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मेहनत का कोई विकल्प नहीं:पथरीली जमीन पर आठ साल में बना दिया बगीचा ताकि श्मशान सुंदर दिखे रतलाम

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मेहनत का कोई विकल्प नहीं:पथरीली जमीन पर आठ साल में बना दिया बगीचा ताकि श्मशान सुंदर दिखे

रतलाम~~कहते हैं कि मेहनत का कोई विकल्प नहीं, मेहनत से पत्थरों पर भी पौधे उगाए जा सकते हैं। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है शहर से सटे गांव पलसोड़ा के एक बुजुर्ग ने। उन्होंने पथरीली जमीन पर बने श्मशान में सुंदर बगीचा तैयार कर दिया है। सिर्फ इतना ही नहीं यहां लगे कई पौधे अब पेड़ बन गए हैं। मकसद सिर्फ ये कि श्मशान सुंदर दिखे, सुकून मिले और पक्षियों के लिए आसरा तैयार हो सके।

पलसोड़ा के रहने वाले लक्ष्मीनारायण पिता नागूजी राठौड़ की उम्र 75 साल है, लेकिन मेहनत के मामले में वे आज जवानों को भी मात देते हैं। वे सिर्फ घर पर सोने जाते हैं, इसके अलावा सुबह से शाम तक का समय श्मशान में ही गुजारते हैं। यहां का श्मशान भी अलग है, जोकि एक बारगी तो किसी बगीचे की तरह ही दिखता है। लेकिन, पथरीली जमीन में बगीचा तैयार करना आसान नहीं था, लेकिन लक्ष्मीनारायण ने यहां बगीचा बनाने की ठानी। इनके जज्बे के आगे सब परेशानी छोटी पड़ती गई।

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