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संसार मोक्ष की पाठशाला है – आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाई जी आज शिव शक्ति पूजन मनोरथ

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संसार मोक्ष की पाठशाला है – आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाई जी

आज शिव शक्ति पूजन मनोरथ

रतलाम। संसार मोक्ष की पाठशाला है। भक्ति शरीर का विषय नहीं है। भक्ति आत्मा, मन और भाव का विषय है। साधक के जीवन में सरलता और सहजता आवश्यक है। साधक के मन में अगर यह गुण नहीं है तो वह साधक नहीं है और माता सीताजी का प्रिय भी नहीं है। मानव जीवन का एकमात्र सार मोक्ष है। मोक्ष के बंधन से पार पाने के लिए सभी को जगदम्बा मां सीताजी की भक्ति करना ही पड़ेगी।उक्त विचार परम पूज्य आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाईजी ने श्री सीताजी चरित्र के मंगल प्रवचन के तृतीय दिवस में व्यक्त किए। श्री तुलसी परिवार द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्री सीताजी चरित्र के मंगल प्रवचन के दौरान पांडाल में रविवार को बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे। पोथी पूजन यजमान मनीषा संजय सोनी, पल्लव – श्रुति व्यास, प्रेक्षा – प्रतीक महाजन, डॉ. कृति बसंत शर्मा, सुषमा धर्मेन्द्र श्रीवास्तव, मितेश जोशी, डॉ. मधु गुप्ता ने किया। राधावल्लभ पुरोहित द्वारा पीपल के पत्ते पर अंकित किए गए भगवान श्रीनाथजी का चित्र भेंट आचार्य श्री किरीट भाई को किया।

आचार्य श्री का स्वागत श्री मेहन्दी कुई बालाजी मंदिर ट्रस्ट सदस्यों, प्राध्यापक एवं कर्मचारी शासकीय कन्या महाविद्यालय, जीव दया समिति की तरफ से दिनेश वाघेला, अमेरिका से आई संध्या पटेल, नीलू उपाध्याय, डॉ. प्रकाश उपाध्याय, राकेश गुप्ता, राजेश प्रतिमा सोनी आदि ने किया। मंच का संचालन करते हुए रंगकर्मी कैलाश व्यास ने आचार्य श्री को रतलाम के साड़ी, सोना एवं नमकीन सहित रतलाम के पुराने इतिहास की प्रसिद्धि के बारे में बताया। मंगल प्रवचन के अंत मे 6 वर्षीय त्रिधा मेहता सीता मां के बाल रूप में प्रकट हुई। फूलों से वर्षा कर स्वागत किया गया। व्यास गादी पर आचार्य ब्रह्मर्षि श्री किरीट भाई ने बाल रूपी सीता माता का फूलों की माला पहनाकर अभिनंदन किया। भजनों की मधुर प्रस्तुति पर श्रद्धालुजन झूम उठे। अंत में आचार्य श्री द्वारा अभिमंत्रित दिव्य श्री यंत्रम का विमोचन अचला व्यास एवं आचार्य श्री द्वारा लिखे गए श्री रामामृर्तम् ग्रंथ का विमोचन प्रो. सुषमा कटारे द्वारा किया गया।

अंबेडकर मांगलिक परिसर में आयोजित परम पूज्य आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाईजी ने मानव के तीन प्रमुख अवगुण काम, क्रोध और लोभ को परिभाषित कर सरल शब्दों में व्याख्या की। परम पूज्य आचार्य ब्रहषि किरीट भाईजी ने धरती का अर्थ सहनशीलता बताया। उन्होंने बताया कि धरती माँ में कभी भी अप्रसन्नता का भाव नजर नहीं आता।

पिता को क्यों प्यारी होती है बेटी

श्री सीताजी चरित्र के मंगल प्रवचन के दौरान आचार्यश्री ने पिता-पुत्री के प्रेम का चित्रण किया। पुत्र की प्राप्ति भाग्य से और पुत्री की प्राप्ति महाभाग्य से होना बताया। आचार्यश्री ने कन्यादान का महत्व समझाते हुए बताया कि ममता से मुक्ति, अहंकार और अभिमान से मुक्त होना ही कन्यादान है। इसलिए जिनके घर पुत्री जन्म लेती है वह लाड़ली होने के साथ पिता पर अपना अधिकार भी रखने लगती है। पिता भी अपनी लाडली का कहना किसी भी परिस्थिति में नहीं टाल सकता है। मंगल प्रवचन के चौथे दिन 27 फरवरी को मनोरथ शिव शक्ति पूजन का रसास्वादन कराया जाएगा। 2 मार्च तक आचार्य श्री किरीट भाई के मुखारबिंद बहने वाली जज्ञान गंगा में अलग अलग मनोरथ प्रस्तुत किए जाएंगे।

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