पश्चाताप करों, तुम मिटटी हो मिटटी में मिल जाओंगे, मिटटी की यह काया तेरी मिटटी में मिल जायेगी आदि भजनों एवं आशीष वचनों के साथ प्रतिवर्षानुसार आज से कैथोलिक ईसाई धर्म का चालीसा काल शुरू हुआ है। यह चालीसा काल का पहला दिन राख बुधवार कहलाता है। इस वर्ष 22 फरवरी 2023 को चालीसा काल की पुजन विधी के प्रथम दिन से गुड फ्राईडे तक साढे 6 सप्ताह महत्वपुर्ण अवधि में ईसाईयों के लिए अनुग्रह का समय है। यह ग्यारवीं शताब्दी से प्रचलित परम्परा अनुसार माथे पर राख लगाकर हमें याद दिलाता है कि हमार अस्तित्व क्या है? इब्रानियों की परम्परा से चला आ रहा शुद्धीकरण एवं पश्चाताप का एक चिन्ह दुसरों के लिए एक साक्ष्य है। झाबुआ महागिरजा घर में आज सुबह सात बजे और शाम साढे 5 बजे इस धर्म विधी को संपन्न किया गया। सुबह 7 बजे फादर इम्बानाथन के सथ पवित्र मिस्सा बलिदान अर्पित किया गया। शाम साढे 5 बजे फादर प्रताप बारिया द्वारा पवित्र मिस्सा बलिदान अर्पित किया गया। झाबुआ डायोसिस के प्रशासनिक अधिकारी फादर पीटर खराडी द्वारा सभी ख्रीस्त भक्तों के लिए संदेश दिया गया। इस संदेश में उन्होने बताया कि ये समय हमें याद दिलाता है कि हमारी अच्छाईयां, प्रेम, शांति, नीति-न्याय एवं एकता को प्रकट करने का समय है। उपवास प्रार्थना, दान पुण्य हमारा एक आधार स्तंभ है। वहीं कैथोलिक ईसाइ धर्म के सर्वोच्च धर्म गुरू संत पापा फ्रांसिस ने कैथोलिक कलीसिया से आव्हान किया है िकवे अधिक से अधिक सहभागिता प्रदर्शित करें उन्होने कहा दैनिक प्रार्थना संचालन, बाईबिल के वचनों का आदान प्रदान का नेतृत्व पवित्र मिस्सा बलिदार में हम सभी अपनी सहभागिता दिखायें। आज के जिले के सभी कैथोलिक चर्चो में प्रत्येक शुक्रवार को गुड फाईडे तक पवित्र कु्रस मार्ग किया जावेगा। यह कु्रस मार्ग हमें येसु के दुख भोग की याद दिलायेगा। आज से सभी ईसाइ लोग 40 दिनों तक उपवास रखेंगे समाज में भलाई के कार्य करेंगे, उपवास करने के दौरान भोजन बचता है या उसकी राशि गरीबों को दान देने और भलाई के कार्यो में उपयोग की जाती है।