14 विभुतियों को मिला महाराजा रतनसिंह अलंकरण सम्मान
रतलाम। बसंत पंचमी रतलाम का स्थापना दिवस गौरव दिवस के रूप में मनाया गया। इसके अन्तर्गत शहर के धानमंंडी रानीजी मंदिर चौराहे पर अखिल भारतीय कवि सम्मेलन देर रात तक जमा। मंच से महाराजा रतनसिंह अलंकरण सम्मान से 14 विभुतियों का सम्मान किया। कवि सम्मेलन में ख्यातनाम कवियों ने पहुंचकर देशभक्ति और हास्यरस से ओतप्रोत कविताओं का मंच से वाचन कर श्रोताओं को देर रात तक बांधे रखा। कवि सम्मेलन संचालन प्रो. मनोहर जैन ने किया।
ख्यातनाम कवियों ने वीर, देशभक्ति और हास्य रस से ओतप्रोत कविताओं को सुनाकर श्रोताओं को बांधे रखा। रतलाम स्थापना महोत्सव समिति ओर नगरनिगम के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम के दौरान मुख्य अतिथि विधायक चेतन्य काश्यप, महापौर प्रहलाद पटेल, भाजपा जिलाध्यक्ष राजेंद्रसिंह लुनेरा, निगम अध्यक्ष मनीषा शर्मा, आयुक्त हिमांशु भट्ट, समिति के मुन्नालाल शर्मा, प्रवीण सोनी, आदित्य डागा, विप्लव जैन, राकेश नाहर, अभय काबरा, पूर्व महापौर शैलेंद्र डागा, प्रदीप उपाध्याय, मंगल लोढ़ा आदि उपस्थित थे।
स्वतंत्रता के डूबते स्वरों को नींद आ गई…
इंदौर से आए ख्यातमान कवि सत्यनारायण सत्तन ने सर्दरात में श्रोताओं में जोश भरते हुए जैसे ही…स्वतंत्रता के दीप की लौ कांपती प्रहार से, बिका ईमान कौडि़य़ों में स्वार्थ के बाजार से…, गुजर रहा कुकृत्य आज साधना के द्वार से, निकल रही है आह राजघाट की मजार से…,जिनका वक्ष चीर गोलियां स्वयम लजा गई, स्वतंत्रता के डूबते स्वरों को नींद आ गई…। जयपुर से आए कवि अशोक चारण ने…चाहे मेरी प्रतिमा ना फिर चौराहों पर खड़़ी मिले, चाहे ना किस्मत को आंखों के आंसू की लड़़ी मिले, ये जहरीला घूंट कसम से हंस कर के पी जाऊंगा, मेरी मौत को मिले तिरंगा मर कर भी दी जाऊंगा।
जहां जोहर कर लाज रखी
रतलाम के कवि धमचक मुलथानी ने जहां केसरिया बाना पहन बाजी लगा दी जानकी, जहां गाथा गाई जाती है हाड़ी रानी के शीश दान की। जहां जोहर कर लाज रखी, जिसने रजपूती शान की, मुंड कटे और रुड लड़े वह माटी है हिन्दुस्तान की…।