रतलाम। बिलपांक में प्राचीन विरूपाक्ष महादेव भक्तों के कष्ट हरते हैं। महादेव मंदिर दानपात्र महाशिवरात्रि के बाद खोला गया, जिसमें 2 लाख 16 हजार से अधिक दानराशि और चांदी के आभूषण भी भक्तों के निकले। महादेव मंदिर पर महाशिवरात्रि पर्व धूमधाम से मनाया जाकर महारूद्र यज्ञ का आयोजन भी होता, जिसकी अग्नि में तपकर तैयार होती नि:संतान महिलाओं को प्रसादी के रूप में वितरण की जाती है, जिससे इनका मनोकामना पूर्ण होती है।
शासकीय दान पात्र रखा गया, जिसे मंगलवार को तहसील कार्यालय से पहुंचे 7-8 पटवारी और आरआई ने खोला। दोपहर 1 बजे से शाम तक चली गिनती के दौरान दानपात्र से 2 लाख 16 हजार 7&0 रुपया दानराशि प्राप्त हुई। इसके अलावा चार-पांच सामग्री चांदी की छत्र व स्वस्तिक भी निकले जिन्हे पुन: दानपात्र में डाल दिए गए। दानपात्र से प्राप्त राशि की गिनती में पटवारी भरतलाल खराड़ी, शांतिलाल पंवार, अमृत आंजना, विकास नेका, बृजेश जायसवाल आदि शामिल थे।
पांच दिवसीय 80वां महारूद्र यज्ञ
प्राचीन विरूपाक्ष महादेव मंदिर में चल रहे पांच दिवसीय 80वां महारूद्र यज्ञ का अमावस्या पर पूर्णाहुति हुई 75 हजार से अधिक भक्तों ने दर्शन वंदन कर खीर ग्रहण की। इस साल करीब 2176 से अधिक ब”ाों का तुलादान हो चुका है। इसमें 12 जुड़वा ब”ो भी शामिल है। मंदिर पर कई नि:संतान मुस्लिम महिलाएं भी पहुंचती है, जिनकी मनोकामनाएं पूर्ण होती है वे तुलादान कर ईश्वर का आशीर्वाद लेती है।
महाशिवरात्रि पर विशेष
बिलपांक सकल पंच एवं महारूद्र यज्ञ मेला समिति के तत्वावधान में आयोजित महारूद्र यज्ञ का विश्राम सोमवार को होगा। महाशिवरात्रि पर ब्रह्ममुहुर्त से देर रात्रि तक एक लाख से अधिक भक्तों ने मंदिर के गर्भगृह में पहुंचकर महादेव के दर्शन वंदन और अभिषेक का लाभ लिया। वैदिक मंत्रो”ाारण के साथ यज्ञाचार्यों के सान्निध्य में महारूद्र यज्ञ चल रहा है। हर दिन हजारों की संख्या में भक्त पहुंच रहे हैं। सोमवार को सुबह यज्ञ पूर्णाहुति के बाद गंगाजल कलश यात्रा निकाली जाएगी। इसके साथ ही खीर प्रसादी का वितरण कार्य शुरू हो जाएगा, जो देर शाम तक चलेगा।
ऐसी है मान्यता
ऐसी मान्यता है कि महादेव के मंदिर से नि:संंतान महिलाएं महाशिवरात्रि के दौरान आने वाली अमावस्या पर महारूद्र यज्ञ की अग्नि में तप कर तैयार हो रही खीर को ग्रहण करती है। इसके बाद संतान प्राप्ति पर मंदिर में ही तुलादान करने के लिए श्रद्धा-भक्ति अनुसार पहुंचती है। फल, फ्रूट, मिठाई, अनाज आदि खाद्य सामग्री संतान के बराबर तुला पर तोलकर मंदिर में ही प्रसादी के रूप में वितरण कर दी जाती है।