीघा में फैले इस मुक्तिधाम में 3 बीघा में नीम, पीपल, जामुन, जामफल, सीताफल, फूल सहित अन्य प्रजातियों के 1 हजार से ज्यादा पौधे हैं।

यहां बने कुंड में 10 साल पहले बेंगलुरु से लाए गए नील कमल फूल के पौधे लगे हुए हैं। जिन पर मां लक्ष्मी जी विराजित हैं। महू रोड में भक्तन की बावड़ी स्थित मुक्तिधाम, मुक्तिधाम कम और दार्शनिक स्थल ज्यादा है। यहां प्रतिदिन 100 से ज्यादा लोग आते हैं। हर रविवार के अलावा तीज-त्योहार पर भजन-कीर्तन भी होते हैं। प्रतिमाह भक्तों द्वारा 1-2 भंडारे किए जाते हैं, जिसमें सभी श्रद्धालु मुक्तिधाम में बैठकर भोजन प्रसादी ग्रहण करते हैं। 1924 में मुक्तिधाम की शुरुआत हुई थी। इसके बाद धीरे-धीरे दानदाताओं, समाजसेवियों की मदद से मुक्तिधाम का विकास शुरू हुआ।

मुक्तिधाम में प्रवेश करते ही एक बड़ा हॉल बना हुआ है जिसमें लकड़ी व कंडे रखे हुए हैं। उसके आगे एक साथ 6 शव का अंतिम संस्कार करने का स्थल बना हुआ है। उसी के पास सभा हॉल बना हुआ है। सभा हॉल के ऊपर जिम बना रखी है जिसमें 20 मशीन लगी हुई हैं। सभा हॉल के पास महाकाल का मंदिर, उनके पास गुरुदेव बाबा सोनीनाथ जी महाराज का मंदिर है। इसके बाद एक बड़ा मंदिर बना हुआ है। उसमें जय महाकाली, मां दुर्गा, शिव पंचायत, हनुमान जी, भेरूनाथ, साईं बाबा सहित अन्य भगवान विराजित हैं। मंदिर के बाहर सभागृह में हवन कुंड बना हुआ है जिसमें श्रद्धालुओं द्वारा आहुतियां दी जाती हैं।

साल में बड़ा भंडारा होता है
चैत्र और शारदीय नवरात्रि में महाकालिका व मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। चैत्र के दशहरे पर शाम 7 से रात 12 बजे तक भंडार होता है, जिसमें हजारों की संख्या में भक्त प्रसादी ग्रहण करते हैं। वहीं शारदीय दशहरे, कार्तिक पूर्णिमा और स्थापना दिवस पर समिति द्वारा भंडारा किया जाता। मुक्तिधाम सेवा समिति के अध्यक्ष रामसिंह भाटी ने बताया कि दानदाताओं, समाजसेवियों के साथ ही यहां शव यात्रा में शामिल होने के लिए आने वाले लोगों के सामने दान-पात्र का डिब्बा घुमाया जाता है। सभी से जो राशि मिलती है उससे मुक्तिधाम का विकास किया जा रहा है। 3 ट्यूबवेल हैं। बताया कि यहां दर्शन वंदन के साथ ही कई लोग पिकनिक मनाने भी आते हैं।

स्थापना दिवस पर होंगे धार्मिक कार्यक्रम
मुक्तिधाम का स्थापना दिवस 26 जनवरी को मनाया जाएगा। 25 जनवरी की रात 9 बजे से माता का रात जागरण होगा। 26 जनवरी की सुबह 10.30 बजे हवन, 12 बजे महाआरती, दोपहर 12.30 बजे से भंडारा होगा।

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