डॉ. कैलास नाथ काटजू विधि महाविद्यालय के नवीन भवन का लोकार्पण समारोह – मुरैना के गांव से मैं यहां तक पहुंचा, आप तो रतलाम से ओर ऊॅचाईयां छु सकते है – न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी
डॉ. कैलास नाथ काटजू विधि महाविद्यालय के नवीन भवन का लोकार्पण समारोह –
मुरैना के गांव से मैं यहां तक पहुंचा, आप तो रतलाम से ओर ऊॅचाईयां छु सकते है – न्यायमूर्ति जे.के. माहेश्वरी
रतलाम, 04 मार्च 2023। सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जे.के.माहेश्वरी ने रतलाम एजुकेशनल सोसायटी द्वारा संचालित डॉ. कैलासनाथ काटजू विधि महाविद्यालय के नवीन भवन का लोकार्पण किया। पहले महाविद्यालय पहुंचकर उन्होंने फीता काटा और फिर शिलालेख का अनावरण कर नए भवन का अवलोकन किया। बाद में श्रीजी पैलेस में आयोजित लोकार्पण समारोह को सम्बोधित करते हुए विधि के क्षेत्र को विशिष्ट क्षेत्र बताया। लोकार्पण समारोह की अध्यक्षता प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव ने की। इस मौके पर बार कौंसिल ऑफ इंडिया के को-चेयरमेन प्रताप मेहता, विशिष्ट अतिथि रहे। रतलाम एजुकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष एवं शहर विधायक चेतन्य काश्यप सहित महाविद्यालय के ट्रस्टीगण मंचासीन थे। न्यायमूर्ति श्री जे.के. माहेश्वरी ने विद्यार्थियों को प्रेरक उद्बोधन में कहा कि ‘‘मैं पास्ट में बहुत ज्यादा मुड़ कर नहीं देखता, लेकिन उसको याद जरूर करता हूँ क्योंकि यदि मैं उसे याद नहीं रखुंगा तो मैं आगे नहीं बढ़ सकूँगा, लेकिन मैं उसे उखाड़ता नहीं हूँ। मैं वर्तमान में जीने वाला आदमी हूँ। जो पास्ट में था उससे नसीहत लेकर वर्तमान अच्छा बनाने की कोशिश करता हूँ। आज मैं सबके साथ हूँ, यह मेरा अच्छा वर्तमान है। मैं विधि विद्यार्थियों से कहना चाहता हूँ कि मेरा पास्ट सबने सुनाया। एक चीज़ का ध्यान रखे आपके लिए बहुत अच्छा भगवान ने सोच रखा है। आप तो अपना वर्तमान अच्छा करते जाईए, भविष्य आपका अपने आप अच्छा हो जाएगा और इसका उदाहरण मैं आपके सामने हूँ। आप जिस रास्ते को चुने उसी पर आगे बढ़े। मुरैना जिले के एक गांव से निकलकर मैं यहां तक पहुंचा हॅू, तो आप ओर ऊॅचाईयों पर जा सकते है।’’
उन्होंने कहा कि विधि व्यवसाय चुनने का सबसे बड़ा फायदा यह होता है कि व्यक्ति की विश्लेषण करने की क्षमता बढ़ जाती है। इस क्षेत्र में ईमानदारी, समर्पण और मेहनत करने वाले को आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता। विद्यार्थियों को रीडिंग, राईटिंग, डिस्कशिंग एवं थिंकिंग पर ध्यान देना आवश्यक है। इससे कभी विफलता नहीं मिलेगी। 5 साल संघर्ष करके बहुत आगे बढ़ सकते है, लेकिन युवा पीढ़ी को मालुम नहीं की उसे कहां दिमाग लगाना चाहिए। शिक्षा पूर्ण करते ही यह पीढ़ी सीधे मल्टीनेशनल कंपनियों से जुड़ना पसंद कर रही है, जबकि भविष्य का चयन बहुत सोच-समझकर करना चाहिए।
मातृ भाषा में शिक्षा देने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य –
