झाबुआ – जिले में कई विभागों के अधिकारियों की मनमानी कार्यशैली और बाहरी सप्लायर की सक्रियता जिला कलेक्टर कार्यालय में रोजाना नजर आ रही है । आदिवासी बाहुल्य जिला होने के कारण शासन द्वारा लाखों करोड़ों की राशि इस जिले के विकास के लिए आवंटित की जाती है ।जिससे यह बाहरी सप्लायर ठिकाने लगाने का प्रयास करते हैं और इसी उद्देश्य से यह बाहरी सप्लायर रोजाना ही कलेक्टर कार्यालय में नजर आ रहे हैं । शासन द्धारा राशि विशेष रुप से स्वास्थ्य विभाग ,जनजाति कार्य विभाग व डीपीसी विभाग मे आबंटित की जाती हैं । यह बाहरी सप्लायर भाजपा के कई नेताओं और मंत्रियों से फोन लगाकर विभिन्न विभागों में सामग्री सप्लाई हेतु अधिकारी कर्मचारी पर दबाव भी बनाते हैं । तो कई सप्लायर भाजपा के संगठन के जिला पदाधिकारियों से भी तालमेल बैठाकर सक्रियता से काम करने का प्रयास करते हैं । यह बाहरी सप्लायर विभागीय गठजोड़ के बाद कलेक्टर केबिन तक पहुंचने का भी प्रयास करते हैं । कई बार सफल भी हो जाते हैं और कई बार असफल भी । कई बार सफल होने पर यह सप्लायर अपने मनमाने तौर पर कार्य करने के लिए विभागीय कर्मचारियों पर दबाव बनाते हैं और बात नहीं मानने पर यही बाहरी सप्लायर अपने आकाओं को शिकायत करते हैं । इस तरह यह बाहरी सप्लायर अपना आर्थिक उल्लू सीधा करने के लिए सामग्री सप्लाई भी करते हैं और शिकायत भी करते हैं । यह वह लोग हैं जो सत्ताधारी पार्टी के काबीज होते ही बीजेपी के सक्रिय कार्यकर्ता होने का ढोंग करते हैं और अपना आर्थिक उल्लू सीधा करते हैं जबकि बीजेपी का मूल्य कार्यकर्ता आज भी टाट पट्टी और दरी ही बिछा रहा है । वही पूर्व के कुछ तत्कालीन कलेक्टर के कार्यकाल में यह बाहरी सप्लायर जिला कलेक्टर कार्यालय में सक्रियता से नजर भी आए । संभवत कई सप्लायर तत्कालीन कलेक्टर के बंगले तक भी नजर आने लगे थे तथा अपनी मनमानी कार्यशैली अनुरूप कार्य नहीं होने पर इन्होंने भोपाल में बैठे आकाओं को शिकायत भी की और संभवत कुछ मे शिकायतों के आधार पर कुछ अधिकारियों के तबादले भी हुए । इन बाहरी सप्लायरो ने ही तत्कालीन कलेक्टर सोमेश मिश्रा के कार्यकाल को दागदार बनाने का प्रयास भी किया और संभवत शिकायत भी की थी । चूंकि आप पूरी ईमानदारी के साथ जिले को विकास की पटरी पर दौड़ने का प्रयास भी कर रही है और इमानदारी पूर्वक शासन की योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य भी कर रही है लेकिन यह बाहरी सप्लायर कहीं आप के कार्यकाल को दागदार ना बना दें । तो कलेक्टर मैडम बाहरी सप्लारो से हो जाए…सावधान… कहीं आपके स्थानांतरण का कारण न बन जाए ….यह बाहरी सप्लायर…..।