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रतलाम के बिबड़ोंद गांव में अनोखी परंपरा:हनुमान जी से कर्ज लेता है हर ग्रामीण, मान्यता- भगवान से कर्ज लेने पर मिलती है बरकत रतलाम

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रतलाम के बिबड़ोंद गांव में अनोखी परंपरा:हनुमान जी से कर्ज लेता है हर ग्रामीण, मान्यता- भगवान से कर्ज लेने पर मिलती है बरकत

रतलाम~~देशभर के हनुमान मंदिरों में आज हनुमान जयंती की धूम है। भगवान हनुमान जी की जयंती रतलाम में भी धूमधाम के साथ मनाई जा रही है। इस मौके पर आपको दर्शन करवाते हैं रतलाम के बिबड़ोद गांव के हनुमान जी के जिनका कर्जदार होना हर कोई चाहता है। जी हां बिबड़ोद गांव के सभी ग्रामीणों ने भगवान हनुमान जी से कर्जा लिया हुआ है। जिसका वह प्रतिवर्ष ब्याज भी चूकाते हैं।

गांव की अनोखी परंपरा की शुरुआत 35 वर्ष पूर्व हुई थी। जिसमें गांव में होने वाले धार्मिक कार्यक्रम, मंदिरों के रखरखाव और निर्माण कार्य को संचालित करने के लिए हनुमान मंदिर के रुपयों को गांव के ही लोगों के बीच ब्याज पर चलाने की शुरुआत हुई। मान्यता यह है कि हनुमान जी से कर्जा लेने पर उस व्यक्ति को व्यवसाय में बरकत मिलती है। इसके बाद गांव की यह परंपरा 35 वर्षों से लगातार जारी है। पूरे हिसाब किताब के साथ गांव की ही समिति इस व्यवस्था का संचालन करती है।

गांव का हर परिवार हनुमान जी का कर्जदार

आमतौर पर लोगों की कर्ज की वजह से नींद उड़ जाती है और ब्याज भरने की चिंता सताने लगती है। लेकिन रतलाम के इस गांव में हर ग्रामीण कर्ज लेकर आनंदित और हनुमान जी का कृपा पात्र बन जाता है। बिबड़ोद गांव के लगभग सभी नागरिकों ने 5 हजार से लेकर एक लाख रुपए तक का कर्ज हनुमान जी से लिया है। मंदिर के पुजारी राकेश द्विवेदी और समिति के पूर्व सदस्य अमृत लाल पाटीदार बताते हैं कि 35 वर्षों से यह परंपरा चली आ रही है। इसका संचालन पूरी पारदर्शिता के साथ गांव की समिति करती है। ब्याज के रूप में मिलने वाले रुपयों से गांव में धार्मिक कार्य, पुराने मंदिरों का जीर्णोद्धार और निर्माण किया जाता है और आवश्यकता पड़ने पर गांव के लोगों को कर्ज भी दिया जाता है। खास बात यह है कि गांव के लोग हनुमान जी का आशीर्वाद समझकर स्वीकार करते है।

मंदिर की समिति करती है व्यवस्था का संचालन

हनुमान जी से कर्ज लेने की इस अनोखी परंपरा और व्यवस्था का संचालन गांव के लोगों द्वारा बनाई गई समिति करती है । भगवान से लिए गए कर्ज का लेखा-जोखा समिति के सदस्य रखते हैं । कर के रूप में लिए गए रुपए पर 2% मासिक ब्याज हर वर्ष रंग पंचमी के अवसर पर मंदिर की समिति को जमा करवाया जाता है। ब्याज से आने वाले इन रुपयों से मंदिर समिति गांव में धार्मिक कार्य और निर्माण करवाती है। वहीं,गांव के जरूरतमंद लोगों को नया कर्ज भी दिया जाता है। गांव के लोगों के अनुसार ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी ने हनुमान जी का कर्ज नहीं लौटाया हो। लोग इसे भगवान के आशीर्वाद की तरह ग्रहण करते हैं और प्रतिवर्ष रंगपंचमी पर अपने हिस्से का ब्याज भगवान को अर्पित करते हैं।

बहरहाल गांव में चली आ रही इस अनोखी परंपरा की बदौलत गांव के मंदिरों का रखरखाव और नव निर्माण हो गया है। वहीं, गांव में एक धर्मशाला का निर्माण भी करवाया जा रहा है।

हनुमान जयंती स्पेशल : वो जगह जहां संजीवनी बूटी ले जाते वक्त ठहरे थे हनुमान

रतलाम. हनुमान जयंती के पावन अवसर पर पत्रिका आपको एक ऐसे स्थान के बारे में बताने जा रहा है जिसे लेकर मान्यता है कि संजीवनी बूटी ले जाते वक्त भगवान हनुमान यहां पर कुछ पल के लिए ठहरे थे। माही नदी के तट पर ये स्थान है जहां आज भगवान हनुमान का मंदिर है और हनुमान जी की कृपा आज भी इस गांव पर कुछ ऐसी है कि ये गांव कई कुरीतियों से कोसों दूर है। तो चलिए आपको बताते हैं मध्यप्रदेश के इस गांव के बारे में.

.संजीवनी ले जाते वक्त यहां रुके थे हनुमान
गांव का नाम है बजरंगगढ़ जो रतलाम जिले का एक आदिवासी गांव का है। माही नदी के किनारे बसा बजरंगगढ़ गांव रतलाम जिले से करीब 50 किमी. दूर है। यहां माही नदी के तट पर एक हनुमानजी का अति प्राचीन मंदिर है जिसे लेकर मान्यता है कि जब भगवान राम और रावण के बीच चल रहे युद्ध में मेघनाद के शक्ति बाण से लक्ष्मण जी घायल हो गए थे तब उनके प्राण बचाने के लिए भगवान हनुमान संजीवनी बूटी लेकर आए थे और संजीवनी बूटी ले जाते वक्त हनुमान जी माही नदी के किनारे इसी स्थान पर कुछ पलों के लिए ठहरे थे। इसी कारण गांव का नाम बजरंगगढ़ पड़ा।

हनुमान जी की कृपा से कुरीतियों से दूर बजरंगगढ़
अब इसे हनुमान जी की कृपा मान लीजिए या फिर बजरंगगढ़ में रहने वाले लोगों का भगवान हनुमान पर विश्वास की आज भी बजरंगगढ़ गांव कई कुरीतियों से दूर है। गांव का कोई भी व्यक्ति नशा नहीं करता है और गांव पूरी तरह से नशामुक्त है। इतना ही नहीं आदिवासियों में शादी के दौरान लड़के पक्ष से दहेज लेने की जो कुरीति है वो भी इस गांव में नहीं है। आदिवासी गांव होने के बावजूद न तो यहां पर दहेज लिया जाता है और न ही दिया जाता है। ग्रामीणों का ये भी कहना है कि भगवान हनुमान की कृपा से गांव में कभी कोई बड़ी विपदा नहीं आती है। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि माही नदी के किनारे बसा हनुमान जी का मंदिर कई सौ साल पुराना है और 250-300 साल पहले जब राजा रतन सिंह यहां पर शिकार के लिए आते थे तो मंदिर में हनुमान जी के दर्शन कर कुछ वक्त जरुर यहां पर गुजारते थे। इस मंदिर में आज भी ग्रामीणों की गहरी आस्था और विश्वास है।( दैनिक भास्कर /पत्रिका से साभार)

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