रतलाम. सैलाना बस स्टैंड स्थित मिशन कंपाउंड की मिशनरी के कब्जे की करोड़ों की जमीन अब प्रशासन के कब्जे में आ गई है। प्रशासन ने अलसुबह अपनी कार्रवाई शुरू की तो एक के बाद एक पुराने भवन ध्वस्त करते हुए आगे बढ़ता गया। शहर के सर्वे क्रमांक 87 की यह जमीन करोड़ों रुपए कीमत की है। प्रशासन के अनुसार 16 हजार वर्गमीटर जमीन को कब्जे में लिया गया है। शहर के प्राइम लोकेशन की 16 हजार वर्गमीटर जमीन की कीमत आज की स्थिति में करोड़ों रुपए में हैं।
मिशनरी को नहीं मिला था स्टे
पिछले दिनों ही मिशनरी की तरफ से कोर्ट में स्टे आर्डर लेने के लिए दावा प्रस्तुत किया गया था। मिशनरी की तरफ से तीन पार्टियों ने प्रशासन की कार्रवाई को चुनौती देते हुए कार्रवाई को रोकने और स्टे देने के लिए दावा किया था। सुनवाई के बाद जिला प्रधान न्यायाधीश ने दावे को खारिज करते हुए स्टे देने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि मिशनरी अपनी तरफ से कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं कर पाए।
इन्होंने लगाया था स्टे का केस
शासन की तरफ से लोक अभियोजक विमल छिपानी ने बताया कि चर्च ऑफ नार्थ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन ने संयुक्त पॉवर ऑफ अटार्नी होल्डर एडवर्ड मगनजी व राइट रेव्हरेंट मनोज चारण, चर्च ऑफ नार्थ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन डायोसिस ऑफ भोपाल-इंदौर की तरफ से रतलाम स्थित चर्च ऑफ नार्थ इंडिया की संपत्ति के सचिव हेमेंत वाल्टर और चर्च ऑफ इंडिया ट्रस्ट एसोसिएशन डायोसिस भोपाल-इंदौर की तरफ से रतलाम स्थित प्रेसबिटर इंचार्ज फादर रेव्हरेंट सेमसनदास की तरफ से स्टे के लिए कोर्ट में केस लगाया था। इसमें उन्होंने मप्र शासन के कलेक्टर रतलाम, एसडीएम रतलाम शहर और तहसीलदार रतलाम शहर प्रतिवादी बनाया था।
यह तर्क दिया चर्च की तरफ से
चर्च की तरफ से कोर्ट में तर्क दिया गया कि मिशन कंपाउंड व चर्च की 5.890 हैक्टेयर भूमि पर 100 वर्षों से ज्यादा समय से उनका आधिपत्य है। पिछले साल 14 अक्टूबर को यहां अतिक्रमण बताकर कार्रवाई की गई जबकि इसके पहले कभी भी अतिक्रमणकारी नहीं बताया गया। मिशन कंपाउंड में तोडफ़ोड़ या किसी तरह की अन्य शासकीय कार्रवाई रोकने के लिए उन्होंने निषेधाज्ञा की मांग करते हुए कोर्ट में वाद प्रस्तुत किया था। कोर्ट ने निषधाज्ञा देने से मना कर दिया।Patrika se Sabahar