रतलाम। मरीज को अब पुरानी बीमारी के उपचार, जांच, दवाओं आदि का रिकार्ड साथ लेकर डाक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। एक क्लिक पर ही सारा रिकार्ड आनलाइन मिलेगा। यह संभव होगा आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) में बनने वाली यूनिक हेल्थ आइडी से। यह आइडी मरीज की पहचान बनेगी, जिसमें हर बीमारी के उपचार, स्वास्थ्य योजनाओं में लाभ की पात्रता सहित अन्य सभी जानकारी रहेगी। देश में स्वास्थ्य संबंधी सेवाओं को डिजिटलाइजेशन करने के क्रम में अब एबीडीएम पर काम तेज हो गया है।
14 अंकों का यूनिक आइडी
इस योजना में हर व्यक्ति की हेल्थ आइडी बनाई जाएगी। जिले में अभी तक 62 हजार लोगों की आइडी बनाई जा चुकी है। यूनिक आइडी में मरीज से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण जानकारियां जैसे डाक्टरी परामर्श, बीमारी की जांच रिपोर्ट इत्यादि रहेगी। मरीज सरकारी व निजी अस्पताल में अपना हेल्थ कार्ड दिखाएगा तो उसमें दर्ज 14 अंको की यूनिक आइडी से बीमारी की पूरी डिटेल देखी जा सकेगी। इससे मरीज देश के किसी भी डाक्टर से घर बैठे परामर्श भी ले सकेंगे।
मध्य प्रदेश में रतलाम दूसरे नंबर
स्वास्थ्य संबंधी डेटा डिजिटल होने से नागरिकों को उपचार कराने के लिए किसी पेपर वर्क, रसीद या किसी दूसरे व्यक्ति पर निर्भर नहीं होना पड़ेगा। गुरुवार को कलेक्टोरेट में पत्रकार वार्ता में कलेक्टर नरेंद्र कुमार सूर्यवंशी, सीएमएचओ डा. प्रभाकर ननावरे ने योजना की जानकारी देते हुए बताया कि उज्जैन संभाग में सबसे ज्यादा आइडी रतलाम जिले में बनी है। प्रदेश में रतलाम दूसरे नंबर पर है। बाजना-सैलाना आदिवासी अंचल में भी करीब 13 हजार आइडी बनाई गई है। इसके लिए हर स्वास्थ्य केंद्र पर व्यवस्था की गई है।
अस्पताल व डाक्टरों का रिकार्ड भी आनलाइन
इस योजना में जिले के सभी डाक्टरों, स्वास्थ्य संस्थानों, शासकीय अस्पताल, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की हेल्थ फैसिलिटी का रजिस्ट्रेशन करना भी अनिवार्य किया गया है। इससे एक क्लिक पर पता किया जा सकेगा कि किस अस्पताल में कितने डाक्टर हैं, क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं।आधार नंबर से ही आइडी बन पाएगी। हालांकि हर नागरिक के डेटा और हेल्थ रिकार्ड का देन लेन सिर्फ उसकी सहमति से ही होगा।
इस तरह मिलेगी सुविधा
हर नागरिक की बनी आइडी उसके हेल्थ अकाउंट के तौर पर भी काम करेगी। इसके लिए मोबाइल एप एबीएचए (आभा) भी बनाया गया है। इस एप को डाउनलोनड कर आमजन स्वयं भी यह आइडी बना सकते हैं। हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स रजिस्ट्री (एचपीआर) और हेल्थकेयर फैसिलिटीज रजिस्ट्री (एएफआर), माडर्न और ट्रेडिशनल मेडिसिन, सभी मामलों में यह अस्पतालों के लिए डेटाबेस के रूप में कार्य करेगी। इससे पता किया जा सकेगा कि आयुष्मान भारत के तहत मरीज को इलाज की सुविधाओं का लाभ मिलता है या नहीं।(नईदुनिया )