झाबुआ

महिलाओं को रोजगार मिल सके और उन्हें स्वाबलंबी बना सकें

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कुश्ती मे दो बार केशरी रह चुके अनेक उपलब्धियां प्राप्त आयरन गेम्स के राष्ट्रीय खिलाड़ी एवं कोच ख्यात नाम सुशील बाजपेई ( पहलवान) इनकी दो बेटियां हैं श्रद्धा एवं यशस्विनी जो कि स्वयं कराटै खेल की स्टेट मेडलिस्ट रह चुकी हैं सचिन कृष्णा जी से इन्होंने कराटै की शिक्षा ली थी अपनी पढ़ाई पूरी कर दोनों ने एक ने फायर इंजीनियरिंग डिप्लोमा कर तो दूसरी हाई कोर्ट एडवोकेट बन गई है दोनों ने मिलकर श्री सुयश फायर एंड सेफ्टी फर्म की स्थापना की साथ ही यशस्विनी ने मास्टर्स इन जर्नलिजम एंड मास कम्युनिकेशन
एजुकेशन– मास्टर्स पत्रकारिता एवं जनसंचार ( Masters in Journalism and Mass Communication)
विशेषज्ञता– भाषांतर/ अनुवाद(Translation of Newses, Interpreting)
जनसंपर्क(Public Relation ) पत्रकारिता की और दोनों अब पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम बढ़ा रहे हैं ताकि महिलाओं को रोजगार मिल सके और उन्हें स्वाबलंबी बना सकें इनके माता-पिता माता श्रीमति सुनीता वाजपेई पिता श्री सुशील वाजपेई दोनों ही शासकीय सेवारत हैं इसके उपरांत नोकरी की ओर न जाकर इन बेटियों ने स्वयं का कार्य स्थापित कर रोजगार का अवसर प्रदान करने हेतु संकल्प लिया है दोनों का कहना है कि हमने इस क्षेत्र को इसलिए चुना है कि हमारे साथ-साथ अन्य महिलाओं एवं युवाओं को रोजगार का अवसर मिले पीड़ित महिला गरीब महिला वर्ग को हम निशुल्क सेवा प्रदान करें जिससे जिले की भी उन्नति हो और स्वयं भी स्वावलंबी बन सकें। ऐसे क्षेत्र जो सामान्यतः सोच में नहीं होते उन क्षेत्रों में आगे बढ़ अवसरों की तलाश कर जिले में रोजगार का आगाज किया है। आने वाले समय में इन क्षेत्रों में विभिन्न प्रोजेक्ट की परिकल्पना को लेकर कार्यरत हैं यह दोनों और संकल्प बद्ध है। लक्ष्य–समाज को अपने अधिकारों से अवगत कराकर उन्हें आत्मनिर्भरता और सशक्त कर्तव्य पथ प्रदर्शित करना लक्ष्य है दोनों का एक ही संकल्प है *ना महिला प्रधान ना पुरुष प्रधान यह जिला हो समानता प्रधान*

श्रद्धा एवं यशस्विनी

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