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डॉक्टर ने खेल छोड़ने की सलाह दी थी,अब झोली में गिराती है सोना चांदी,

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डॉक्टर ने खेल छोड़ने की सलाह दी थी,अब झोली में गिराती है सोना चांदी,

डॉक्टर ने खेल छोड़ने की सलाह दी थी, चुनौती स्वीकार की अब अपने दम पर झोली में गिराती है कभी सोना तो कभी चांदी

रतलाम. एक समय ऐसा आया जब कमजोरी के चलते डॉक्टर ने जांच के बाद खेल छोडऩे की सलाह दी, कहा शरीर में हिमोग्लोबिन से लेकर जरूरी पोषक तत्व की कमी है। खेल कृतज्ञा के लायक नहीं है। डॉक्टर की बात को चुनौती के रुप में स्वीकारा, योग को जीवन में अपनाया, अब दौड़ की कोई भी प्रतियोगिता हो, सोना से लेकर चांदी कृतज्ञा की झोली में गिरता है।

2016 में स्कूली पढ़ाई के दौरान वार्षिक प्रतियोगिता में भाग लिया। पिता राकेश शर्मा बास्केटबॉल के राष्ट्रीय खिलाड़ी व कोच है तो उनके संरक्षण में ही मैदान में जाकर अभ्यास शुरू किया। कृतज्ञा के अनुसार एथलेटिक्स के खिलाड़ी के लिए मैदान अंतरराष्ट्रीय स्तर का होना जरूरी है, लेकिन रतलाम में राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं के लायक भी मैदान नहीं मिला। ऐसे में चुनौती ये थी कि जब बड़े शहरों के खिलाडिय़ों से मुकाबला हो तब बाजी कैसे मारे। ऐसे समय में विभिन्न धावकों के वीडियो देखें। स्वयं को जैसा मैदान था, उसी में तैयार किया। मन को शांत रखकर अभ्यास में ध्यान देने में योग ने सहयोग किया।
ब्लड टेस्ट कराया तो….
स्कूली प्रतियोगिता में पहली बार 100 मीटर बाधा दौड़ में पहला नंबर आया। 2016 में ही राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा और छठा स्थान प्राप्त हुआ। कृतज्ञा के मन में जिद पैदा हुई और नियमित अभ्यास करना शुरू कर दिया। इसी दौरान कृतज्ञा शारीरिक रूप से कमजोर दिखने के कारण उसे डॉक्टर को दिखाया। ब्लड टेस्ट कराया तो रिपोर्ट हिमोग्लोबिन 6 व आयरन की मात्रा 20 आने पर डॉक्टर ने खेल छोडऩे की सलाह दी।
योग को अपनाया

डॉक्टर की सलाह पर कृतज्ञा को एक बार लगा जीवन के सारे सपने टूटने का समय आ गया है, लेकिन इसके बाद योग को जीवन में अपनाया। नतीजा आया कि 2017 स्कूल के राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में पूरे मध्यप्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त कर गोल्ड मेडल हासिल किया। इसी वर्ष में नई दिल्ली में राष्ट्रीय स्कूल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में मध्यप्रदेश टीम का प्रतिनिधित्व किया, जिसमें सेमीफाइनल तक का सफर रहा और राज्य स्तरीय ओपन टूर्नामेंट में गोल्ड मेडल हासिल किया। 2018 में राज्य स्कूल एथलेटिक्स प्रतियोगिता में मध्यप्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए गोल्ड मेडल हासिल किया। सन 2019 में राष्ट्रीय स्कूल खेल प्रतियोगिता संगरूर पंजाब में आठवें स्थान पर अपना नाम दर्ज कराया।

कोरोना काल रहा बड़ी चुनौती
कोरोना काल बड़ी चुनौती रहा। घर की छत को मैदान मानकर अभ्यास शुरू किया। जनवरी 2020 में भोपाल टीटी नगर स्टेडियम में अंडर 20 राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैंपियनशिप में सबको चौकाते हुए पूरे भारतवर्ष में पांचवां स्थान प्राप्त किया। रायपुर छत्तीसगढ़ में फरवरी 2020 में आयोजित अंडर 18 राष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल जीता। 2020 में नेपाल में ओपन जूनियर वर्ग साउथ एशियन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल किया और इसके बाद मध्यप्रदेश में आयोजित ओपन जूनियर वर्ग 100 मीटर बाधा दौड़ में भी गोल्ड मेडल हासिल किया।
अभ्यास के लिए परेशानी
कृतज्ञा के अनुसार रतलाम में खिलाडिय़ों के लिए सुविधा तो दूर, बेहतर मैदान ही नहीं है। आप अभ्यास करते है तो कभी कंकड़ तो कभी मनचले आकर परेशान करते है। लेकिन जिंदगी की जंग जारी है, एक दिन ओलंपिक में भारत के लिए गोल्ड लाना है तो इसको लाकर दिखाएंगे।(पत्रिका  से साभार)

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