कलेक्टर नहीं तो जनसुनवाई नहीं:रतलाम में बिना कलेक्टर जनसुनवाई बनी खानापूर्ति, बैरंग लौटे आवेदक
रतलाम~रतलाम में प्रत्येक मंगलवार को होने वाली जनसुनवाई आज महज खानापूर्ति बनकर रह गई। आलम यह है कि अधिकारी आवेदकों को एक टेबल से दूसरी टेबल भेज कर महज खानापूर्ति करते नजर आए। जनसुनवाई में पहुंचे आवेदक केवल कलेक्ट्रेट का चक्कर लगाकर बैरंग वापस लौटने को मजबूर हो गए। जनसुनवाई में पहुंचे दो विकलांगों को अपनी विकलांगता फिर से साबित करने के लिए कड़ी धूप में जिला अस्पताल भेज दिया गया। वहीं, बच्चों की फीस जमा नहीं कर पाने की वजह से परीक्षा से वंचित रह गए बच्चों के परिजनों को भी जनसुनवाई में मौजूद अधिकारियों ने टका सा जवाब देकर बैरंग लौटा दिया। जबकि पिछले दिनों जनसुनवाई के दौरान कलेक्टर खुद फीस नहीं भर पाने वाले मजबूर बच्चों को स्कूल में दाखिला दिलवाने पहुंचे थे।
दरअसल बीते कुछ महीनों से जनसुनवाई के दौरान त्वरित समाधान मिलने से पीड़ित और वंचित आवेदक जनसुनवाई में बड़ी संख्या में उम्मीद लगाकर पहुंचते हैं। लेकिन जनसुनवाई की यह गंभीरता केवल कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी की मौजूदगी में ही दिखाई देती है। 11:00 बजे शुरू हुई जनसुनवाई में कलेक्टर की गैरमौजूदगी में अन्य अधिकारियों को जनसुनवाई करनी थी लेकिन आवेदकों को समाधान ही लौटा दिया गया। सामाजिक न्याय विभाग की उप संचालक ने जनसुनवाई में ट्राईसाईकिल का आवेदन लेकर पहुंचे 2 आवेदकों को कागजों की खानापूर्ति करने के लिए जिला अस्पताल पहुंचा दिया। जबकि कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी इस मामले में पहले ही स्पष्ट निर्देश दे चुके हैं कि जन सुनवाई के दौरान समस्त विभागों के अधिकारी मौजूद रहेंगे और आवेदक को अनावश्यक विभागों के चक्कर नहीं लगवाए जाने चाहिए।
वहीं,स्कूल में फीस नहीं भर पाने की वजह से परीक्षा से वंचित रह रहे छात्र के परिजन आवेदन लेकर जनसुनवाई में पहुंचे थे। लेकिन आ उन्हें जनसुनवाई में मौजूद अधिकारियों ने यह कहकर लौटा दिया कि प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाते हो तो फीस तो भरना होगी।
बहरहाल कलेक्टर की मौजूदगी में रतलाम में जनसुनवाई महज खानापूर्ति बनकर रह गई।(भास्कर से साभार)