झाबुआ में एक मार्च से छाएगी भगोरिया की रौनक~एक सप्ताह तक छाया रहेगा भगोरिया का उल्लास, दूर-दूर से अपने गांव लौटेंगे ग्रामीण
झाबुआ। जनजातीय क्षेत्र का मुख्य पर्व भगोरिया अब नजदीक आ पहुंचा है। इस उल्लास भरे सांस्कृतिक पर्व की शुरुआत इस बार एक मार्च से हो रही है, जो सात मार्च तक चलेगा। लगातार सात दिनों तक जिले के हर जगह पर उत्साह दिखाई पड़ेगा। जिले में 36 स्थानों पर अलग – अलग दिन भगोरिया मेले लगेंगे। अब ग्रामीण क्षेत्रों में बेसब्री से इस पर्व की प्रतीक्षा हो रही है। पलायन स्थलों से अब ग्रामीण धीरे-धीरे लौटने लगे हैं। इस पर्व की विशेषता यह है कि अपनी जमीन से कोसो दूर जा चुके श्रमिक होली व भगोरिया मनाने अपने घर जरूर आते हैं। फरवरी के अंतिम सप्ताह से ही यह सिलसिला तेज हो जाएगा। इसके साथ त्योहारिया हाट बाजार में भी रौनक छाई रहेगी।
क्या है भगोरिया
यह एक सांस्कृतिक पर्व है जो होली के सात दिन पहले मनाया जाता है। खुशी चारों ओर छाई रहती है। झूला चकरी से लेकर खाद्यान्न का मेला स्थल पर लुफ्त उठाया जाता है। जीवन को एक पल में जीने की कला के दर्शन इसमें होते हैं। चाहे लाख गम हो मगर ग्रामीण इस दौरान अपनी पूर्ण मस्ती में रहते हैं। यह मस्ती का आलम भगोरिया को खास बना देता है।
रिश्तों को खुलकर जीने का देता अवसर
सदियों से मनाए जा रहे इस पर्व में आपसी रिश्तों को खुलकर जीने का अवसर मिलता है। मान्यता यह है कि भगोर वापस बसने की खुशी में जो वार्षिक मेला लगा वही भगोरिया हो गया है। होली की मस्ती इसमें दिखाई पड़ती हैं। रियासत काल में भी यह पर्व मनाया जाता था। उल्लास का यह पर्व वर्षों से खुशियां बिखरता रहा है और यह परंपरा कायम है।
यह रहेगा खास
– नए परिधान में ग्रामीण मेला स्थल पर आएंगे
– ढोल – मांदल व बांसुरी आदि की धुन बजेगी
– युवक-युवतियां ड्रेस कोड फलियेवार रखेंगे
– हर मेले में 25 से 50 हजार की उपस्थिति होने की संभावना