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शिकारी ने बिछाया जाल, शिकार के फंसने का इंतजार

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शिकारी ने बिछाया जाल, शिकार के फंसने का इंतजार

रतलाम. सैलाना, शिवगढ़ और सरवन रेंज में तेंदुए की आहट के बाद सक्रिय हुए वन विभाग के अमले ने राला मंडल इंदौर का सहयोग लिया है। तेंदुए को पकडऩे के लिए राला मंडल से पिंजरे मंगाकर सैलाना और शिवगढ़ रेंज में उन स्थानों पर लगाए हैं जहां तेंदुआ जानवरों का शिकार कर चुका है। इन पिंजरों में जीवित बकरे या बकरी को रखकर तेंदुए को ललचाया जाएगा। जब तक तेंदुआ पकड़ा नहीं जाता ये पिंजरे इसी क्षेत्र में लगे रहेंगे। वन मंडलाधिकारी आदर्श सक्सेना के अनुसार राला मंडल की टीम बुलाई गई है।
विचरण एरिया की तलाश में था विभाग
सैलाना और सरवन से लगे राजस्थान के जंगल वाले इलाके में तेंदुए के होने की जानकारी पहले से थी लेकिन वह यहां तक पहुंच जाएगा इसे लेकर वन विभाग हमेशा ही संशय में रहा। एक पखवाड़े में दो बार हमले ने विभाग को सक्रिय कर दिया है। तेंंदुआ अब शिवगढ़ रेंज तक आ गया है जो राजस्थान सीमा से काफी दूर है। इसका मतलब है कि तेंदुआ अंदर तक विचरण कर रहा है। उसके फुट प्रिंट भी मिले हैं और जिन रास्तों पर फुट प्रिंट मिले हैं और शिकार किए उन स्थानों पर पिंजरे लगाए गए हैं।

ऐसे काम करेगा पिंजरा
पिंजरे के दो हिस्से रहते हैं। इनमें एक में जीवित जानवर रखा जाता है जिसका शिकार करने शिकारी आता है। वह अंदर प्रवेश करके जीवित जानवर तक पहुंचता इसके पहले ही दोनों तरफ के शटर गिर जाते हैं। इसके बाद वह वहीं कैद हो जाता है। जीवित जानवर को भी कोई नुकसान नहीं होता और आसानी से शिकारी को पकड़ लिया जाता।
फुट प्रिंट से स्पष्ट है तेंदुआ ही है
एक सप्ताह पहले सैलाना रेंज के पाटड़ी में पांच बकरे-बकरियों को मारने के बाद तेंदुएं ने पिछले दिनों शिवगढ़ रेंज के उदरण गांव में भी गाय के बछड़़े को मार डाला है। वन विभाग ने फुट प्रिंट से स्पष्ट कर दिया कि हमलावर तेंदुआ ही है। इसके बाद विभाग ने राला मंडल इंदौर का सहयोग लेने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए ये पिंजरे लगाए हैं।जीवित जानवर रखे गए पिंजरे में
राला मंडल के सहयोग से दो स्थानों पर चार पिंजरे लगाए गए हैं। इनमें जीवित जानवर बकरे या बकरी रखे जा रहे हैं। इनकी आवाज सुनकर ही तेंदुआ पिंजरे तक पहुंचेगा जिसे हम पिंजरे में कैद कर लेंगे।
सीमा सिंह, रेंजर, सैलाना रेंज

( पत्रिका से साभार)

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