झाबुआ

पंचपुष्प श्री शिवमहापुराण के प्रथम दिन उमड़ा जन सैलाब, कथावाचक प्रदीप मिश्रा के शिव भजनों पर थिरक उठा कोटेश्वर धाम

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(जनसमाचारडेस्क से वत्सल आचार्य) –( कोद कोटेश्वर धाम). अपने इस श्रीमुख को शुद्ध रखना चाहते हो तो भगवान के पास अपने मुख में पान खाकर वहां अपने मुंह से थूका मत करो, उससे दोष लगता है।आज पूरी पृथ्वी को पिक दान बना दिया है। जिसका हम अन्न खा रहे हैं उसको नमन करना चाहिए जिसकी बंजर भूमि पढ़ी हो उसमें कुछ नहीं होता हो,किसी मंदिर का निर्माणल्य को एकत्रित कर पूरे भूमि पर खेत में डाल दो,जमीन उपजाऊ हो जाएगी।हर कंही थूक देने से दोष लगता है। दो चीजें स्मरण रखो जब किसी मंदिर में जाओ और वंहा बेलपत्री फूल पड़ा हो तो उसे किसी कोने में रख दो, नही तो यदि उसे कोई लांघेगा तो उसका दोष तुम्हे लगेगा। भगवान का फूल उसको दो जो उसका मोल समझता हो।
उक्त सारगर्भित विचार अति प्राचीन कोटेश्वर धाम मंदिर परिसर में आयोजित पंचपुष्प श्री शिव महापुराण कथा के प्रथम दिन अंतर्राष्ट्रीय कथा वाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने व्यक्त किए।आपने आगे कहा कि यह कथा राजनीतिक उद्देश्य से होती तो यह किसी शहर में होती यहां कोटेश्वर में नहीं होती, शरद सिंह सिसोदिया एवं परिवार को धन्यवाद देना चाहिए कि उन्होंने कोटेश्वर को चुना, यह विश्व में अंकित हो गया है। हर जगह पर लोग धार्मिक क्षेत्र को प्रगति पर ले जा रहे हैं। कोटेश्वर महादेव को कथा के माध्यम से प्रगति की ओर ले जा रहे हैं। तुम कहां बैठे हो इसकी कीमत आप स्वयं बता सकते हो, फालतू जगह बैठोगे तो तुम्हारी कीमत कम हो जाएगी। अभी गेहूं की कटाई का दौर चल रहा है तो एक बोरी भूसा अपनी गाय के लिए रखते हो यदि एक बोरी दूसरे के लिए भी रख दोगे तो वह भंडारा ही कहलाएगा। जिस कुएं में बावड़ी में जिस स्थान पर पानी की कमी होती चली जाए, वहां उसके आसपास बेल पत्री लगाना शुरु कर दो जब पार्वती से मिलने शिव जी आएंगे तो अपने साथ गंगा लेकर आएंगे और वहां पानी पर्याप्त मात्रा में मिलना शुरू हो जाएगा।
शंकर भगवान की पूजा चाहे स्त्री हो पुरुषों जिस भाव से पूजा करती है उसकी इच्छा शिव पूरी करते हैं।शंकर भगवान पर चढ़ा हुआ जल जो आचमन कर लेता है तो शरीर में जितने भी रोग हो वह ठीक हो जाते हैं। शिवजी पर चढ़ा हुआ जो भी पदार्थ हो उस वस्तु का केवल मात्र दर्शन भी कर लेता है तो उसके रास्ते में आने वाली बाधाएं भी दूर हो जाती है। आज महादेव की पूजन करने बैठे तो कहना है कि इतना देना की मुझे किसी के आगे हाथ ना फैलाना पढ़े,और मेरे दर से कोई खाली हाथ नहीं जाए। लुटा दिया भंडार काशी वाले ने, भर दिया भंडार काशी वाले ने, कर दिया मालामाल काशी वाले ने, भजन गाकर श्रद्धालुओं को नृत्य करने के लिए मजबुर कर दिया।
पंचपुष्प का महत्व, प्रथम दिन बताई पारिजात की महिमा
पंचपुष्प में से एक पुष्प परिजात का फूल हार सिंगार का फूल भी कहते हैं। परिजात का पुष्प ऊपर से सफेद नीचे उसकी डंडी नारंगी होती है। संतरे के कलर की होती है। रात्रि में खिलने वाले इस फूल के बारे में शिव कथा कह रही है। कि जिस घर में संतान की प्राप्ति नहीं होती या किसी कारणवश हमारे यहां वंश की वृद्धि नहीं होती है तब महादेव की आराधना पारिजात से करें, पारिजात का फूल शिवजी को चढ़ाते है सीधे में गणेश की दाईं ओर कार्तिकेय व बीच में अशोक सुंदरी की जगह है ऊपर से एक बूंद जो जलाधारी पर गिरती है। शिवजी की 5 बेटियां है वंश वृद्धि व कार्य सिद्धि के लिए पारिजात के फूल से आराधना होती है ।
ये जनप्रतिनिधि रहे उपस्थित
स्वर्गीय शिव कुमार सिंह सिसोदिया एवं ओम प्रकाश पांडे की स्मृति में आयोजित हो रही शिव महापुराण कथा के आयोजक शरद सिंह सिसोदिया ने बताया की कथा के प्रथम दिन बदनावर तहसील क्षेत्र के समस्त सरपंच, जनपद सदस्य, जिला पंचायत सदस्य सहित जिला कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष बालमुकुंद सिंह गौतम, पूर्व विधायक खेमराज पाटीदार जनपद अध्यक्ष आशा कुंवर प्रहलाद सिंह सोलंकी कांग्रेस नेता कमल सिंह पटेल ,अभिषेक सिंह राठौर हरिनारायण सिंह पवार, मनीष बोकड़िया,करनी सेना महिला इकाई प्रदेश अध्यक्ष ममता शेखावत प्रशासनिक अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक एसडीएम एसडीओपी तहसीलदार नायब तहसीलदार सहित अनेक अधिनस्थ प्रशासनिक कर्मचारी उपस्थित थे। कथा के प्रथम दिन महिला पुरुष एवं युवाओं की भारी तादाद रही।

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