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यहां रावण पर बरसाए जाते हैं पत्थर:आलोट के कराडिया में अनोखी परंपरा, करीब 200 साल निभा रहे ग्रामीण

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यहां रावण पर बरसाए जाते हैं पत्थर:आलोट के कराडिया में अनोखी परंपरा, करीब 200 साल निभा रहे ग्रामीण

आलोट~~आलोट के गांव कराडिया में चल रही पांच दिवसीय रामायण की लीलाओं का समापन शुक्रवार को हुआ। समापन के साथ यहां पर रावण का वध किया गया। इस गांव में रावण के वध की परंपरा अनूठी है। यहां ग्रामीण रावण पर पत्थर बरसा कर प्रहार करते हैं। ग्रामीण बताते है कि यह परंपरा करीब 200 वर्ष पुरानी है।

गांव के ही पंडित मनोज शर्मा ने बताया कि हनुमान जन्मोत्सव के अवसर पर पांच दिवसीय मेले का आयोजन होता है। मेले में दो दिवसीय रामलीला का आयोजन होता है। रामलीला में अलग-अलग पात्र दिखाए जाते हैं। जहां भगवान की अनेक लीलाओं का मंचन किया जाता है।

पत्थर मारकर रावण का वध

क्षेत्र में रावण का पुतला दहन कर बुराई का खात्मा करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। पूरे देश की परंपरा से हटकर गांव कराड़िया मे गांव के लोग पत्थर मारकर रावण का वध करते हैं। रामलीला मंच से रावण का वध करने के लिए भगवान राम लक्ष्मण और भगवान की सेना के साथ रथ पर सवार होकर निकले।

भगवान राम ने रावण की नाभि पर बाण चलाया। फिर गांव के लोगों ने रावण पर पत्थर मारना शुरू किए। पत्थर मारने का सिलसिला करीब 5 मिनट तक चलता रहा। इस मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण जन व आसपास के लोग एकत्रित हुए।

रावण पर पत्थर मारने की कहानी

पंडित मनोज शर्मा बताते हैं कि भगवान राम लक्ष्मण हनुमान नल नील जामुन सहित तो योद्धा थे। जिन्हें शस्त्र चलाने का ज्ञान था, लेकिन उनके साथ में कुछ वानर सेना ऐसी भी थी जिन्हें शस्त्र चलाने का ज्ञान नहीं था। उसी परिपाटी के अनुसार, प्रतीकात्मक रूप से गांव वालों ने भी रावण पर पत्थर बरसाए। उन्होंने पत्थर बरसाने की परंपरा को वाल्मीकि रामायण से जोड़कर बताया और कहा कि रामायण में पाहन नामक पत्थर का जिक्र है। उटी पत्थर को अपना शास्त्र बनाकर भगवान राम की सेना रावण की सेना पर प्रहार करती हैं।

20 दिनों तक चलता है गांव में राग उत्सव

गांव के स्थानी कलाकारों ने गांव की सुख सम्पति की कामना को लेकर अलग-अलग रागों का गायन भी कर रहे है। ये राग महोत्सव 20 दिन तक चलेगा।(भास्कर से साभार)

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