रतलाम। असहनीय पीड़ा का दर्द झेलते मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं, लेकिन यहां भी दर्द पर मरमह की जगह असुविधाओं का कष्ट झेलना पड़ रहा है। दर्द का उपचार कराने कहराते पहुंच रहे मरीज महारानी राजकुंवर जिला अस्पताल में उल्टे दर्द का शिकार हो रहे हैं। जिम्मेदारों की अनदेखी के कारण मरीजों को पलंग और गद्दा तक मिल रहे है। कोई रात से तो कोई सुबह से आकर उपचार के लिए अपने घर से चद्दर आदि बिछौना जमीन पर बिछाकर उपचार कराने पर मजबूर हो रहा है।जिला अस्पताल में दूसरे दिन भी नीमवाला वार्ड में पलंग और गद्दा नहीं मिलने से कई मरीज परेशान होते रहे, हो भी क्यों नहीं उपचार जो करवाना है। जबकि सोमवार सिविल सर्जन डॉ. आनंद चंदेलकर पूछा गया तो उनका कहना है कि हमारे यहां मरीजों के लिए पर्याप्त पलंग है, अगर मरीज का जमीन पर उपचार किया जा रहा है तो गलत मैं, संबंधित पर कार्रवाई करूंगा, जबकि मंगलवार को भी जिला अस्पताल में हाल वहीं रहे, स्थिति सुधरने की जगह गंभीर मरीजों का भी उपचार जमीन पर होता रहा।
ये कैसा कायाकल्प और मरीजों को सुविधा
दूसरी तरफ सर्वसुविधा युक्त चिकित्सा व्यवस्था देने के लिए सरकार बड़े बड़े दावे कर रही है, गरीब लोगों के लिए कई योजनाएं संचालित की जा रही है, लेकिन जमीन हकीकत कुछ और ही बयां करती है। पिछले माह से जिला अस्पताल को और मरीजों के लिए सुविधायुक्त बनाने के लिए कई नवीन उपकरण लगाए गए जो आज तक चालू नहीं हुए, रंगरोगन किया गया, पलंग सुधारे गए, लेकिन मरीज आज भी परेशान होते नजर आ रहे हैं।
मरीज जमीन पर परिजन के हाथ में बॉटल
नीमवाला वार्ड में जब सुबह एक युवा चुहे मारने की दवाई खाकर आया तो उसे भर्ती किया गया, उसे भी पलंग और गद्दा नहीं मिला, तो उसे भी जमीन पर ही लिटाकर उपचार शुरू कर बॉटले चढ़ा दी। मरीज जमीन पर और बॉटल परिजन के हाथ में थमा दी, क्योंकि उसे टांगने के लिए इंगल नहीं था। जब बॉटल खत्म हुई तो नर्सों के पास परिजन मरीज की बॉटल बदलने का कहने गए। इस पर परिजन ने बताया कि नर्स ने कहा कि यह तो तुम भी कर सकते है, जैसे पहली वाली बॉटल लगी थी वैसे ही तुम यह बाटल भी लगा दो।
पथरी-कमर दर्द से परेशान
रतलाम निवासी रईस ने बताया कि पथरी के कारण कमर दर्द हो रहा है। इस कारण कर रात से भर्ती हूं, लेकिन पलंग और गद्दा कुछ नहीं दिया। इसलिए जमीन पर ही लेटकर उपचार करवा रहा हूं।
चुहे की दवाई खाने से भर्ती
अजय मीणा को चुहे की दवाई खाने से सुबह भर्ती किया, इसे भी जमीन पर ही लिटाकर बॉटलें चढ़ाई जा रही थी। परिजन नानालाल ने बताया कि पेट धुलाई के कारण पानी की बॉटल चढ़ाई जा रही है, बॉटल खाली हो रही है, मैंने नर्स से को बताया तो उन्होंने कहा कि जैसी लगी है, खाली हो जाए तो दूसरी बॉटल तुम ही लगा लेना।
बुखार से परेशान सुनिता
बुखार के कारण दो-तीन दिन से परेशान होकर अस्पताल सुबह भर्ती हुई सुनिता के परिजन का कहना है कि पलंग और गद्दा नहीं मिला है। इसलिए जमीन पर घर से लेकर आए चद्दर बिछाकर ही बॉटल चढ़ाई।