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शक्ति रूपी मां जगदम्बा जगत को करती है नियंत्रण – परम पूज्य आचार्य ब्रह्मर्षि भाईजी 

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शक्ति रूपी मां जगदम्बा जगत को करती है नियंत्रण – परम पूज्य आचार्य ब्रह्मर्षि भाईजी 

रतलाम। मां जगदम्बा ने जगत के सामने अपना जीवन उजागर कर दिया। मां सीता निर्गुण और निराकरण का तत्व हैं। अहं सर्वश्व जीवनं…, शक्ति के बिना जीवन संभव नहीं है। यह शक्ति रूपी मां जगदम्बा जगत को नियंत्रण कर क्रियाशील करती हैं। इसलिए मूर्ति दर्शन और तीर्थ में स्नान के अलावा यज्ञ में आहुति प्रदान कर पुण्य शक्तिरूपा मां जगदम्बा का आशीर्वाद प्राप्त करना सभी के लिए जरुरी है।

श्री तुलसी परिवार द्वारा आंबेडकर मांगलिक परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्री सीताजी चरित्र के मंगल प्रवचन में उक्त विचार परम पूज्य आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाईजी ने व्यक्त किए। मंगल प्रवचन का दीप प्रज्ज्वलन पद्मश्री पुरस्कृत डॉ. लीला जोशी ने कर आचार्य श्री का आशीर्वाद लिया। पोथी पूजन यजमान अचला राजीव व्यास, मनोरथी प्रतिभा अनिल जगरिया, प्रतिभा राजेश सोनी, अनुप्रिया दिनेश गुप्ता, राकेश व्यास, तृप्ति मितेश जोशी, राजेश व्यास आदि ने किया। आचार्य श्री का स्वागत कालिका माता सेवा मंडल ट्रस्ट, सेंट्रल गवर्नमेंट एवं पेंशनर एसोसिएशन, राजपूत समाज, सत्य साई सेवा समिति, सुषमा आरके कटारे, हरीश रत्नावत, कीर्ति व्यास, घनश्याम पांचाल आदि ने किया। संचालन कैलाश व्यास ने किया। मंगल प्रवचन के अंत मे आचार्य श्री के हाथों जीव दया गौ समिति के रोटी वाहन का शुभारंभ किया आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाईजी ने कहा आत्मा का स्वभाव मुक्त है जबकि मन का स्वभाव बंधन वाला है। आत्मा और मन के बीच द्वन्द निरन्तर चलता रहता है। मनुष्य को सर्वप्रथम मन पर काबू पाकर अपने अंतर्मन के मुताबिक बंधनों से मुक्त रहना चाहिए। मन चाहता है मुझे भोग मिले, मैं शरीर में ही रहूं, जबकि आत्मा चाहती है मुझे छुटकारा मिले। इसलिए शरीर के भोग में जितना मजा आता है बाद में उससे ज्यादा सजा भी भुगतना पड़ती है। आचार्य श्री किरीट भाईजी ने शास्त्रों से श्राद्ध का अर्थ बताते हुए कहा सदगति मिलना, इसलिए मृत्यू उपरांत कोई आपका श्राद्ध करें उसके पूर्व जीवन में मुक्ति पाने के लिए अपने कर्म सुधार लो। मां सीता ने वनवास के दौरान प्रतिवर्षानुसार पितरों की मुक्ति के लिए साधु, संतों को पत्तलों पर भोजन कराकर कुल की बहू होने का धर्म निभाया। आचार्य श्री किरीट भाईजी ने कहा की भगवान या अपने आराध्य देव से मुसीबत नहीं आए यह प्रार्थना कभी नहीं करना चाहिए। परमपिता परमेश्वर से सिर्फ यह प्रार्थना करनी चाहिए की मेरे कर्म के अनुरूप जो समस्या सामने खड़ी है उससे लड़ने की मुझे हिम्मत प्रदान करें। कर्म का फल प्रत्येक इंसान को भुगतना है, इसलिए कर्म ऐसा करों, जिससे जीवन में कष्ट पास में आए ही नहीं और आपको सदगति प्राप्त हो जाए।

गृहस्थ जीवन के सफलता का मंत्र

परम पूज्य आचार्य किरीट भाईजी ने व्यासपीठ से वर्तमान दौर में नवदंपती जीवन प्रबंधन का पाठ भी पढ़ाया। मां सीता के जीवन चरित्र के माध्यम से परम पूज्य आचार्य श्री किरीट भाईजी ने बताया कि आप दोनों (पति-पत्नी) जब अग्नि के समक्ष फेरे लेते हैं ठीक उसी प्रकार उस दौरान लिए वचनों को कभी न भूलें। एक-दूसरे का पसंद और नापसंद भाव और विचार का निरीक्षण करें। एक दूसरे को मान-सम्मान देना कभी न भूले। उन्होंने बताया कि गृहस्थ आश्रम एक समझौता है, इसलिए हमेशा एक-दूसरे की बात को गठान न बांधते हुए भूलना सीखें। महिलाओं में यह शक्ति होती है कि वह अपने वर को एक अच्छा पति बना सकती है।

जब प्रकट हुए राम सीता तो हुई फूलों की वर्षा

मंगल प्रवचन के दौरान पाण्डाल में राम सीता का रूप धारण कर कलाकारों का आना हुआ तो फूलों की वर्षा कर भव्य स्वागत किया गया। हर कोई राम सीता को प्रणाम करने के लिए आतुर था। सीता राम सीता राम, आज ब्रिज में होली रे रसिया, होलीडा में उड़े रे गुलाल भजनों पर राम सीता के नृत्य के साथ श्रद्धालुजन भी राम सीता की भक्ति में झूम उठे। व्यास गादी पर राम सीता का स्वागत आचार्य श्री किरीट भाई ने किया। मंगल प्रवचन के छठे दिन 1 मार्च को सरयु लोटी मनोरथ का रसास्वादन कराया जाएगा।

 

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