दास तुलसी, कबीर क्या कालीदास छा गए…तेरी की कृपा से मां वो मुकाम पा गए…
रतलाम। कर बद्ध विनय करे कलमकार मां शारदा…दे दे सूर ताल का ज्ञान सबको शारदा…बैरागियों को फिर से राग में उतार दें…के दास तुलसी, कबीर क्या कालीदास छा गए…तेरी की कृपा से मां वो मुकाम पा गए…आस ले के आए हम को हम को भी तार दे…वीणा वादिनी तेरे बच्चों को प्यार दे…जैसी सरस्वती वंदना के साथ उज्जैन से आए कवि ओम बैरागी ने हल्ला-गुल्ला कवि सम्मेलन की शुरुआत की। रविवार शाम मेहंदीकुई बालाजी मंदिर उद्यान में आयोजित हास्य कवि सम्मेलन के पूर्व कवियों को अलग-अलग उपाधियों से नवाजा दिया।इस दौरान कार्यक्रम के सूत्रधार कवि जुझारसिंह भाटी ने शहर की लेखिका कवियत्री वेदिही कोठारी को आमंत्रित कर मंच पर उपस्थित कवियों को उपाधियां दी। भाटी ने कहा कि पहले यहां मंच पर टोपियां पहनाई जाती थी, लेकिन अब अटपटी उपाधियों दी जाएगी। उपाधियों को भी कवियों ने सहर्ष स्वीकार किया। कवि सम्मेलन में देर रात तक बड़ी संख्या में सुधी श्रोतागण जमे रहे।
बालम ककड़ी खांपी उपाधि
जिसकी शुरुआत सबसे पहले नोजवान सौरभ चातक उज्जैन को फेसबुक का खांपा, रवि नगईची को खट्टा मिठा खांपा, उज्जैन के रामबिहारी को अटपटा खांपा, महाकाल की नगरी से आए सुरेंद्र सर्किट को मोबाइल खांपा, देवास से आए वीर रस के कवि जगदीश सिंघम को संगठित खांपा, हास्या धमाका नागदा के कैलाश सोनी को रंगीला खांपा, मंदसौर के विनोद गगरानी को हवाहवाई खांपा, सैलाना की कवियत्री अनुप्रिया अनु को बालम ककड़ी खांपी उपाधि से सम्मानित किया गया।