RATLAM

ज्ञान के हैं दो प्रकार बुद्धि और सद्बुद्धि – परम पूज्य आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाईजी  – सात दिवसीय श्री सीताजी चरित्र के मंगल प्रवचन का हुआ समापन

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ज्ञान के हैं दो प्रकार बुद्धि और सद्बुद्धि – परम पूज्य आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाईजी 

– सात दिवसीय श्री सीताजी चरित्र के मंगल प्रवचन का हुआ समापन

रतलाम। मानव में दो प्रकार का ज्ञान होता है। एक बुद्धि और दूसरी सदबुद्धि। बुद्धि जगत में व्यवहार, आजीविका संचालन के अलावा परिवार के भरण-पोषण तक सीमित रहती है। सदबुद्धि आत्मा से संबंधित होती है। यह जीवन और मृत्यु के फेर से छुटकारा चाहती है। इसे यूं भी समझ सकते हैं कि बुद्धि जगत तक सीमित रहती है और जगदीश को पाने के लिए सदबुद्धि सकुशल है।

उक्त विचार परम पूज्य आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाईजी ने व्यक्त किए। श्री तुलसी परिवार द्वारा आंबेडकर मांगलिक परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्री सीताजी चरित्र के मंगल प्रवचन का गुरुवार को समापन हुआ। दीप प्रज्जवलन एवं स्वागत पूर्व पर्यटन निगम अध्यक्ष तपन भौमिक, शासकीय कन्या महाविद्यालय प्राचार्य आरके कटारे, तुलसी परिवार रतलाम अध्यक्ष बाबुलाल चौधरी ने किया। पोथी पूजन अचला राजीव व्यास, सुषमा राजकुमार कटारे, कीर्ति – राजेन्द्र व्यास ने किया। आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाई का स्वागत सनातन धर्म सभा के कन्हैयालाल मौर्य, समाजसेवी अनिल झालानी, संदीप व्यास, अनिल पोरवाल, राकेश गुप्ता, राजेंद्र गुप्ता, राजेश व्यास, राकेश माली, विनय ओझा, सोनू व्यास, हरीश रत्नावत, गजेंद्र कुसुम चाहर, विवेकानंद उपाध्याय, सौरभ गुर्जर, नारायण अग्रवाल आदि ने किया। संचालन कैलाश व्यास ने किया। 

आचार्य ब्रह्मर्षि  ने कहा जिस प्रकार अग्नि का स्वभाव जलाना है, ठीक उसके विपरित मां सीता का स्वभाव कल्याण करना है। इसलिए मां सीता को पाने के लिए आप उनका चिंतन कीजिए वह आपकी चिंता स्वयं करना शुरू कर देगी। जीवन में मनुष्य आत्म दर्शन करने लगें तो समझ लेना की मां सीता की कृपा शुरू हो गई है। आचार्य ब्रह्मर्षि ने उदाहरण प्रस्तुत कर जीवन में सफलता का मूलमंत्र कुछ इस प्रकार बताया कि संसार में सफल होने के लिए जेब में गांधी नहीं आपके अंदर आंधी चाहिए। उन्होंने बताया कि आप माया पति बनकर सफल नहीं हो सकते हैं। माया यानी मां सीता के बालक बन उनकी आराधना करो।

सफलता का दिया मूलमंत्र

आचार्य ब्रह्मर्षि ने मानव जीवन में व्याप्त सफलता और नकारात्मक पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि जब आपके अंदर नकारात्मक विचार आए तो समझ लेना अहंकारी रावण आपके अंदर है। इससे बचने का एकमात्र उपाय यह है कि सुबह उठकर दर्पण में अपना चेहरा देखकर बोलो की मैं सुखी हूं, मैं बलशाली हूं और धनवान होने के साथ एक सफल मनुष्य हूं। फिर देखना आपके अंदर परिवर्तन कैसे आता है। यह परिवर्तन मां भगवती के आशीर्वाद से स्वतः ही प्राप्त होने लगेगा।

पाप नहीं पुण्य कमाओं

आचार्य ब्रह्मर्षि ने बताया कि वाणी, विचार और शरीर से किया गया पाप अगर आप कर रहे हो तो संभल जाओ। जो पाप आपने किसी भी माध्यम से किया है और आप शांत हो गए तो आपके उक्त पाप को आपका पुत्र, पोता या परपोते को भुगतना पड़ेगा। आप उपकार और परोपकार कर पुण्य कमाओ। इससे आपको तो मुक्ति मिलेगी ही आपका वंश भी कीर्ति प्राप्त करेगा।

सभी को दिया धन्यवाद 

आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाई ने सात दिन तक मंगल प्रवचन (कथा) में नगर निगम, पुलिस प्रशासन सहित तुलसी परिवार व व्यवस्थाओं को संभालने वालों सभी को धन्यवाद दिया। सीता चरित्र मंगल प्रवचन के अंतिम दिन सरयू लोटी का मनोरथ हुआ। महिलाएं सिर पर मटके में जल लेकर आई। जहां आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाई ने पूजा अर्चना कर मनोरथ पूरा कराया। आचार्य ब्रह्मर्षि किरीट भाई ने गुरु दीक्षा दी। हवनकुंड में आहुति देकर पूर्णाहुति की गई। अंत में गुरु प्रसादी का वितरण किया गया।

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