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने लोकार्पण समारोह में कहा कि न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी मध्यप्रदेश का गौरव है। मध्यप्रदेश के लिए यह गर्व की बात है कि मेडिकल की शिक्षा मातृ भाषा में शुरू करने वाला वह पहला राज्य बना है। उन्होंने कहा कि महाराजा विक्रमादित्य की न्याय व्यवस्था अनुकरणीय थी। उससे प्रेरित होकर ही विधि के क्षेत्र को सुदृढ़ करने का कार्य रतलाम एजुकेशनल सोसायटी कर रही है। देश में ऐसा युनिक कॉलेज नहीं मिलेगा –
बार कौंसिल ऑफ इंडिया के को-चेयरमेन प्रताप मेहता ने कहा कि देश में ऐसा युनिक कॉलेज नहीं मिलेगा। इसमें बी.ए. एल.एल.बी. प्रारंभ करने के लिए निरीक्षण पर जब वे आए थे, तो सुविधाएं नहीं थी। सोसायटी अध्यक्ष एवं विधायक चेतन्य काश्यप ने जब उन्हें आश्वस्त किया कि सारी सुविधाएं विकसित करवाई जाएगी, तब सशर्त अनुमति दी गई थी। खुशी की बात है कि आज महाविद्यालय का नया भवन बन चुका है। श्री मेहता ने महाविद्यालय में अच्छी फैकल्टी रखने पर जोर दिया, जिससे रतलाम का नाम रोशन हो।
अलाभकारी शिक्षा का मॉडल है रतलाम लॉ-कॉलेज
रतलाम एजुकेशनल सोसायटी के अध्यक्ष एवं विधायक चेतन्य काश्यप ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि संविधान में शिक्षा अलाभकारी पद्धति से चलाने का प्रावधान है और रतलाम लॉ-कॉलेज का संचालन उसी आधार पर हो रहा है। विधि, खेल और शिक्षा के क्षेत्र में देश को जब तक उच्च स्तर पर नहीं पहुंचाएंगे, तब तक सही मायने में विकास नहीं कर पाएंगे। रतलाम का लॉ कॉलेज अलाभकारी संस्था है। इसकी आधार शिला छोटे शहरों एवं कस्बों में गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा की प्राप्ति सुनिश्चित करने के उद्देश्य से रखी गई है। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश से कई विभूतियां निकली है। न्यायमूर्ति श्री माहेश्वरी भी उनमें से एक है, जो मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के बाद आंध्रप्रदेश, सिक्किम में कार्य कर आज सर्वोच्च न्यायालय में प्रदेश का गौरव बढ़ा रहे है।
दीप प्रज्जवलन कर किया शुभारंभ
लोकार्पण समारोह के आरंभ में ट्रस्ट के सचिव डॉ. वाते ने संस्था परिचय देते हुए कहा कि वर्ष 1962 में नगर पालिका के पार्षदों ने ट्रस्ट बनाकर लॉ कॉलेज की स्थापना की थी। पहले वर्ष 25 विद्यार्थियों से शुरू हुए विधि महाविद्यालय में आज 500 से अधिक विद्यार्थी अध्ययनरत है। अतिथियों ने दीप प्रज्जवलित कर माँ सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण किया। ट्रस्ट अध्यक्ष श्री काश्यप, उपाध्यक्ष निर्मल कटारिया, सचिव डॉ. संजय वाते, कोषाध्यक्ष केदार अग्रवाल, भवन निर्माण संयोजक एवं ट्रस्टी निर्मल लुनिया, ट्रस्टी सुभाष जैन, कैलाश व्यास, उमेश झालानी, डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला सहित प्राचार्य डॉ. अनुराधा तिवारी, विद्यार्थी मंथन मुसले, जिला अभिभाषक संघ अध्यक्ष अभय शर्मा, कलेक्टर नरेन्द्र कुमा