झाबुआ – ब्राह्मणों पर सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर छुआछूत का आरोप लगाकर ब्राह्मणों को प्रायश्चित करने की नसीहत देने के चलते शिवगंगा के महेश शर्मा के विरुद्ध सर्व ब्राह्मण समाज झाबुआ द्वारा जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा गया। माफी ना मांगने पर आईपीसी की धारा 153 (क) के अंतर्गत FIR दर्ज कराई जाएगी।
उल्लेखनीय है की ब्राह्मण समाज के पक्ष में वाल्मीकि समाज की ओर से भी बयान आया। बहुजन समाज के राकेश केवाड़ द्वारा कहा गया कि झाबुआ में हम सभी प्रेम से रहते हैं। मैं शेड्यूल कास्ट से हूं और मंदिर का पुजारी हूं और मेरी तरह नगर के कई अन्य मंदिरों में भी बहुजन समाज के लोग ही पंडित हैं। दलितों को मंदिर में नहीं जाने देने की बातें बेबुनियाद है, कोई छुआछूत नहीं है। हमारे भंडारों में हमारे साथ हमारे ब्राह्मण मित्र एक थाली में खाना खा लेते हैं। कोई भेदभाव नहीं है। महेश जी की टिप्पणी का हम खंडन करते हैं, उन्हें माफी मांगनी चाहिए।
ज्ञापन में उल्लेखित मुख्य विषय:
झाबुआ के एनजीओ शिवगंगा के महेश शर्मा द्वारा ब्राह्मणों पर सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर छुआछूत का आरोप लगाते हुए संपूर्ण ब्राह्मण समाज की मान प्रतिष्ठा धूमिल करने का कुत्सित प्रयास किया गया है। उनके द्वारा की गई पोस्ट में ब्राह्मणों को जातिवाद एवं छुआछूत का दोषी ठहरा कर ब्राह्मणों से प्रायश्चित करने की नसीहत दी गई है, जिसका सर्व ब्राह्मण समाज कड़े शब्दों में प्रतिकार करता है एवं महेश जी से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग करता है।
पद्म श्री महेश शर्मा को पद्मश्री की उपाधि आदिवासी क्षेत्र में जल, जंगल, जमीन के संरक्षण एवं आदिवासी समुदाय की हलमा प्रथा को जीवित रखने के लिए दी गई थी। ये वही हलमा प्रथा है जिसमें खून पसीना आदिवासी समुदाय बहता है एवं आर्थिक सहयोग ब्राह्मण समाज समेत सवर्ण समाज करता है। आदिवासी समाज को यह बताने की जगह कि हलमा में आटा, दाल, अनाज समेत लाखों रुपए की राशि देकर किस प्रकार ब्राह्मण समाज समेत सर्व समाज द्वारा आदिवासियों की परंपराओं को जीवित रखने में तन मन धन से सहयोग किया जाता है, महेश जी शर्मा द्वारा ब्राह्मणों पर छुआछूत का आरोप लगाकर समाज की भावनाओं को गहरा आघात पहुंचाया गया है। ब्राह्मण पूर्वजों के इस अपमान पर आज हम एनजीओ शिवगंगा के महेश जी शर्मा से हलमा के निमित्त लिए जाने वाले पैसों का हिसाब सार्वजनिक करने की मांग करते हैं। साथ ही एनजीओ शिवगंगा को मिलने वाली सरकारी सहायता, आदिवासी समुदाय से एकत्रित की गई धनराशि एवं सामान्य वर्ग से एकत्रित की गई धनराशि का भी हिसाब सार्वजनिक करने की मांग करते हैं। ब्राह्मणों पर आपके द्वारा छुआछूत का आरोप लगाया गया है। यदि ब्राह्मण ऋषि वशिष्ठ अपने शिष्य भगवान राम को छुआछूत करना सिखाते तो क्या भगवान राम शबरी माता के झूठे बेर खाते? यदि ब्राह्मणों को छुआछूत ही करनी होती तो वह संत वाल्मीकि द्वारा लिखी हुई रामायण का बहिष्कार कर देते, जबकि ब्राह्मणों ने वाल्मीकि रामायण को अपने सबसे बड़े धर्म ग्रंथ के रूप में स्वीकारा और उसकी रक्षा के लिए कई बार अपनी जान की आहुति भी दी।
झाबुआ के कालिका माता मंदिर के पुजारी वाल्मीकि हैं, रामदास कॉलोनी स्थित तेजाजी मंदिर एवं बजरंग व्यामशाला के हनुमान मंदिर में दशकों से वाल्मीकि समाज के पुजारी पूजा करते आए हैं, ब्राह्मण उनके चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद लेते आए हैं। वाल्मीकि समाज द्वारा आयोजित किए जाने वाले भंडारों में ब्राह्मणों द्वारा बढ़-चढ़कर सहयोग किया जाता है एवं एक थाली में भोजन किया जाता है। ब्राह्मणों द्वारा नगर की उपेक्षित झुग्गी झोपड़ियों में जाकर अपने पैसों से वाल्मीकि समाज के घरों में जल प्रदाय की व्यवस्था करवाई गई है। गणेश चतुर्थी जैसे बड़े धार्मिक आयोजनों में जहां भगवान की आरती की बोली लगती है, वहां ऊंची से ऊंची बोली लगाकर ब्राह्मणों द्वारा वाल्मीकि समाज की माता-बहनों के हाथों से भगवान की आरती उतरवाई जाती है। इस सब के बावजूद अपने आप को ब्राह्मण समाज का ठेकेदार समझने वाले महेश जी शर्मा द्वारा ब्राह्मण समाज पर अशोभनीय टिप्पणी कर हमारी संवेदना को गहरा आघात पहुंचाया गया है।
आजादी की क्रांति का बिगुल बजाने वाले पहले क्रांतिकारी मंगल पांडे से लेकर आज़ादी दिलाने वाले चंद्रशेखर आज़ाद तक आज़ादी की लड़ाई ब्राह्मणों के खून से रंगी है। हिंदू समाज को जोड़कर रखने वाले ब्राह्मण हमेशा से ही विधर्मियो के निशाने पर रहे हैं, कभी जेएनयू में ‘ब्राह्मण भारत छोड़ो’ के नारे लगते हैं, तो कभी कम्युनिस्ट विघटनकारी शक्तियों को बढ़ावा देकर, केवल ब्राह्मणों को हिंदू समाज का दोषी ठहराने का प्रयास करते हैं। इसी श्रंखला में शिवगंगा के महेश जी शर्मा द्वारा ब्राह्मण पूर्वजों का अपमान किया गया है। इस अपमान पर सर्व ब्राह्मण समाज महेश जी से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग करता है। 24 घंटे के भीतर यदि माफी नहीं मांगी जाती है, तो आईपीसी धारा 153 (क) के अंतर्गत समुदाय विशेष की धार्मिक भावनाओं को आहत करने एवं वर्गों में शत्रुता उत्पन्न करने के प्रयास के चलते महेश जी पर एफ आई आर दर्ज करवाई जाएगी।