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सांसारिक जीवन छोड़कर दिशा तिल्लानी बनी संयमवंदना श्रीजी:23 महीने पहले रिंगनोद में ही छोटी बहन बनी थी साध्वी

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सांसारिक जीवन छोड़कर दिशा तिल्लानी बनी संयमवंदना श्रीजी:23 महीने पहले रिंगनोद में ही छोटी बहन बनी थी साध्वी

जावरा~~दो साल पहले छोटी बहन ने संसार छोड़कर जैन परंपरा में संन्यास लिया। अब बड़ी बहन भी दीक्षा लेकर जैन साध्वी संयमवंदना श्रीजी मसा बन गई। शुक्रवार को जावरा के रिंगनोद में दीक्षा समारोह हुआ।राजस्थान के कोटा जिले की रहने वाली 22 वर्षीय दिशा‌‌ तिल्लानी।​​​​​​ साइंस‌ पढ़ने के बाद साइंटिस्ट बनना चाहती थी, लेकिन मन में भी आत्मा का कल्याण करने का भाव जागा तो जैन साध्वी बन गई। साधु-साध्वियों की निश्रा में तीन दिनी दीक्षा महोत्सव पार्श्व पद्मावती पावन धाम तीर्थ मंदिर रिंगनोद में हुआ। शुक्रवार को दीक्षा के दौरान हजारों श्रद्धालुओं का जमावड़ा हुआ। आचार्य चंद्ररत्नसागरसूरीश्वरजी, चैत्यरत्नसागरजी, साध्वी हेमेंद्रश्रीजी, सौम्यवंदनाश्रीजी, रंजीताश्रीजी, निर्मिताश्रीजी, विशुद्धप्रज्ञा श्रीजी, रूविता श्रीजी, परमवंदना श्रीजी आदि गुरु भगवंतों की निश्रा में दीक्षा कार्यक्रम हुआ।ट्रस्ट कोषाध्यक्ष दिनेश डूंगरवाल, श्री जैन नवयुवक मंडल अध्यक्ष संजय श्रीमाल, अक्षय मेहता ने बताया शुक्रवार को सुबह से दीक्षा विधि कार्यक्रम प्रारंभ हुआ जो दोपहर तक चला सुबह मुमुक्षु दीशा मंच पर पहुंची तथा आचार्य श्री व साधु भगवंतों का आशीर्वाद लिया।

साध्वी सौम्यवंदना श्रीजी की शिष्या बनी

आचार्य श्री ने रजोहरण प्रदान किया। मुमुक्षु चंवर हिलाकर खुशियां मनाने लगी। दीक्षा विधि की बोलियां लगी, जिसमें समाजजन ने बढ़ चढ़कर कर हिस्सा लिया। केश लोचन के बाद साध्वी वेश धारण कर मुमुक्षु दीशा जैन साध्वी संयमवदना श्रीजी मसा बन गई। वे साध्वी सौम्यवंदना श्रीजी की शिष्या बनी हैं।

संतों की संगत का असर हुआ

साध्वी बनने से पहले दिशा ने बताया कि साध्वी सौम्यवंदनाश्रीजी के चातुर्मास में शामिल होकर वे उनके संपर्क में आईं। उनके विचारों व दिनचर्या ने उन्हें प्रभावित किया। 2021 में आलोट के समीप नागेश्वर पार्श्वनाथ तीर्थ में उपधान करने का मौका मिला, तभी से दीक्षा के भाव जागे। छोटी बहन के साध्वी जीवन से मुझे हिम्मत मिली और इसी मार्ग पर चलने का तय किया।

किराना दुकान चलाते हैं पिता

दिशा की प्रारंभिक शिक्षा सिंगोली व रावतभाटा में हुई। पिता मनीष तिल्लानी किराना दुकान संचालित करते हैं। माता प्रिया तिल्लानी गृहिणी हैं। दिशा ने 12th की पढ़ाई रावतभाटा में कर आगे की पढ़ाई जयपुर में रहकर की। एमएससी की पढ़ाई के बाद वे साइंटिस्ट बनना चाहती थी23 माह पहले छोटी बहन बनी साध्वी

दिशा की छोटी बहन इशिता तिल्लानी ने 23 महीने पहले रिंगनोद में ही सांसारिक जीवन त्याग दीक्षा ग्रहण की। वह साध्वी परमवंदना श्रीजी बनी। अब दिशा भी इसी मार्ग पर चलेंगी। दिशा की एक और छोटी बहन सिद्धिका है, जो अध्ययन के साथ धार्मिक गतिविधियों में सक्रिय हैं।

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